The Lallantop
Advertisement

चीन UN में आतंकवादियों को बचाता है, भारत इन वजहों से नहीं लेता उसका नाम

चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी साजिद मीर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. साजिद, मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक है और इस केस में मोस्ट वान्टेड भी है.

Advertisement
India doesnt name china while responding veto to blacklisting pakistani terrorists un
चीन का नाम नहीं लेने से भारत को क्या फायदा? (फोटो: आजतक)
23 जून 2023 (Updated: 23 जून 2023, 15:45 IST)
Updated: 23 जून 2023 15:45 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी साजिद मीर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित करने के प्रस्ताव रोक दिया है. साजिद, मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक है और इस केस में मोस्ट वान्टेड भी है. अमेरिका ने यूनाइटेड नेशन्स में 1267 अल कायदा सैंक्शन कमिटी के तहत उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. भारत इसका सह-प्रस्तावक था. चीन ने इसी प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया. 

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब चीन ने भारत पर हमला करने वाले किसी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर ऐसा किया हो. क्योंकि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य है, ऐसे में उसकी सहमति के बिना वैश्विक आतंकवादियों की लिस्ट में किसी का भी नाम नहीं जोड़ा जा सकता. ये सिलसिला लंबे समय से चलता आ रहा है. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन 2009 से अब तक मसूद अजहर, अब्दुल रहमान मक्की, शाहिद महमूद, अब्दुल रऊफ असगर और तल्हा सईद जैसे कई आतंकवादियों को इस लिस्ट में शामिल होने से रोक चुका है. 

भारत ने पूछे सवाल

साजिद मीर के मामले में चीन के इस कदम के बाद भारत ने सयुंक्त राष्ट्र के सदस्यों की इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किए. UN में भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता ने कहा कि अगर ऐसे आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है, तो यह आतंकवाद की चुनौती से निपटने की इच्छाशक्ति में कमी को दर्शाता है.

इसके साथ ही प्रकाश गुप्ता ने UN में साजिद मीर की एक ऑडियो क्लिप भी सुनाई. इस ऑडियो में साजिद मीर दूसरे आतंकवादियों को निर्देश दे रहा है. इस क्लिप में एक मौके पर सुना जा सकता है कि साजिद ताज होटल में मौजूद हर विदेशी को मार देने का निर्देश देता है. प्रकाश ने ऑडियो क्लिप चलाने के बाद कहा कि घटना के 15 साल बाद भी साजिद खुला घूम रहा है. पाकिस्तान का नाम लिए बिना ये भी कहा गया कि एक देश में साजिद को पूरी सुविधाएं दी जा रही हैं. प्रकाश ने आगे चीन पर निशाना साधते हुए कहा,

"अगर हम ऐसे स्थापित आतंकी, जिन्हें दुनियाभर में आतंकवादी करार दिया गया है, उन्हें भी कुछ देशों के भू-राजनीतिक हितों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकी घोषित नहीं करा पा रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है कि हम में आतंकवाद की इस चुनौती से निपटने की असल राजनीतिक इच्छाशक्ति ही नहीं है."

क्या है वजह?

हमने आपको पहले भी बताया, चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. मसूद अजहर से लेकर तल्हा सईद, हर बार ड्रैगन का रवैया ऐसा ही रहा है. पाकिस्तान के समर्थम में चीन लगातार इस तरह के कदम उठा रहा है. चीन के इस रवैये पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जरूर दी है, लेकिन UN में कभी सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया है. आखिर इसकी वजह क्या है? इस संबंध में हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की.

शिव नादर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर अतुल मिश्रा का मानना है कि भारत चीन का नाम इसलिए नहीं लेता क्योंकि दोनों देशों की ताकत में बहुत अंतर है. वो बताते हैं,

"भारत आमतौर पर चीन का नाम उतना नहीं लेता, जितना इन मुद्दों पर लेना चाहिए. इसकी वजह दोनों देशों के बीच ताकत का अंतर है. चीन भारत से कई गुना ज्यादा ताकतवर है. सीधे तौर पर चीन का नाम लेने से समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसका असर बॉर्डर पर भी पड़ सकता है. इसलिए भारत अपने जवाबों में कूटनीति अपनाता है."

इस मामले पर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े हर्ष पंत ने भी अपनी राय रखी. हर्ष का मानना है कि भारत को इस कूटनीति का फायदा मिला है. भारत के इन प्रयासों से ये सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की समस्या मानी जाने लगी है. हर्ष ने हमें बताया,

"कूटनीति में देश का नाम नहीं लेना बहुत ताकतवर सिग्नल माना जाता है. चीन ऐसा लगातार करता रहा है और भारत इसपर जवाब भी देता आया है. चीन समेत हर देश समझता है ये समस्या कितनी बड़ी है और इसपर क्या रवैया अपनाना चाहिए. नाम नहीं लेकर भारत ये संदेश देता है कि हमें किसी एक देश की फिक्र नहीं है. हम सिर्फ इस सिद्धांत (आतंक के खिलाफ) पर चलना चाहते हैं. ये लंबे समय से एक वैश्विक समस्या रही है. भारत ने इस मुद्दे को ऐसे पेश किया है जैसे ये सिर्फ एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा है. कोई भी देश जो इस सिद्धांत को नहीं मानता, वो वैश्विक समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है. मेरे हिसाब से इसी वजह से भारत आमतौर पर चीन का नाम नहीं लेता. 

उन्होंने आगे बताया,

"भारत ने इस मुद्दे को ऐसे पेश कर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर हमें आतंकवाद से लड़ाई लड़नी है, तो ऐसा भेदभावपूर्ण रवैया ठीक नहीं है. भारत ने साफ़-साफ़ ये मेसेज पहुंचा दिया है कि इस सवाल का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. इससे भारत को उन देशों के साथ रिश्तों में भी फायदा भी मिला है, जो इसी सिद्धांत पर चलते हैं. इस अप्रोच से भारत को इस विषय पर समर्थन भी मिलता रहा है. चीन को लगातार इस मुद्दे पर अकेला पाया गया है. भारत ने इस मुद्दे को पाकिस्तान और चीन से बड़ा रखकर वैश्विक समस्याओं से जोड़ दिया है और इससे भारत को फायदा मिला है."

वहीं चीन पर लिखी हुई किताब 'स्मोकलेस वॉर' के लेखक मनोज केवलरमानी की राय इसपर बिलकुल अलग है. उनका मानना है कि भारत को चीन का नाम लेने की जरूरत ही नहीं है. उन्होंने हमें बताया,

"पब्लिक रिकॉर्ड में पहले से दर्ज है कि किस देश ने इसपर ब्लॉक लगवाया है. ऐसे में जवाब में चीन या किसी और देश का नाम लेना जरूरी नहीं है. पूरी दुनिया को पहले से पता होता है कि किसका ज़िक्र किया जा रहा है."  

आतंकवादी साजिद मीर पर 41 करोड़ रुपये का इनाम है. इससे पहले पाकिस्तान ने कुछ सालों पहले दावा किया था कि साजिद मीर की मौत हो चुकी है. हालांकि, दूसरे देशों के सबूत मांगने पर पाकिस्तान का दावा ठंडा पड़ गया था. जिसके बाद जून, 2022 में पाकिस्तान की एक अदालत ने मीर को आंतकवादी फंडिंग के एक मामले में सजा सुनाकर 15 साल के लिए जेल भेज दिया था. 

वीडियो: सुर्खियां: चीन ने आतंकी साजिद मीर को बचाया, भारत ने हड़का दिया

thumbnail

Advertisement

Advertisement