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"मेरा दिल ही मेरी प्रयोगशाला है..." International Booker Prize जीतने वाली भारतीय लेखिका ने क्या बताया?

International Booker Prize: भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक को कहानियों की उनकी किताब, “हार्ट लैम्प” के लिए साल 2025 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है. “हार्ट लैंप” में 12 छोटी-छोटी कहानियां हैं. बानू मुश्ताक दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदायों में महिलाओं और लड़कियों के रोज़मर्रा के जीवन का ब्यौरा देती हैं. किताबों की दुनिया का सबसे बड़ा अवॉर्ड जीतने वाली इस पुस्तक के कुछ अंश इस लेख में पढ़िए.

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Heart Lamp by Banu Mushtaq, translated from Kannada by Deepa Bhasthi, is the 2025 winner of the International Booker Prize
हार्ट लैम्प की लेखिका बानू मुश्ताक और अनुवादक दीपा भास्थी. (फोटो- thebookerprizes.com)
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दीपक तैनगुरिया
21 मई 2025 (Updated: 22 मई 2025, 06:51 PM IST) कॉमेंट्स
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“मेरे लिए रिसर्च का अर्थ ज्यादा से ज्यादा जानकारियां इकट्ठा करना नहीं है, मेरा दिल ही मेरी प्रयोगशाला है.” ये बात कहने वालीं भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक को कहानियों की उनकी किताब, “हार्ट लैम्प” के लिए साल 2025 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize 2025) मिला है. ये अवार्ड पाने वाली वे दूसरी भारतीय हैं. इससे पहले साल 2022 में गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास “रेत समाधि” के लिए ये पुरस्कार मिला था. 

बुकर पाने वाली पहली भारतीय अनुवादक

इस अवार्ड के नियमों में एक शर्त ये होती है कि किताब का अंग्रेजी में होना अनिवार्य है, भले ही वो मूल रूप से किसी भी भाषा में लिखी गई हो. इसी वजह से ‘हार्ट लैम्प’ का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाली दीपा भास्थी को भी ये पुरस्कार मिला है. वह अंतरराष्ट्रीय बुकर पाने वाली पहली भारतीय अनुवादक हैं. 

इसके अलावा हार्ट लैंप छोटी-छोटी कहानियों के संग्रह की पहली ऐसी किताब है, जिसे ये अवार्ड मिला है. अभी एक और रिकॉर्ड बचा है. वो ये कि मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी गई किसी किताब को पहली बार ये अवार्ड मिल रहा है.

क्या है इस किताब में?

“हार्ट लैंप” में 12 छोटी-छोटी कहानियां हैं. बानू मुश्ताक दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदायों में महिलाओं और लड़कियों के रोज़मर्रा के जीवन का ब्यौरा देती हैं. मूल रूप से 1990 से 2023 के बीच कन्नड़ भाषा में लिखी गईं, ये कहानियां महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी अथक लड़ाई और जाति व धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ उनके विरोध को दर्शाती हैं. 

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इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ कार्यक्रम में लेखिका और अनुवादक.  

हार्ट लैंप में जो कहानियां हैं, वे छह कहानी संग्रहों की लगभग 50 कहानियों में से चुनी गईं हैं. बानू की लेखन-शैली अलग-अलग फूलों से सजे एक बगीचे की तरह है. जिसमें विट है, जीवंतता है, भावुक कर देने वाली कटु आलोचना है. उनके किरदार किसी परायी भाषा में बात नहीं करते, इसलिए उनका लिखा आपको जकड़ता है. 

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उनके किरदारों में भी रेंज है, चंचल बच्चे, हिम्मत से भरी दादी-नानी, मूर्ख मौलवी, गुंडे भाई, अक्सर भोले पति और सबसे बढ़कर माएं, जो भारी भावनात्मक कीमत चुकाकर जीवित रहती हैं. इन सब किरदारों के जरिए अपनी बात कहना, उन्हें मानव स्वभाव का एक गंभीर द्रष्टा बनाती हैं.

कौन हैं बानू मुश्ताक?

बानू मुश्ताक दक्षिण भारत के कर्नाटक की रहने वाली हैं. वे पेशे से एक लेखिका, वकील और महिला-अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट हैं. उन्हें 1970 और 1980 के दशक में दक्षिण-पश्चिमी भारत के साहित्यिक हलकों में एक लेखिका के तौर पर जाना गया. जाति और वर्ण व्यवस्था की आलोचना से जन्मे बंदया साहित्य आंदोलन ने कई प्रभावशाली दलित और मुस्लिम लेखकों को जन्म दिया, मुश्ताक उन कुछ महिलाओं में से एक थीं.

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बानू मुश्ताक. (फोटो- सोशल मीडिया)

मुश्ताक अब तक छह कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह लिख चुकी हैं. वे मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखती हैं और उनके साहित्यिक कार्यों के लिए उन्हें कर्नाटक साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिल चुका है.

कौन हैं दीपा भास्थी?

हार्ट लैम्प का अंग्रेजी में अनुवाद करने वालीं दीपा भास्थी दक्षिण भारत के कोडागु में रहने वाली हैं. वे पेशे से एक लेखिका और अनुवादक हैं. भास्थी के स्तंभ, निबंध और सांस्कृतिक आलोचना के लम्बे लेख देश-विदेश में प्रकाशित हुए हैं.

