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हिमंता बनाम गौरव गोगोई: एक-दूसरे को पछाड़ने की ऐसी जंग, जिसमें अब निशाना पत्नियों पर है

Himanta Biswa Sarma Gaurav Gogoi Politics: इस पूरे विवाद को हिमंता और गोगोई के बीच प्रतिद्वंद्विता के महज एक पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए. दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुई थी, जब हिमंता, गौरव के पिता तरुण गोगोई के करीबी हुआ करते थे.

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Himanta Biswa Sarma Gaurav Gogoi
2023 में गौरव गोगोई ने हिमंता की पत्नी पर आरोप लगाए थे, 2025 में हिमंता ने गौरव की पत्नी पर आरोप लगाए हैं. (India Today NE)
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सौरभ
15 फ़रवरी 2025 (Updated: 15 फ़रवरी 2025, 12:50 PM IST) कॉमेंट्स
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“असम में पूरी पार्टी का ध्यान सिर्फ एक ही चीज पर है – कैसे अपने बेटे-बेटी को पार्टी का टिकट दिलाया जाए. लेकिन मेरे जैसे लोगों के लिए, जिनके पास कोई राजनीतिक विरासत नहीं, बल्कि एक विकसित देश और उभरते असम के लिए जुनून है, उनके लिए अब आगे बढ़ने का समय आ गया है…” 2015 में कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए अपने 1,600 शब्दों के इस्तीफे में हिमंता बिस्वा सरमा ने सोनिया गांधी को यह बात लिखी थी. बिना नाम लिए जिस नेता पर हिमंता उंगली उठा रहे थे, वो तब के असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई थे. और जिस बेटे को ‘सेट’ करने का उन्होंने आरोप लगाया, वो थे गौरव गोगोई. वही गौरव गोगोई जिनकी पत्नी पर हिमंता पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े होने का आरोप लगा रहे हैं.

13 फरवरी, 2025 को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ पर 12 साल तक UK की नागरिकता बनाए रखने और एक ऐसे संगठन में काम करने के आरोप लगाए, जिसके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संबंध होने की बात कही जा रही है. सोशल मीडिया साइट X पर लगातार पोस्ट करते हुए, सरमा ने बिना नाम लिए 2015 में गौरव गोगोई और भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त के बीच हुई बैठक का भी जिक्र किया.

हिमंता ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक लंबी पोस्ट में कहा,

"2015 में, भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पहली बार चुने गए एक सांसद और उनके स्टार्टअप 'Policy for Youth' को भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया. कुछ दिन बाद उनके स्टार्टअप ने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में एक लेख प्रकाशित किया. जिसमें सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से निपटने के तरीके की आलोचना की गई."

सरमा ने आगे कहा, 

"अगर गोगोई द्वारा संसद में पूछे गए सवालों पर गौर किया जाए, तो उनमें रक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति दिखती है. खास बात यह है कि ये घटनाएं तब हुईं जब उन्होंने एक ब्रिटिश नागरिक से शादी की, जिनका पेशेवर बैकग्राउंड और भी सवाल खड़े करता है."

एलिजाबेथ गोगोई पर निशाना साधते हुए सरमा ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान में समय बिताया है और एक ऐसे संगठन में काम किया, जिसे ISI से जुड़ी एक संस्था के तौर में जाना जाता है.

इस विवाद के केंद्र में एलिजाबेथ कोलबर्न हैं, जिनसे गौरव गोगोई ने 2013 में शादी की थी. एलिजाबेथ 2011 से 2015 के बीच क्लाइमेट डेवलपमेंट एंड नॉलेज नेटवर्क (CDKN) में काम कर चुकी हैं और इस दौरान उनका ज्यादातर समय पाकिस्तान में बीता. बीजेपी का आरोप है कि एलिजाबेथ ने अली तौकीर शेख के अधीन काम किया था, जो पाकिस्तान के योजना आयोग के पूर्व सलाहकार रह चुके हैं और जिनके ISI से कथित संबंध बताए जाते हैं.

सरमा ने आरोप लगाया कि एलिजाबेथ जिस CDKN में काम करती थीं, उसके एक सहयोगी संगठन को अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंडिंग मिली थी. बीजेपी काफी समय से आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस सोरोस के साथ मिलकर भारत की सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रही है.

इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री ने गोगोई की पत्नी की विदेशी नागरिकता के मुद्दे पर उन्हें घेरा. उन्होंने कहा कि IFS अधिकारियों को विदेशी नागरिकों से शादी करने की अनुमति है, लेकिन शर्त यह होती है कि उसके जीवनसाथी को छह महीने के भीतर भारतीय नागरिकता लेनी होगी. उन्होंने परोक्ष रूप से गौरव गोगोई की पत्नी का जिक्र करते हुए ट्वीट किया,

"किसी सांसद के विदेशी जीवनसाथी को 12 साल तक विदेशी नागरिकता बनाए रखने की अनुमति देना बहुत ज्यादा है. देश के प्रति वफादारी को हमेशा अन्य सभी बातों से ऊपर रखा जाना चाहिए."

गौरव गोगोई ने इन आरोपों को "हास्यास्पद" बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “अगर मेरी पत्नी पाकिस्तान की ISI एजेंट हैं, तो मैं भारत की RAW का एजेंट हूं.” उन्होंने कहा-

"अपनी कुर्सी खोने के डर से वह (हिमंता) मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में अभी एक साल बाकी है लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी कमजोर स्थिति में है और लोगों का पार्टी पर से विश्वास उठ रहा है. इसी वजह से मुझ पर यह हमला किया गया है."

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अपनी एलीज़ाबेथ के साथ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई. (X/Gaurav Gogoi)

इस पूरे विवाद को हिमंता और गोगोई के बीच प्रतिद्वंद्विता के महज एक पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए. दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुई थी, जैसा हमने शुरू में देखा.

पिता से वफादारी, बेटे से बैर!

आज जिस कांग्रेस को हिमंता बिस्वा सरमा पानी पी-पीकर कोसते हैं, 90 के दशक में हिमंता ने उसी से राजनीति की शुरुआत की थी. हिमंता कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़े. वह 2001 में पहली बार जालुकबाड़ी सीट से विधायक बने. विधानसभा पहुंचने के साथ ही हिमंता की नज़दीकियां मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से बढ़ती गईं. हिमंता 2001 से लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए और तरुण गोगोई भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने.

दूसरे ही कार्यकाल में हिमंता को कैबिनेट में जगह मिल गई. ना सिर्फ मंत्री बने मुख्यमंत्री गोगोई ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय हिमंता को सौंपे. कहा जाता है कि इस दौरान, सरमा तरुण गोगोई के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक बन गए. लेकिन अक्सर इस तरफ की राजनीतिक मित्रताओं में 'पुत्रमोह' आड़े आ जाता है.

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तरुण गोगोई के साथ हिमंता बिस्वा सरमा की पुरानी तस्वीर. (X/@himantabiswa)

2011 के असम विधानसभा चुनावों के बाद हिमंता बिस्वा सरमा और तरुण गोगोई के संबंधों में दरार आ गई. माना जाता है कि तरुण गोगोई अपने बेटे गौरव को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे. 2011 विधानसभा चुनाव के दौरान गौरव ने भी सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार किया और राजनीति में उनकी एंट्री हुई. हिमंता भी चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए गौरव के साथ दिखे. कांग्रेस ने 126 में से 79 सीटें जीतीं.

2012 में, गौरव ने आधिकारिक तौर पर कांग्रेस जॉइन की और उन्हें अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा. गौरव ने 2014 के लोकसभा चुनावों में कालीयाबोर सीट से अपनी संसदीय पारी की शुरुआत की और आसानी से जीत दर्ज की. इस दौरान हिमंता धीरे-धीरे किनारे होते जा रहे थे और आखिरकार उन्होंने 2015 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.

हिमंता ने बीजेपी का दामन थामा. सर्बानंद सोनोवाल की सरकार में मंत्री बने. और वादे के मुताबिक 2021 चुनाव में बीजेपी ने उन्हें असम का मुख्यमंत्री बनाया.

पत्नी पर आरोप के बदले पत्नी पर आरोप!

13 सितंबर, 2023 को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की पत्नी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें 'किसान संपदा योजना' के तहत ₹10 करोड़ की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी मिली. गोगोई ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने एक निजी कंपनी को यह सब्सिडी दी, जिसमें मुख्यमंत्री की पत्नी रिंकी सरमा की हिस्सेदारी है.

