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जब पहली बार क्रिकेट सादगी से निकल कर रंगीन हुआ था

जानिये कैसे 'बोरिंग' क्रिकेट को इंटरटेनमेंट के लिए 'आगे बढ़ाया गया'.

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मियां मिहिर
9 मई 2018 (Updated: 9 मई 2018, 05:32 AM IST) कॉमेंट्स
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एक दौर था जब क्रिकेट का मतलब होता था सफ़ेद कपड़ों में पांच दिन का खेल, जिसमें चौका लगने पर ख़ुशी में ताली भर बजा देना बड़ी बात मानी जाती थी. और फिर एक दिन सारा नक्शा बदल गया. रंगीन कपड़े, फ्लड लाइट क्रिकेट, व्हाइट बॉल, फ़ील्डिंग सर्कल्स, हेलमेट, मैदान में मोटरकार से आती ड्रिंक्स और मीडिया में मार-तमाम प्रमोशन क्रिकेट का हिस्सा बन गए. वनडे ने टेस्ट को पीछे छोड़ दिया और अपनी बादशाहत कायम कर ली.लेकिन ये सब हुआ कैसे और कब.आज सुनिए 'पैकर सर्कस' का किस्सा, जिसने सत्तर के दशक में क्रिकेट का ज्योग्राफिया पूरी तरह बदल दिया था.

कौन थे पैकर

कैरी पैकर ऑस्ट्रेलिया के निजी चैनल 'चैनल 9' के मालिक थे. 74 में चैनल की कमान हाथ में आने के बाद उन्होंने खेलों को बड़े पैमाने पर अपनी चैनल की प्रोग्रामिंग में शामिल किया. पहले उन्होंने ऑस्ट्रलियन गोल्फ के प्रसारण अधिकार हासिल किये और उसे टीवी के अनुकूल और चमकदार बनाने के लिए ख़ूब पैसा लगाया. Kerry PackerKerry Packer पैकर का अगला निशाना क्रिकेट पर था. उन्होंने 1976 में ऑस्ट्रलियाई क्रिकेट बोर्ड को घरेलू टेस्ट सीज़न के 'चैनल 9' पर टेलीकास्ट के लिए सरकारी ब्रॉडकास्टर ABC के मुकाबले आठ गुना ज्यादा पैसा ऑफर किया. बोर्ड ने फिर भी इस ललचाने वाले ऑफर को ठुकरा दिया. इसमें ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के साथ क्रिकेट बोर्ड के बीस साल पुराने रिश्ते भी वजह थे. 20 साल पहले प्राइवेट चैनलों को क्रिकेट में रुचि नहीं थी, क्योंकि उसमें पैसा नहीं था. पैकर ने इसे अपने लिए चैलेंज बना लिया और पैरेलल क्रिकेट लीग खड़ी करने की गुप्त कोशिशें शुरू कर दीं. इसका एक बहुत ही छोटा वर्ज़न हमें ICL के तौर पर देखने को मिला था. वो अलग बात है कि दो सीज़न में वह फुस्स हो गया.

खिलाड़ी भरे बैठे थे

लेकिन सिर्फ पैकर की चाहत से क्रिकेट नहीं बदलने वाला था, न ही बदल सकता था. असल में खिलाड़ी खुद भरे बैठे थे. उनके गुस्से ने ही पैकर के लिए काम आसान कर दिया. उस दौर में खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए चवन्नियों में पैसे मिला करते थे. उनके खेल से और लोग पैसा बना रहे हैं और खिलाड़ियों को उनका सही हिस्सा नहीं मिल रहा, ऐसा बहुत से खिलाड़ियों का मानना था. खुद ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों का बोर्ड के साथ कोई पेशेवर करार नहीं था. वे 'शौकिया क्रिकेटर' की तरह खेलते थे. कैरी पैकर ने इसी असंतोष की बहती गंगा में हाथ धोये. 'ये तो टेकओवर करने के लिए सबसे आसान खेल है... यहां किसी को फ़िक्र ही नहीं है कि खिलाड़ियों को उनके टैलेंट के मुताबिक फीस मिले' पैकर ने कहा भी था.

कैसे आए क्रिकेटर साथ?

