The Lallantop
Advertisement

ब्रिटेन में सामने आया कोरोना का नया वर्ज़न कितना घातक है?

तैयार हो चुकी वैक्सीन से बचाव हो पाएगा?

Advertisement
Img The Lallantop
ब्रिटने में मिला कोरोना का नया रूप बड़ी चुनौती बनकर दुनिया के सामने आया है. (फ़ोटो: एपी)
pic
स्वाति
21 दिसंबर 2020 (Updated: 21 दिसंबर 2020, 06:07 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
कोरोना की वैक्सीन पर आधिकारिक मुहर लगाने वाला दुनिया का पहला देश था ब्रिटेन. दिसंबर के दूसरे हफ़्ते में वहां लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू भी हो गई. लग रहा था, अब ब्रिटेन में जीवन सामान्य हो जाएगा. मगर फिर इसी ब्रिटेन से एक नई ख़बर आई. पता चला कि वहां कोरोना की एक नई क़िस्म फैल रही है. जो कि शायद पहले से मौजूद क़िस्मों के मुकाबले 70 फीसदी तक ज़्यादा संक्रामक है.
कोविड के इस नए वैरिएंट के चलते लंदन समेत ब्रिटेन के कई हिस्सों में फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ा है. वहां कोरोना के नए मामलों ने पुराने रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कई देशों ने ब्रिटेन के साथ अपना हवाई संपर्क फिलहाल मुल्तवी कर दिया है. इस नए डिवेलपमेंट ने कई चिंताएं खड़ी कर दी हैं. मसलन, क्या ये नया कोरोना वैरिएंट ज़्यादा तेज़ी से फैलता है? क्या इसके लक्षण अलग हैं? क्या ये ज़्यादा जानलेवा है? और क्या कोरोना से जुड़ी जो वैक्सीन डिवेलप हुई हैं, वो इस नए वैरिएंट पर भी कारगर होंगी? क्या है ये पूरा मामला, विस्तार से बताते हैं आपको.
आपको नीरज़ा गुलेरी की चंद्रकांता याद है? उसमें अय्यार होते थे, जिनके पास अपना रूप बदलने का हुनर होता था. ऐसा ही एक अय्यारी का गुण विषाणुओं में भी होता है. वो भी समय के साथ अपना रूप बदलते रहते हैं. डार्विन की भाषा में कहें, तो ख़ुद को इवॉल्व करते रहते हैं. वायरस द्वारा ख़ुद को इवॉल्व करने की ये प्रक्रिया कहलाती है, म्यूटेशन.
ये म्यूटेशन कैसे होता है?
ये समझने के लिए आपको पहले वायरस को समझना होगा. वायरस बहुत विस्मय की चीज हैं. मनमर्ज़ियां में वो गाना है न, ग्रे वाला शेड. ऐसे ही ग्रे शेड में है वायरस का अस्तित्व. ये सजीव तो कतई नहीं. इनमें जीवन नहीं होता. न कोशिका होती है, न वो अपने-आप बढ़ सकते हैं और न ही अपने लिए ऊर्जा पैदा कर सकते हैं. हां, मगर यही वायरस जब किसी जीव की कोशिका में घुसता है, तो उसका गुण बदल जाता है. वो सक्रिय हो जाता है और अपने जैसे और विषाणु बनाने लगता है. वो जिस जीव में घुसता है, उसकी कोशिकाओं की मशीनरी में बदलाव कर देता है. इसीलिए कई वैज्ञानिक मानते हैं कि रसायन और जीवन के बीच की जो बॉर्डरलाइन है, वहां फिट होते हैं वायरस.
जुड़वां फ़िल्म में सलमान ख़ान और सलमान ख़ान.
जुड़वां फ़िल्म में सलमान ख़ान और सलमान ख़ान.


