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इंग्लिश में नोहे पढ़ती हैं ये बच्चियां, दुनियाभर में मची है धूम

बड़े खूबसूरत तरीके से करबला की जंग के बारे में बताती हैं हाशिम सिस्टर्स.

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फोटो - thelallantop
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11 अक्तूबर 2016 (Updated: 11 अक्तूबर 2016, 11:30 AM IST) कॉमेंट्स
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मुहर्रम चल रहा है और हाशिम सिस्टर्स के नोहे आजकल सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. ख़ासकर इंग्लिश में पढ़ा गया उनका नोहा 'वी आर दि शिया ऑफ अली'. हाशिम सिस्टर्स पाकिस्तानी मूल की है. हाशिम सिस्टर्स तीन बहनें हैं, जिनमें सबसे बड़ी का नाम है माहम. माहम हाशिम सिस्टर्स की हर वीडियो में सेंटर में दिखती हैं. उनसे छोटी हैं अदीया और सबसे छोटी हैं सानिया.

इन बहनों की पैदाइश तो पाकिस्तान की है पर बचपन से अब तक की परवरिश ब्रिटेन में हुई है. हाशिम सिस्टर्स की खास बात ये है कि वो चार अलग-अलग भाषाओं में नोहा पढ़ती हैं. इनके नोहे इंग्लिश, उर्दू, फारसी और अरबी में हैं. हाशिम सिस्टर्स का इंग्लिश में वो नोहा जिसे इंटरनेशनल लेवल पर पॉपुलैरिटी मिली है, वो है 'वी आर द शिया ऑफ अली.' ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है. इस नोहे में शिया सेक्ट की पूरी डेफिनीशन है.

https://www.youtube.com/watch?v=AMpRExd3X8Y

'वी आर द शिया ऑफ अली' नोहे का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है:

हम अली को मानने वाले शिया हैंहमें कोई नहीं रोक सकता, आपका नाम लेने से.हम आपके परचम को और ऊंचा लहराएंगे,तब तक लहराएंगे जब तक आसमान को न छू ले.

हम जानते हैं कि हमें सताया जाएगा और तकलीफ दी जाएगी,पर ये सब हमें रोक नहीं सकतीं आपका नाम लेने से.हम आपके परचम को और ऊंचा लहराएंगे,तब तक लहराएंगे जब तक आसमान को न छू ले.

ये एक मजबूत जुड़ाव है,आशा की लकीर है, उस जंग के लिए जिसे हम लड़ रहे हैं.हमारी नज़रों में आप ही हमारी ताकत होऔर हम कभी नहीं हारेंगे.

हमारे इमाम अली हैं, यही हमारा प्राइड और डिग्निटी है,हम हर दर्द और कठिनाइयों को सह लेंगे.उनका नाम हम तह-ए-दिल से लेते हैंऔर वो हमारी तकलीफों को सुनते हैं.

या अली या अली...


इसके अलावा भी हाशिम सिस्टर्स के कुछ इंग्लिश नोहे हैं जो बहुत मशहूर हुए. उनमें से एक है 'इन करबला', जिसमें करबला की जंग का ज़िक्र है. इस वीडियो में करबला की जंग के बारे में इंग्लिश में बताया गया है, जिससे इंटरनेशनल लेवल पर लोग करबला की कहानी जान सकें. 12 अक्टूबर को तो मोहर्रम भी है, जब करबला की जंग की याद में मातम मनाया जाता है.

https://www.youtube.com/watch?v=OXQzFCfPjDw

हाशिम सिस्टर्स का इंग्लिश में तीसरा नोहा 'टू सर्व यू हुसैन' है, जिसमें इमाम हुसैन की बहादुरी और कैसे एक शिया उन्हें अपना आइडल मानता है, इसका ज़िक्र है.

https://www.youtube.com/watch?v=zLir6jbPKck

चौथा इंग्लिश नोहा 'फॉर यू ओ जैनब' है, जिसमें जैनब (हुसैन की बहन) के बारे में बताया गया है, उनके त्याग और बहादुरी को दिखाया गया है कि कैसे वो एक औरत होकर भी अपने भाई हुसैन और हसन की शहादत के बाद करबला में अपने कारवां को लीड करती हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=1o8tlSQ2oLk

इनके अलावा भी हाशिम सिस्टर्स के कई इंग्लिश नोहे हैं. खास बात ये है कि इंग्लिश में होने की वजह से इसे पूरी दुनिया के लोग सुन रहे हैं और करबला की ऐतिहासिक जंग को इन नोहों से जान पा रहे हैं. इसके अलावा हाशिम सिस्टर्स के उर्दू, फारसी और अरबी में भी नोहे हैं. हाशिम सिस्टर्स का उर्दू में सबसे मशहूर नोहा है 'या हुसैन या हुसैन', जिसमें हाशिम सिस्टर्स हुसैन के लिए अपने प्यार का जिक्र कर रहीं हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=jx765ERxe2A

दूसरा उर्दू नोहा है 'मेरे बाबा का अज़ादार', जिसमें इमाम अली को याद किया गया है.

https://www.youtube.com/watch?v=dC2-0r3I6OA

जिन्हें नोहा के बारे में नहीं पता है, उन्हें बता दें कि नोहा एक पोएट्री है, जिसमें करबला की जंग में इमाम हुसैन पर हुए जुल्म की दास्तान बयां की जाती हैं. इम्पॉर्टेन्ट बात ये है कि नोहा शिया मुस्लिम में ही पढ़ा जाता है. खासकर मुहर्रम में मातम के दौरान. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम महीने की 10 तारीख को हुसैन करबला के मैदान में यज़ीद के खिलाफ जंग लड़ते हुए शहीद हुए थे. मुहर्रम के दिन शिया हुसैन की याद में मातम मनाते हैं.

शिया इमाम अली को अपना पहला इमाम मानते हैं. नोहा पढ़ने का भी एक ख़ास तरीका होता है, जिसमें उसे पढ़ने वाले जोर-जोर से अपनी छाती पीटते हैं और उनकी आंखे आंसुओं से भीग जाती हैं. ये उनका अंदाज़ होता है हुसैन को याद करने का. हाशिम सिस्टर्स के पेरेंट्स का कहना है कि जब ये लड़कियां छोटी थीं और वो घर में नोहा पढ़ते थे तो ये बहनें उन्हें फॉलो करती थीं और रो देती थीं. फिर जैसे-जैसे बड़ी होती गईं, खुद-ब-खुद इनका रुझान दीनी बातों की तरफ होने लगा. खुद से ही नोहा लिखने लगीं और आज इस मुकाम पर पहुंच गईं कि पूरा वर्ल्ड उन्हें हाशिम सिस्टर्स के नाम से जानने लगा.


दी लल्लनटॉप के लिए ये स्टोरी आदित्य प्रकाश ने लिखी है.

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