पैकर ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेट कप्तान इयान चैपल को अपनी टीम में मिलाया. चैपल का कद उस दौर में क्रिकेट में बहुत बड़ा था. उनकी मदद से पैकर ने तकरीबन पूरी ऑस्ट्रेलियन टीम को अपनी लीग के लिए अनुबंधित कर लिया. पैकर ने घोषणा की कि उन्होंने विश्व क्रिकेट के पैंतीस सबसे शानदार खिलाड़ियों को अपनी 'वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट' से जोड़ लिया है. यही उन्होंने इंग्लैंड के साथ किया. वहां उनके एजेंट बने इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग. Tony Greig यह सब शुरू हुआ था 76 की सर्दियों में. और 77 की मई आते-आते पैकर के साथ विश्व भर के 35 सबसे बड़े खिलाड़ी जुड़ चुके थे. कमाल की बात ये थी कि ये सारा खेल अभी तक परदे के पीछे चल रहा था और अधिकृत बोर्ड को इसके बारे में खबर ही नहीं थी. और फिर हुआ धमाका.

मई 77 का धमाका

ये 9 मई 1977 का दिन था, जब पहली बार पैकर क्रिकेट की खबर मीडिया में ब्रेक हुई. ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम आने वाली गर्मियों के एशेज़ दौर की प्रेक्टिस में लगी थी. तभी धमाका हुआ कि टीम के 17 में से 13 प्लेयर पैकर के साथ करार कर चुके हैं. बोर्ड के लिए ये बड़ा झटका था. इंग्लैंड में टोनी ग्रेग को फ़ौरन कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया. वे इस साजिश के 'मास्टरमाइंड' बताए गए और उन्हें मीडिया में 'पैसे के लिए' खेलने वाला क्रिकेटर बनाकर टारगेट किया गया. मांग ये भी उठी कि जितने क्रिकेटर पैकर क्रिकेट से जुड़े हैं, जिसे मीडिया ने 'पैकर सर्कस' का नाम दिया था, उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बर्खास्त किया जाए. उधर ऑस्ट्रेलिया की टीम में तनाव चरम पर था और वो एशेज़ 0-3 से हारा.

कौन खिलाड़ी शामिल थे?

ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज की तो तकरीबन पूरी टीम ही पैकर के साथ चली गई. इंग्लैंड, पाकिस्तान और साऊथ अफ्रीका के भी सबसे शानदार खिलाड़ी पैकर क्रिकेट में शामिल थे. मजेदार बात थी कि भारत का एक भी खिलाड़ी कैरी पैकर के साथ शामिल नहीं हुआ. न्यूज़ीलैण्ड के भी सिर्फ रिचर्ड हैडली ही थे, जिन्होंने पैकर का हाथ थामा.

कोर्ट में क्रिकेट

जुलाई में खुद आईसीसी इस मामले में उतर आई. पहले उसने बातचीत से पैकर के साथ समझौता करने की कोशिश की, लेकिन बात बनी नहीं और आईसीसी ने जुलाई में पैकर सीरीज़ के मैचों को अनधिकृत करार देकर साथ में जोड़ा कि जो भी क्रिकेटर इन मैचों में खेलेगा उसे फर्स्ट क्लास और टेस्ट क्रिकेट से बैन कर दिया जाएगा. पैकर इसके खिलाफ कोर्ट में चले गए. टोनी ग्रेग, जॉन स्नो और माइक प्रॉक्टर ने इंग्लिश बोर्ड को कोर्ट में घसीट लिया. उन्होंने इसे अपने जीविका के अधिकार पर हमला बताया. खिलाड़ियों के पीछे पैकर के वकील थे. सितम्बर से नवम्बर पूरी दुनिया के मीडिया इन्ट्रेस्ट के साथ ये केस चला और आखिर में पैकर क्रिकेट के पक्ष में फैसला आया. लेकिन पैकर को भी कुछ हिदायतें दी गयीं. कि वो अपनी टीम को 'ऑस्ट्रेलिया' नहीं कह सकते, और मैचों को 'टेस्ट मैच' नहीं कह सकते. पैकर को क्रिकेट की अधिकृत रूलबुक भी यूज़ करने से मना किया गया, क्योंकि उनका कॉपीराइट एमसीसी के पास था.

पैकर ने क्या किया?

