जिदान को उस रोज़ स्वर्ग से निष्कासित देवता के आदमी बनने की खुशी थी
सामने की टीम का लड़का उसकी कमीज खींच रहा था, इसने कहा चाहिए क्या मैच के बाद देता हूं..
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Zinedine Zidane के करियर का सबसे खराब मोमेंट माना जाता है ये हेडबट
और वो भी ऐसा लारा लप्पा कि गोल्डन डरेस पहने गोली की चोक ले गई. कोई सनसनाता शॉट नहीं. धुप्प. घूर्णन करती गेंद गई. और लाइन के पीछे खड़ी गिर गई. और उसके बाद स्टेडियम नर्रा उठा.पर मैच जारी था. थोड़ी देर बाद इटली वाले गोल मार मैच बराबर कर लिया. हमला दोनों तरफ से जोरों पर था. पर तभी कुछ ऐसा हुआ कि सब सटपट. जिदान ने इटली के प्लेयर मार्को की छाती में भाड़ से मारा मूड़. मार्को डले नीचे. फिर क्या. चलन दो गाड़ी फटन दो टायर वाला हिसाब. पींपीं करते आ गए रेफरी. लाल कार्ड नजर आया. जिदान बाहर. मैच बराबर. मामला पेनल्टी पर अड़ा. जहां इटली 5-3 से जीत गया. सबने कहा. बड़ा लुल्ल है यार ये आदमी. ऐसा कैसा गुस्सा. मारना था तो कल मार देते, परसों मार देते. ये क्वेश्चन तो न उठता विधानसभा में. कोच कबीर खान के लिए उसी वक्त ये डायलॉग लिखा गया. 11 के 10 करा के चले आए. पर जिदान का बीपी क्यों बढ़ा. वीडियो देखें पहले. कहानी पीछे ले चलते हैं. हिंदी फिलिम की तरह. 30 साल. जिदान मार्सेय में रहता था. आसपास घुटी घुटी भीड़. जब स्कूल जाता तब पापा आते. ड्यूटी करके. स्टोर में चौकीदार थे. मम्मी घर पर रहतीं. एक दिन जिदान की बहन स्कूल नहीं गई. जुकाम हो गया था. उस दिन गर्दन खूब घूमी. टिफिन खतम तो मैदान में चला गया. वहां बड़े लड़के गेंद खेल रहे थे. फुटबॉल. जिदान घूरता रहा. इतवार आया. तो कॉलोनी के बीच वाले मैदान में पहुंच गया. गेंद खेलने. बड़े लड़कों के साथ. खेलता क्या. कंधे छीलता. सिर पक्का करता. गेंद आती. पीछे सब आते. जिदान रेला झेलता. और गिर पड़ता. फिर एक दिन वो रेला आने से पहले गेंद लेकर दौड़ गया. और ऐसा चिंग लगाकर दौड़ा कि 9 साल में क्लब, फिर बड़ी लीग और फिर देश की टीम. सब ठीक हो गया लगता था. मार्सेय के लड़के. नशा. बंदूक. गली के गैंग. गुंडई. पीछे छूट गए. जिदान गेंद लिए बढ़ रहा था. उसके फेंफड़ों में धुंआ नहीं था. धुली घास से ऊपर उठती ऑक्सीजन थी. नशे सी चढ़ती. वो सांस खींचता और गदबद. गेंद कभी पैर, तो कभी सिर को सहलाती.
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इस एक सेकंड एक मुलुक की नींद टूटी. उसे ध्यान आया. ये जो है. ये देवता सा दिखता है. पर है आदमी ही. सबकी आस थी. एक बार फिर सोने की गूमड़ सी ट्रॉफी आएगी. मगर नायक करिश्मा दोहरा नहीं पाया.अखबारों में लिखा गया. हम अपने बच्चों को क्या बताएं. ये तुमने कैसा उदाहरण पेश किया. तुम्हारे जैसे इंसान ने ऐसा कैसे कर दिया. लेकिन जब उसके अपनों को पता चला. कि हुआ क्या था. तो कप वप सब भूल गए. और जिदान जिदान चीखते हुए सड़कों पर उतर आए. जिदान रोया. मुस्काया भी होगा. ये स्वर्ग से निष्कासित देवता के आदमी बनने की खुशी थी. 23 जून 1972 को पैदा हुए जिदान को हैप्पी वाला बड्डे. इसलिए हर कहीं फिर यार का जिक्र है.
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