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एक कविता रोज़ में सुनिए जसिंता केरकेट्टा की कविता - सभ्यताओं के मरने की बारी

'नदी की लाश के ऊपर आदमी की लाश डाल देने से किसी के अपराध पानी में घुल नहीं जाते'

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19 जुलाई 2021 (Updated: 19 जुलाई 2021, 14:12 IST)
Updated: 19 जुलाई 2021 14:12 IST
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दी लल्लनटॉप का कविताओं से जुड़ा कार्यक्रम 'एक कविता रोज़'. आज के एपिसोड में हम आपको सुनाएंगे जसिंता केरकेट्टा की कविता. जसिंता झारखंड के रांची से ताल्लुक रखती है और नै पीढ़ी की पोएट हैं. इसके साथ ही वो आदिवासी मुद्दों को लेकर मुखर रूप से अपनी आवाज़ बुलंद करती रही हैं. आज के एक कविता रोज़ में सुनिए जसिंता केरकेट्टा की कविता - सभ्यताओं के मरने की बारी. देखिए वीडियो.

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