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जब डूब गया था आधा शहर... दिल्ली में 45 साल पहले आई बाढ़ की कहानी रोंगटे खड़ी कर देगी!

तेज बहाव और दबाव के कारण कई स्थानों पर तटबंध टूट गए थे. इससे दिल्ली के शहरी इलाकों में पानी भरने लगा था. हालात इतने बदतर हो चुके थे कि हेलीकॉप्टर्स की मदद से लोगों को राशन सामिग्री मुहैया करवाई जा रही थी.

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Delhi Yamuna Floods The Story Of 1978 Floods When Half Of The City Submerged
दिल्ली में 45 साल पहले भी यमुना का पानी जगह-जगह घुस गया था. (फोटो: इंडिया टुडे)
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मुरारी
14 जुलाई 2023 (Updated: 14 जुलाई 2023, 04:15 PM IST) कॉमेंट्स
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देश की राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में पिछले तीन दिनों से यमुना (Delhi Yamuna Floods) का पानी भरा हुआ है. नदी से सटे लाल किले, राजघाट, ITO, सिविल लाइन्स, कश्मीरी गेट जैसे इलाकों की सड़कें पानी में सराबोर हैं. सड़कों पर गाड़ियां रेंगती हुई नजर आ रही हैं. निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति के चलते अभी तक 23 हजार से ज्यादा लोगों को वहां से निकाला जा चुका है.

इस बीच यमुना के जलस्तर में मामूली कमी आई है. हालांकि, यह अभी भी खतरे के निशान (205.33 मीटर) से ऊपर बह रही है. 14 जुलाई की सुबह यमुना का जलस्तर 208. 48 मीटर मापा गया. इससे पहले नदी के जलस्तर ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. यह स्थित तब बनी है, जब बीते दिनों हरियाणा स्थित हथिनीकुंड बैराज से भारी मात्रा में यमुना में पानी छोड़ा गया.

दिल्ली में जलभराव का आलम ये है कि अब तक पांच लोग इसके चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. तीन प्रमुख वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद हो चुके हैं. ऐसे में आशंका जताई गई है कि आने वाले दिनों में दिल्ली वालों को रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाले पानी की कमी का संकट भी झेलना पड़ सकता है. कई इलाकों में स्कूल बंद किए गए हैं. कुछ श्मसान घाट भी बंद हैं. दिल्ली की रफ्तार जैसे रुक सी गई है.

1978 की बाढ़ की कहानी

यमुना के पानी से जूझ रहे दिल्ली के इलाकों की तस्वीरें चारों तरफ तैर रही हैं. दिल्ली का कुछ ऐसा ही हाल आज से लगभग 45 साल पहले भी हुआ था. वो सन 1978 का सितंबर महीना था. उस समय भी दिल्ली के कई इलाकों में यमुना का पानी घुसा था और ऐसा घुसा था कि आज भी उसके दृश्य लोगों के जहन में हैं यमुना अपनी हदों को भूलकर आधे शहर को अपनी चपेट में ले चुकी थी. लोग जहां थे वहीं के वहीं फसे रह गए थे.

तेज बहाव और दबाव के कारण कई स्थानों पर तटबंध टूट गए थे. इससे दिल्ली के शहरी इलाकों में पानी भरने लगा था. 6 सितंबर, 1978 की रात मॉडल टाउन, जहांगीरपुरी, इंदिरानगर, मजलिस पार्क, गोपाल नगर, अलीपुर, मुखर्जी नगर, किंग्सवे कैंप, दिल्ली यूनिवर्सिटी, आदर्श नगर और सिविल लाइन्स सहित दिल्ली के कई हिस्से पूरी तरह से पानी में डूब चुके थे

हालात इतने बदतर हो चुके थे कि हेलीकॉप्टर्स की मदद से लोगों को राशन सामिग्री मुहैया करवाई जा रही थी. लाखों लोग बेघर हो चुके थे. दफ्तरों, घरों, दुकानों और अस्पतालों तक में पानी भर गया था. कहा गया कि दिल्ली का ऐसा हाल एक सदी पहले हुआ था. संचार के साधन बंद पड़ गए थे. शहर में आपातकाल की स्थिति थी.

दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में इस बाढ़ का बुरा असर पड़ा था. गेहूं, बाजरा, मकई इत्यादि की फसलें बर्बाद हो गई थीं. बाढ़ की वजह से 18 लोगों की जान गई थी. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.

पीने के पानी की कमी

इंडिया टुडे से जुड़े राम किंकर ने 1978 की बाढ़ को देख चुके इंद्रजीत बरनाला से बात की. बरनाला ने कहा कि वो इस समय यमुना के पानी को देखकर डरे हुए हैं. 1978 के मंजर को याद करते हुए वो बताते हैं,

"हमें शाम को पता चला कि मॉडल टाउन में बाढ़ आने वाली है. उस समय मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना हुआ करते थे. प्रशासन की तरफ से हमें सावधान रहने की चेतावनी दी गई थी. हम सारी रात जागते रहे. रात के एक बजे के करीब सीवर से आवाज से आवाज़ आने लगी. देखते ही देखते एक घंटे में घर में ग्राउंड फ्लोर तक पानी भर गया. आलम ये रहा कि हमने तीन दिन तक कुछ नहीं खाया और ऐसे ही घर की छत पर बैठे रहे. तीन दिन के बाद हेलीकाप्टर से घरों की छतों पर खाने पीने की चीजें गिराई गईं.”

उस समय सड़कों पर पानी भर जाने की वजह से लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाना बहुत मुश्किल है. इसलिए, इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के बीच भोजन के पैकेट और राहत सामग्री गिराने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के हेलिकॉप्टरों को तैनात किया था. सरकार ने राहत सामग्री तो मुहैया करवाई लेकिन राहत शिवरों में पीने के पानी की कमी के चलते लोगों को काफी परेशानी हुई थी.

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे रचित ने लिखी है.)

वीडियो: दिल्ली में बाढ़ से बिगड़ती हालत को देख अरविंद केजरीवाल लोगों से क्या बोले?

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