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प्रधानमंत्री के पद्ममासन के चक्कर में राहुल गांधी ने अपनी भद्द पिटा ली

पद्मासन के बारे में ठीक से जान लीजिए.

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पिक्चर: whxgjd.com
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निखिल
11 जनवरी 2017 (Updated: 12 जनवरी 2017, 08:09 AM IST) कॉमेंट्स
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राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी से पद्मासन नहीं होता. और जो पद्मासन नहीं कर सकता, वो योग नहीं कर सकता. गूगलाए तो प्रधानमंत्री पद्मासन में बैठे मिल गए. क्यों ना मिलते, पद्मासन में बैठा हुए आदमी खिले हुए कमल की तरह दिखता है. और मोदी जी से ज़्यादा खिला हुआ कमल कहीं हुआ है भला!
खिला हुआ कमल. पिक्चर: You and Yoga
खिला हुआ कमल.

पिक्चर: You and Yoga

'पद्म' और 'आसन' मिला कर बना है पद्मासन. पद्म माने कमल होता है और आसन माने आसन. नहीं समझ रहे तो आसन माने मुद्रा, पोस्चर.

राहुल ने कहा तो हमारा ध्यान गया. वैसे न भी कहते तब भी सबको पद्मासन सुना-सुना तो लगता ही है. शनिवार के दिन आखिरी के दो पीरियड्स में स्कूल जो नाना प्रकार के काम करवाते हैं, उनमें योग भी होता है. तो सबने पद्मासन ट्राय कर रखा है. इसके अलावा आंख बंद कर के 'योग' शब्द कहेंगे तो दिमाग में जो फोटू आती है, उसमें आदमी पद्मासन में ही बैठा होता है. आज राहुल के कहने पर मौका आया है, तो पद्मासन का पूरा आगा-पीछा जान लीजिए. सच्ची में बड़े काम की चीज़ है.


पद्मासन - बैठो तो जानें:

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पद्मासन दूर से ऐसा दिखता है कि कोई आलथी-पालथी मारकर बैठा है. आराम से. लेकिन आराम वालों से पद्मासन में नहीं बैठा जाता. पद्मासन में बैठते वक़्त पहले दायां पैर बायीं जांघ पर रखते हैं, तलवे ऊपर की ओर उठाए हुए. फिर इसी तरह बायां पैर दाईं जांघ पर. ऐसा करने के बाद आपके दोनों घुटने ज़मीन पर लगे होने चाहिए. पीठ सीधी. हाथ घुटनों पर गोद में रख सकते हैं. खिले हुए कमल की तरह. माने ज़्यादा टेक्निकल मामला नहीं है. लेकिन हर दूसरा आदमी ठीक से कर ले, इतना आसान भी नहीं है. ज़्यादातर लोग एक घुटना ज़मीन पर लगा पाते हैं. दूसरा ज़रा सा उठा रहता है.


ठीक से किया जाए तो प्राणायाम और ध्यान के लिए पद्मासन सबसे सही मुद्रा समझी जाती है. इसीलिए मूर्तियों-तस्वीरों में योगियों को पद्मासन में बैठे दिखाया जाता है.

कित्ता
पुराना है:

पद्मासन कब से किया जा रहा है, ठीक बता पाना मुश्किल है. लेकिन ईसा से 200 साल पहले के दस्तावेजों में पद्मासन का ज़िक्र मिलता है, जैसे 'योग याज्ञवल्क्य'. सभी पुराणों में पद्मासन का कहीं ना कहीं ज़िक्र आता है. बीते ज़माने की कई मूर्तियों में शिव, गौतम बुद्ध और जैन तीर्थंकर पद्मासन में बैठे दिखाए जाते हैं.
मथुरा बुद्ध. पिक्चर: transpex
मथुरा बुद्ध. पिक्चर: transpex

पिछली सदी में जैसे-जैसे योग दुनिया भर में फैला, पद्मासन भी ध्यान के लिए डिफ़ॉल्ट पॉश्चर के तौर पर पहचाना जाने लगा.

बिगनर लोगों का पद्मासन: अर्ध-पद्मासन

अर्द्ध पद्मासन. पिक्चर: DNA
अर्द्ध पद्मासन.
पिक्चर: DNA

पद्मासन ठीक से ना हो पाए, तो खुद पर जोर नहीं डालना चाहिए. घुटने ठीक ढंग से ना मुड़ पाते हों, तो चोट लग सकती है. ऐसे लोगों के लिए रास्ता निकाला गया है अर्ध-पद्मासन की शक्ल में. इसमें सिर्फ एक पैर जांघ के ऊपर रखना होता है. इसलिए आसान होता है. राहुल ने शायद इसी आसन में प्रधानमंत्री को बैठे देख लिया होगा. इसलिए कह गए कि PM को पद्मासन नहीं आता. उन्हें गूगल करना चाहिए था. कंफ्यूज़न दूर होता. मज़ा आता वो अलग.

दूसरी परंपराओं में:

'हठयोग' में जिस आसन के लिए पद्मासन शब्द का इस्तेमाल होता है, ठीक वैसे ही आसन को चीन और तिब्बत की बौद्ध परंपरा में वज्रासन (या वज्र-आसन) भी कहते हैं. एक मत ये भी है कि पद्मासन और वज्रासन में नाम का फर्क आसन करने वाले की पहचान बताता है. पद्मासन औरतों के लिए और वज्रासन मर्दों के लिए. तिब्बत की वज्रायन परंपरा में वज्र का मतलब लिंग होता है. ये वज्रासन शब्द के मर्दों के लिए इस्तेमाल की एक वजह हो सकती है.
वज्रासन में बुद्ध
वज्रासन में बुद्ध. पिक्चर: carters.com

ये था पद्मासन का पूरा मामला. धन्यवाद कहने का मन हो, तो राहुल गांधी को कह सकते हैं.




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