गोगोई के आरोप की बुनियाद एक वेबसाइट 'क्रॉस करंट' की रिपोर्ट पर टिकी थी. वेबसाइट ने दावा किया था कि 'प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट' नाम की कंपनी, जिसमें सरमा की पत्नी मेजॉरिटी स्टेकहोल्डर हैं, ने कालीयाबोर मौजा में करीब 10 एकड़ कृषि भूमि खरीदी थी. फरवरी 2022 में यह जमीन खरीदी गई थी, यानी हिमंता के मुख्यमंत्री बनने के नौ महीने बाद. हिंदुस्तान टाइम्स ने क्रॉस करंट के हवाले से लिखा कि- कृषि भूमि को कुछ महीनों में औद्योगिक भूमि में बदल दिया गया और फिर 'प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट' ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत सब्सिडी के लिए आवेदन किया. 10 नवंबर 2022 को केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने इस कंपनी को ₹10 करोड़ की सब्सिडी मंजूर कर दी.

Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma wife Riniki Bhuyan PrideEast Entertainments
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा अपनी पत्नी रिंकी भुयान के साथ. (India Today)

गोगोई के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इन दावों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि न तो उनकी पत्नी और न ही उनकी कंपनी को केंद्र सरकार से कोई वित्तीय सहायता या सब्सिडी मिली है. 10 दिन बाद मुख्यमंत्री की पत्नी ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर 10 करोड़ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया.

जोरहाट लोकसभा चुनाव

2024 आम चुनाव के दौरान, सरमा और उनके मंत्रिमंडल ने गोगोई को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. परिसीमन के कारण गोगोई को अपनी पारंपरिक सीट कालीयाबोर छोड़कर जोरहाट से चुनाव लड़ना पड़ा. तमाम चुनौतियों के बावजूद, कांग्रेस सांसद ने बीजेपी के तपन कुमार गोगोई पर बड़ी जीत दर्ज की. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 1.44 लाख वोटों से हराया. गोगोई की ये जीत बीजेपी की हार से ज्यादा सरमा के लिए राजनीतिक झटका माना गया.

द प्रिंट ने असम के एक बीजेपी नेता के हवाले से लिखा- हिमंता बिस्वा सरमा ने इस चुनावी परिणाम को ‘व्यक्तिगत हार’ के रूप में लिया. उन्होंने कहा, "यह दिखाता है कि वे किसी भी हाल में गोगोई को हराना चाहते हैं."

पिछले लोकसभा चुनाव में एक और बात पर गौर किया जाना चाहिए. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बाद हिमंता ही बीजेपी के सबसे फायरब्रैंड मुख्यमंत्री माने जाते हैं. 2019 की तरह ही इस बार भी असम में बीजेपी ने 9 सीटें जीतीं. कांग्रेस के खाते में पिछली बार की तरह ही तीन सीटें आईं. अंतर बेहद मामूली था लेकिन राज्य में इस बार कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले. कांग्रेस को 37.48 प्रतिशत वोट मिले, जबकि बीजेपी को 37.43. हिमंता की लोकप्रियता बढ़ने के बावजूद बीजेपी को कांग्रेस से कम वोट मिले.

झारखंड विधानसभा चुनाव

एक तरफ हिमंता और गोगोई एक दूसरे को गिराने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. दूसरे तरफ दोनों की पार्टियां भी उन्हें इस 'खेल' में हर संभव मौका दे रही हैं. 2024 के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए. हेमंत सोरेन जेल से निकलकर वापस मुख्यमंत्री बनकर चुनाव लड़ रहे थे. इस चुनाव में बीजेपी ने हिमंता को असम से सह-प्रभारी बनाकर झारखंड भेजा. और इसे संयोग कहिए या प्रयोग राज्य में कांग्रेस के सह-प्रभारी थे गौरव गोगोई.

चुनाव के दौरान हिमंता बिस्वा सरमा खूब मेहनत करते नज़र आए. अखबरों में उनके नाम से सुर्खियां भी खूब छपीं. लेकिन बीजेपी को झारखंड में सफलता नहीं मिली. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन ने जीत दर्ज की. वैसे तो झारखंड में JMM और बीजेपी मुख्य प्रतिद्वंदी थे, मगर हिमंता और गोगोई की प्रतिद्वंद्विता में हिमंता को एक बार फिर निराशा हाथ लगी.

वीडियो: जमघट: संसद, अमित शाह, BJP और हिमंता बिस्वा सरमा पर गौरव गोगोई ने क्या खुलासे किए?

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