The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Former Dr. Manmohan Singh predicted 2 percent point fall in gdp growth due to demonetization

मोदी ने मजाक उड़ाया था, GDP पर मनमोहन सिंह की बात सच साबित हुई

मोदी ने कहा था-बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने की कला मनमोहन जी के अलावा कोई नहीं जानता.

Advertisement
Img The Lallantop
मनमोहन ने राज्यसभा में नोटबंदी पर कहा था, 'हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं है पर लोगों को हो रही समस्‍याओं का समाधान जरूरी है.' (फोटो- पीटीआई)
pic
गौरव
31 अगस्त 2019 (Updated: 31 अगस्त 2019, 05:19 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
30 अगस्त 2019. जीडीपी के आंकड़े आए. मोदी सरकार के लिए सिरदर्द. सिरदर्द इसलिए कि इस बार आंकड़े 5 फीसद पर आ गए हैं. मोदी सरकार में यह अपने सबसे निचले स्तर पर है. विपक्ष सरकार को घेर रहा है. और सरकार इनसे बचने के बहाने खोज रही है. लेकिन जीडीपी में गिरावट की भविष्यवाणी दो साल पहले ही कर दी गई थी. और ये भविष्यवाणी की थी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने. तब, जब इस गिरावट की स्क्रिप्ट लिखी जा रही थी.
24 नवंबर 2016. नोटबंदी हुए 16 दिन बीत चुके थे. देश की जनता एटीएम और बैंकों के चक्कर काट रही थी. और संसद में नोटबंदी पर बहस चल रही थी. राज्यसभा में भाषण देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया. उन्होंने कहा,
इससे देश की जीडीपी में लगभग दो फीसद की गिरावट आएगी. और ये आंकड़ा अनुमान से कम ही है, अधिक नहीं. जिस तरह से सरकार हर दिन नए नियम बना रही है, उससे यही लग रहा है कि नोटबंदी को लागू करने से पहले कोई रणनीति नहीं बनाई गई थी. जिसकी वजह से सरकार इसे लागू कर पाने में असफल रही. मैं नोटों को रद किए जाने के उद्देश्य से असहमत नहीं हूं. लेकिन इसे ठीक तरह से लागू नहीं किया गया.
उन्होंने नोटबंदी को मान्यमेंटल मिसमैनेजमेंट ( गलत तरीके से किया गया प्रबंधन, जिसे कभी भूला नहीं जा सकता) बताया. बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री की बातों को सिरे से नकार दिया था. तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे लॉन्ग टर्म में अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद बताया था. साथ ही पीएम मोदी ने भी डॉ. मनमोहन सिंह पर तंज कसा था. फरवरी 2017 में संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए पीएम ने कहा था,
मनमोहन सिंह जी पूर्व पीएम हैं, आदरणीय हैं. पिछले 30-35 साल से भारत के आर्थिक फैसलों के साथ उनका सीधा संबंध रहा है. आधा समय उनका ही दबदबा था, ऐसा देश में कोई नहीं रहा होगा. लेकिन हम राजनेता मनमोहन सिंह से सीख सकते हैं. मनमोहन पर कभी कोई दाग नहीं लगा. बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाना ये कला मनमोहन जी के अलावा कोई नहीं जानता.
हर तीन महीने पर सरकार जारी करती है जीडीपी के आंकड़े. सांकेतिक तस्वीर.
हर तीन महीने पर सरकार जारी करती है जीडीपी के आंकड़े.                    (सांकेतिक तस्वीर.)

क्या होती है जीडीपी? 
जीडीपी मतलब ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट. शुद्ध हिंदी में कहें तो सकल घरेलू उत्पाद. इसकी गिनती हर तीन महीने में होती है. देखा जाता है कि देश का कुल उत्पादन पिछली तिमाही की तुलना में कितना कम या ज्यादा है. भारत में कृषि, उद्योग और सेवा तीन अहम हिस्से हैं, जिनके आधार पर जीडीपी तय की जाती है. इसके लिए देश में जितना भी एक आदमी खर्च करता है, कारोबार में जितने पैसे लगाता है और सरकार देश के अंदर जितने पैसे खर्च करती है उसे जोड़ दिया जाता है. इसके अलावा और कुल निर्यात (विदेश के लिए जो चीजें बेची गईं है) में से कुल आयात (विदेश से जो चीजें अपने देश के लिए मंगाई गई हैं) को घटा दिया जाता है. जो आंकड़ा सामने आता है, उसे भी ऊपर किए गए खर्च में जोड़ दिया जाता है. यही हमारे देश की जीडीपी है.
सच साबित हो रही डॉ. मनमोहन सिंह की बात?
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है. मोदी सरकार में यह सबसे निचले स्तर पर है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी किया है. पहले चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया था. वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी. यानी नोटबंदी के बाद से लगातार जीडीपी में गिरावट आई है. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है.
5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का है लक्ष्य 
ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत के जीडीपी अनुमान को घटा रही हैं. हाल ही में इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मॉनसून की बारिश अपेक्षा से कम, मैन्युफैक्चरिंग में कमी आदि की वजह से लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है.
सबसे मजेदार बात ये है कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा हुआ है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसद की ग्रोथ रेट होनी चाहिए.


वीडियो: क्या भारत की इकॉनमिक्स क्राइसिस में खराब कॉरपोरेट गवर्नेंस की भूमिका है? 

 

Advertisement