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दीपा भास्थी. (फोटो- सोशल मीडिया)
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की क्या कहानी है?

विश्व स्तर पर बेहतरीन फिक्शन को सम्मानित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार साल 2005 में शुरू हुआ था. ये पुरस्कार हर साल एक ऐसी किताब को दिया जाता है, जो किसी अन्य भाषा में लिखी गई हो और अंग्रेजी में अनुवादित होकर यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित हुई हो. यहां एक बात ध्यान देने की है, बुकर पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार में अंतर है. मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गयी किताब (अमूमन उपन्यास) को बुकर पुरस्कार दिया जाता है. वहीं किसी अन्य भाषा से अनुवादित होकर आई किताब (उपन्यास हो चाहे कहानियां) को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलता है. 
 

किताब का एक अंश

अंत में हम आपको हार्ट लैम्प के एक अंश के साथ छोड़े जाते हैंः

कंक्रीट के जंगल से, आग की तरह ऊंची इमारतों से जो गत्तों की पेटियों की तरह आकाश से टकरा रही थीं, धुआं उगलते और हॉर्न बजाते वाहनों से जो दिन-रात चलते रहते थे, जैसे जीवन का एकमात्र लक्ष्य निरंतर गतिमान रहना ही हो. इस इंसान से उस इंसान तक, फिर अगले इंसान तक, फिर दूसरे इंसान तक, लगातार मूव करना. ऐसे  लोगों से जिनमें एक-दूसरे के प्रति कोई प्यार नहीं, कोई आपसी विश्वास नहीं, कोई सामंजस्य नहीं, एक-दूजे के लिए कोई मुस्कुराहट भी नहीं. मैं इस दमघोंटू जीवन से मुक्त होना चाहती थी. इसलिए जब मुजाहिद ने तबादले की खबर दी, तो मैं सचमुच बहुत खुश हुई.

अरे, मैं तो भूल ही गई. मैं आपको मुजाहिद के बारे में सब बताना चाहती हूं, है ना? मुजाहिद मेरे घर का आदमी है. ओह, यह अजीब लगता है न. पत्नियां ही आमतौर पर घर पर रहती है, इसलिए वे घरेलू बन जाती है. शायद मुजाहिद मेरा ऑफिस का आदमी है। छिः! मैंने फिर से गलती की है. आखिरकार, ऑफिस भी तो मेरा नहीं है. मैं इसे और कैसे कहूं? अगर मैं यजमान शब्द का उपयोग करती हूं और उन्हें मालिक कहती हूं, तो मुझे एक नौकर बनना होगा, जैसे मैं एक जानवर या कोई कुत्ता हूं. मैं थोड़ी पढ़ी-लिखी हूं. मैंने डिग्री हासिल की है. मुझे ये मालिक और नौकर की भूमिकाएं पसंद नहीं हैं.

तो फिर क्या मैं “गन्दा” शब्द का उपयोग करूं? वह भी बहुत भारी शब्द है, जैसे मेरे लिए एक बड़ा संकट आने वाला है. लेकिन क्यों इतनी परेशानी में पड़ना? आप सुझाव दे सकते हैं कि मैं इसके लिए अच्छा शब्द 'पति' का उपयोग करूं, लेकिन फिर, आपके घर आने वाली कोई महिला यह नहीं कहती है कि "यह मेरा पति है" - है ना? यह शब्द बहुत आम नहीं है. यह एक बहुत ही किताबी शब्द है. अगर कोई पति शब्द का कहता है, तो देवता जोड़ने की इच्छा होती है, अपने पति को भगवान के साथ बराबरी करना! मैं मुजाहिद को इतना ऊंचा दर्जा देने को तैयार नहीं हूं.

अगर सोचा जाए तो हमारे लिए, यानी मुसलमानों के लिए, कहा जाता है कि अल्लाह के अलावा, पति पृथ्वी पर ईश्वर है. मान लीजिए कि ऐसी स्थिति आती है जहां पति के शरीर में घाव हैं, उनसे मवाद और खून निकल रहा है, कहा जाता है कि अगर पत्नी अपनी जीभ से इन घावों को साफ करे, तब भी वह अपने पति के प्रति अपना कर्ज पूरी तरह से नहीं चुका पाएगी. अगर वह शराबी है या अन्य महिलाओं से भी संबंध रखता है, या अगर वह हर दिन दहेज के लिए उसे परेशान करता है, अगर ये सभी 'अगर' सच हैं, तो भी वह पति है. किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति के लिए यह स्वीकार किया जाता है कि पत्नी पति की सबसे आज्ञाकारी नौकरानी है, उसकी बंधुआ मजदूर है.

भारतीय समयानुसार 21 मई की अलसुबह ढाई बजे लंदन के टेट मॉडर्न में इस पुरस्कार की घोषणा हुई. इस अवॉर्ड की 50,000 पाउंड्स माने लगभग 56 लाख रुपये की अवॉर्ड मनी को अनुवादक और लेखक के बीच में बराबर रूप से बांटा जाता है. इस साल की शॉर्टलिस्ट में छह किताबें थीं, जिनमें से हार्ट लैंप के हिस्से में ये ख़िताब आया है. हर हिन्दुस्तानी को बधाई.

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