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  • In the wake of controversies in legislatures of India, recalling the historic expulsion of 10 DMK MLA's from Tamilnadu Vidhansabha over burning of constitution copies

10 विधायकों ने देश के संविधान में आग लगा दी, तो क्या हुआ

ये कैसा गुस्सा था कि इन्होंने संविधान की कॉपियां जला दीं?

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फोटो - thelallantop
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ऋषभ
9 अगस्त 2016 (Updated: 9 अगस्त 2016, 08:51 AM IST) कॉमेंट्स
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सरकार और विपक्ष का रिश्ता बड़ा ही जालिम होता है. मगरमच्छ और हाथी की तरह. एक ही जगह पानी पियेंगे. आराम करेंगे. पर कौन, कब, किसको खींच ले जाये, नहीं पता. अभी हाल-फिलहाल में केंद्र के अलावा दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में सरकार-विपक्ष में खूब ठनी. कहीं विधायक सस्पेंड हुए, कहीं सांसद वीडियो बना के फंसे. बड़ा विवाद हुआ. पर ये तो कुछ भी नहीं है, जो 1986 में हुआ था. नवम्बर 1986 में तमिलनाडु में 10 विपक्षी विधायकों को विधानसभा से बर्खास्त कर दिया गया था. क्योंकि उन्होंने भारत का संविधान जलाया था.

हीरो मुख्यमंत्री, स्क्रिप्टराइटर विपक्ष में, पर समस्या एक थी - हिंदी

उस वक़्त तमिलनाडु में AIADMK की सरकार थी. मुख्यमंत्री थे एम. जी. रामचंद्रन यानी MGR. ये फिल्मों में हीरो हुआ करते थे. 60 की उम्र में राजनीति में आये और इंदिरा गांधी को धता बताकर अपनी सरकार बना ली. वहां विपक्ष में पार्टी थी DMK. इसके नेता थे करुणानिधि. अभी भी हैं. फिल्मों के स्क्रिप्टराइटर. मुख्यमंत्री को हीरो होने का घमंड था. नेता विपक्ष को भी घमंड था कि कितने हीरो तो हमने लिख मारे हैं.
करुणानिधि और एम जी आर (बाएं और दायें)
करुणानिधि और एम जी आर (बाएं और दायें)

पर तमिलनाडु विधानसभा की 'जॉइंट प्रॉब्लम' थी हिंदी. साठ के दशक से ही हिंदी को लेकर तमिलनाडु में बड़ा भावुक माहौल रहता था. नेहरू के वक़्त ही जब हिंदी को सरकारी भाषा बनाने की बात की गयी थी, तो तमिल लोगों ने इसे अपनी भाषा पर हमला समझा था. इस मामले में सरकार और विपक्ष एक रहते थे.

वर्चस्व के लिए जला दिया संविधान!

पर 1986 में कुछ अलग हुआ. केंद्र सरकार का एक सर्कुलर आया कि सितम्बर में 'हिंदी सप्ताह' मनाया जाएगा. तमिल समाज में ये बात खटक गई. DMK ने तुरंत इसको भांप लिया. 235 विधायकों में इनके मात्र 30 विधायक थे. जनता में वर्चस्व बनाने का मौका आया था. 1967 में हिंदी विरोध की लहर पर ही सत्ता में आये थे. एकदम लग गए 'हिंदी विरोध' में. आन्दोलन ही हथिया लिया. खुद को अलग दिखाने के लिए संविधान की कॉपियां जलाने लगे. एक दिन 20 हज़ार लोगों की मौजूदगी में ये काम हुआ. इस कांड के नेता DMK के विधायक थे. देश में बवाल हो गया. संविधान के प्रति निष्ठा हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है. ये क्या हो रहा है?
karunanidhi and stalin
करुणानिधि

स्क्रिप्ट बदल गई, पर उपाय निकाला गया फ़िल्मी स्टाइल में

अब MGR पड़े चक्कर में. फिल्म तो चल नहीं रही थी. कि दो गाने गायेंगे. जनता पीछे-पीछे चल देगी. केंद्र की तरफ से पूछा जा रहा था कि ये क्या हो रहा है? दिल्ली से अफवाह उड़ रही थी कि अब तमिलनाडु में राष्ट्रपति शासन लगेगा. इसका उपाय था कि DMK के 'उत्साही' विधायकों को सस्पेंड कर दिया जाये. पर MGR को ये डर भी था कि अगर कहीं ऐसा किया तो DMK जनता की नजर में क्रांतिकारी हो जाएगी. और अगले चुनाव में जवाब देना मुश्किल हो जायेगा.
mgr
MGR

पर थे तो फिल्मवाले. स्टाइल में उपाय निकाला. विधानसभा में इन विधायकों के खिलाफ प्रस्ताव लाए. बहुमत था ही. 10 विधायकों को विधानसभा से ही बर्खास्त कर दिया. ये बहुत बड़ी बात थी. MGR के इस निर्णय से जनता को सन्देश मिला कि सब बातें अपनी जगह, पर 'संविधान' और देश के खिलाफ कुछ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
DMK एकदम हक्का-बक्का रह गयी. शहीदी मिली नहीं, विधायक बर्खास्त हो गए. संविधान जलाने का इल्जाम लगा वो अलग. इस बात की सफाई देनी मुश्किल हो गयी. संविधान का अपमान करने के जुर्म में करुणानिधि समेत कई लोगों को जेल में ठूंस दिया गया.
ये 'बर्खास्तगी' पहली घटना नहीं थी. इस 'हॉल ऑफ़ फेम' में और हस्तियों के नाम भी शामिल हैं. इंदिरा गांधी को 1979 में जनता पार्टी की सरकार ने संसद से निकला था. 1976 में सुब्रमनियम स्वामी को राज्यसभा से बर्खास्त किया गया था. इससे भी पहले, 1951 में कांग्रेसी सांसद एच वी मुद्गल को संसद से निकाला गया था. उन पर आरोप था कि संसद में प्रश्न उठाने के लिए व्यापारियों से पैसे लिए थे.

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