कोशिकाओं में घुसकर जब वायरस अपने जुड़वां बनाना शुरू करता है, उसी को कहते हैं म्यूटेशन. इसको आसान भाषा में जुड़वां फिल्म के सलमान ख़ान और मार्क वॉ-स्टीव वॉ के बीच के फ़र्क से समझिए. फिल्म में सलमान ख़ान हमशक्ल जुड़वां भाई थे- राजा और प्रेम. वहीं मार्क और स्टीव ट्विन्स होकर भी अलग दिखते थे. अलग दिखने का यही गुण विज्ञान की भाषा में वायरस का म्यूटेशन कहलाता है. माने, अपनी प्रतिकृतियां बनाते वक़्त ज़रूरी नहीं कि वायरस के सारे नए अवतार एकदम एक जैसे हों. वो अलग-अलग भी होते हैं. इस तरह एक ही वायरस के कई रूप बन जाते हैं. इनमें से कुछ ताकतवर होते हैं और कुछ कमज़ोर. जो कमज़ोर होते हैं, वो ख़त्म हो जाते हैं. लेकिन जो मज़बूत होते हैं, वो ज़्यादा फैलते हैं. ज़्यादा सर्वाइव करते हैं. वायरस के इस अलग-अलग रूप को कहते हैं, स्ट्रेन्स.
म्यूटेशन समझने के बाद अब आते हैं कोरोना पर. इसकी शुरुआत चीन से हुई. फिर वहां से बाहर निकलकर ये बाकी दुनिया में फैला. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कोविड-19 की जिस स्ट्रेन ने चीन में लोगों को संक्रमित किया, वही स्ट्रेन बाकी दुनिया तक पहुंचा हो. शोध के मुताबिक, अगस्त 2020 तक कोरोना की करीब छह मुख्य स्ट्रेन्स दुनियाभर में फैली हुई थीं. चीन से शुरू हुआ ऑरिजनल स्ट्रेन कहलाया L टाइप. इसने म्यूटेशन करके बनाया एक S टाइप स्ट्रेन. फिर इनके म्यूटेशन से आए V और G टाइप स्ट्रेन्स. फिर दो और क़िस्में आईं- GR और GH स्ट्रेन्स.
काफी तेज़ी से फैल रहा है नया संक्रमण
वैक्सीन विकसित करने की आम प्रक्रिया वायरस के अलग-अलग म्यूटेशन्स का भी ध्यान रखती है. वैक्सीन सभी उपलब्ध वैरिएंट्स पर कारगर हो, इसके लिए काफी बड़े स्तर पर सैंपल्स इकट्ठा किए जाते हैं. कोरोना वैक्सीन के मामले में भी ऐसा ही हुआ. इस वैक्सीन के दो फ्रंट रनर्स हैं- फ़ाइज़र बायोऐनटेक और मॉडर्ना. दोनों ने वायरस की जितनी भी प्रमुख किस्में सर्कुलेट हो रही हैं, उन सबपर अपनी वैक्सीन को टेस्ट किया.
अब बारी थी वैक्सीन को अप्रूवल देने की. इसमें सबसे आगे निकला ब्रिटेन. उसने 2 दिसंबर को फ़ाइज़र और बायोऐनटेक की वैक्सीन को आधिकारिक मंज़ूरी दे दी. तय किया गया कि 7 दिसंबर से शुरू हो रहे हफ़्ते से ही लोगों को वैक्सीन लगाने का काम चालू कर दिया जाएगा. इस बारे में ऐलान करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बोले कि अब लोगों की ज़िंदगी, उनका सुख-चैन लौट आएगा. ब्रिटेन के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट मैट हैनकॉक ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा कि मदद रवाना हो चुकी है, लोगों के पास बस पहुंचने ही वाली है.
मैट हैनकॉक.
मैट हैनकॉक.