पैकर ने अपने टेस्ट मैचों को 'सुपरटेस्ट' का नाम दिया और अपने सलाहकार रिची बैनो से अपने क्रिकेट के लिए नई प्लेइंग कंडीशन लिखवाईं. 'अधिकृत टेस्ट' होने का अधिकार छीना जाना उनको क्रिकेट परंपरा से आज़ाद करने वाला साबित हुआ. मैच को मजेदार बनाने के लिए मैदान में फ़ील्डिंग सर्कल्स आ गए. यहीं से क्रिकेट का रूप रंग बदलने लगा. दूसरी बड़ी चुनौती थी मैदानों की. क्योंकि क्रिकेट के मैदान इस 'अनधिकृत क्रिकेट' के लिए मिलने मुश्किल थे. ऐसे में ऑस्ट्रेलियन रूल्स फ़ुटबाल के ग्राउंड क्रिकेट के लिए इस्तेमाल किए गए. और क्योंकि इन मैदानों में क्रिकेट पिच नहीं होती थी, और इतनी जल्दी मैदान पर क्रिकेट पिच बनाना असंभव होता है. पहली बार क्रिकेट में 'ड्रॉप-इन पिच' का कांसेप्ट आया. क्रिकेट पिच मैदान के बाहर स्टील ट्रे में तैयार होने लगीं.

पैकर सर्कस की लैगेसी

- पैकर क्रिकेट में खिलाड़ियों को स्टार बनाकर बेचा गया. डेनिस लिली, इमरान खान, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स जैसे खिलाड़ियों को आगे कर क्रिकेट मैचों को 'ग्लैडिटोरियल' इमेज देने की कोशिश की. सिडनी के 16 दिसम्बर के एक मैच में एंडी रॉबर्ट्स के बाउंसर ने डेविड हुक्स का जबड़ा तोड़ दिया. इस खतरनाक गेंदबाजी के चलते ही बल्लेबाजों ने सुरक्षा उपकरणों का सहारा लेना शुरू किया और हेल्मेट्स क्रिकेट का हिस्सा बन गए. - पैकर ने इस क्रिकेट को टीवी पर बेचने के लिए जो नए मार्केटिंग प्रयोग किये, वो बहुत कमाल थे. उन्होंने क्रिकेट के लिए एक एंथम सॉंग बनाया, और नए लोगो के साथ क्रिकेट को पहली बार मार्केट में किसी 'प्रोडक्ट' की तरह बेचा. यहां देखें वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट के लिए बनाया गया गाना, c'mon aussie c'mon. https://www.youtube.com/watch?v=cLLvKKBOneE - पैकर क्रिकेट ने सबसे पहले खिलाड़ियों को फिटनेस के गुर सिखाये और उनकी सेहत का स्तर सुधारा. लगातार चलती क्रिकेट ने खिलाड़ियों को मजबूर किया कि वे अपने आप को इस फ़ास्ट क्रिकेट के लिए फिट बनाएं. आगे जाकर इसी ने क्रिकेट को विश्व्यापी खेल बनाने में मदद की. क्रिकेटर पूरावक्ती खिलाड़ी बन गए. - पैकर को क्रिकेट ग्राउंड्स नहीं मिले मैच खेलने के लिए. नए फ़ुटबाल मैदानों पर क्रिकेट खेलने की मजबूरी ने 'ड्रॉप-इन पिच' का कांसेप्ट क्रिकेट में इंट्रोड्यूस किया. कई साल बाद जाकर ये ऑफिशियल टेस्ट मैच का भी हिस्सा बन गया. आज अधिकृत क्रिकेट भी इसके सहारे मैचों को रोमांचक बना रही है. - शुरुआत में तो पैकर क्रिकेट भी टेस्ट मैच फॉर्मेट में ही शुरू हुआ था. जिसे उन्होंने 'सुपर टेस्ट' नाम दिया. लेकिन जब 70,000 से ज्यादा की क्षमता वाले मैचों को देखने 2000 लोग पहुंचे तो पैकर ने अपनी रणनीति बदल दी. यहीं से डे एंड नाइट क्रिकेट का चलन शुरू हुआ. जिसे प्राइम टाइम पर परोसने के लिहाज़ से रचा जा रहा था. - डे एंड नाइट क्रिकेट आई तो साथ ही व्हाइट बॉल आई. दरअसल लाल रंग वाली गेंद जिससे टेस्ट क्रिकेट खेली जाती थी, उसे फ्लड लाइट की रोशनी में देखना मुश्किल था. सफेद बॉल आई तो sight screen का रंग भी बदल गया. और इसके साथ ही आई रंगीन ड्रेस, जिसने क्रिकेट का 'जेंटलमैन' टाइटल हमेशा के लिए बदल दिया. पहली बार देखी गई कलर्ड ड्रेस जब  78 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट में एकदिवसीय मैच खेलने के लिए उतरे. आज यही कलर्ड ड्रेस वनडे और टी-20 की पहचान है.

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