ऐसा लगा कि चलो, दुनिया में कहीं तो चीजें बेहतर हो रही हैं. कहीं तो जीवन ढर्रे पर लौटने की उम्मीद बंध रही है. मगर फिर ब्रिटेन से एक परेशान करने वाली ख़बर आई. ये ख़बर ब्रिटेन में फैल रहे कोविड-19 के एक नए वैरिएंट से जुड़ी थी. इस एक प्रकार का टेनटेटिव नाम है- VUI 202012/01. VUI का मतलब, वैरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन. मतलब इसे समझने के लिए फिलहाल इसकी जांच चल रही है. फिलहाल इस वैरिएंट के बारे में जो चीजें मालूम हैं, वो हम आपको पॉइंट्स में बता देते हैं-
1. ये नई किस्म सबसे पहले सितंबर 2020 में दक्षिणपूर्वी इंग्लैंड में सामने आई. 2. ये किस्म कोरोना की बाकी किस्मों के मुकाबले ज़्यादा संक्रामक है. 3. इस स्ट्रेन के वायरस की म्यूटेशन स्पीड काफी ज़्यादा है. अबतक करीब दो दर्जन म्यूटेशन मिल चुके हैं इसके. 4. ब्रिटेन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस नए वैरिएंट के बारे में आगाह कर दिया है.
ये वैरिएंट पहले से मौजूद स्ट्रेन्स के मुकाबले ज़्यादा संक्रामक है. इसकी चपेट में आए मुख्य इलाके हैं- लंदन, दक्षिणपूर्वी और पूर्वी इंग्लैंड. इन इलाकों में कोरोना की सबसे व्यापक किस्म है ये. इसकी रफ़्तार को समझने के लिए लंदन की मिसाल देखिए. नवंबर की शुरुआत में यहां के नए कोरोना मरीज़ों में से कुल 28 पर्सेंट लोगों में ये नया वैरिएंट पाया गया. वहीं 9 दिसंबर तक ये बढ़कर हो गया 62 पर्सेंट. मतलब एक महीने में इसके संक्रमण का दायरा दोगुने से ज़्यादा हो गया.
टियर-4 लॉकडाउन
इसी को ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन ने 20 दिसंबर की सुबह लंदन समेत कई इलाकों में टियर-4 का लॉकडाउन लगा दिया. इसके तहत नॉन-एसेंशियल कैटेगरी की दुकानें बंद रहेंगी. लोगों से घर पर रहने को कहा गया है. क्रिसमस के समय भी वो बाहर नहीं निकल सकेंगे. अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों या दोस्तों के यहां नहीं जा सकेंगे.
ब्रिटेन के सेक्रेटरी ऑफ़ हेल्थ मैट हैनकॉक ने कहा कि नए वैरिएंट की रफ़्तार देखते हुए लॉकडाउन लगाना बेहद ज़रूरी था. उन्होंने कहा कि सबके पास वैक्सीन पहुंचने तक इस नई किस्म को काबू में रखना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने लोगों से लॉकडाउन के नियम मानने की अपील करते हुए कहा कि वो बिल्कुल लापरवाही न बरतें. वरना बेहद मामूली एक्सपोज़र से भी वो इसकी चपेट में आ सकते हैं.
ब्रिटिश सरकार की साइंटिफ़िक अडवाइज़री ग्रुप ने भी इस स्ट्रेन पर आगाह किया है. इस ग्रुप के एक सदस्य जेरमी फेरार ने ट्विटर पर चेतावनी देते हुए लिखा-
इस स्ट्रेन को समझने के लिए रिसर्च चल रही है. हमें इसपर तत्काल ध्यान देना होगा. इसे फैलने से रोकना होगा. दुनिया का कोई ऐसा हिस्सा नहीं, जिसे इसपर चिंतित होने की ज़रूरत न हो.
इस नए वैरिएंट के बारे में फिलहाल सवाल बहुत सारे हैं और जवाब बहुत कम. मसलन हमें नहीं पता कि ये पहले से मौजूद किस्मों के मुकाबले ज़्यादा जानलेवा है कि नहीं? इसके लक्षण कोरोना के बाकी स्ट्रेन्स से अलग हैं या वैसे ही हैं, अभी ये भी नहीं पता. हां, एक्सपर्ट्स को कुछ परेशान करने वाली चीजें ज़रूर मालूम चली हैं. जैसे, इस नए वैरिएंट में होने वाले म्यूटेशन. अबतक इसके 23 म्यूटेशन मिल चुके हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बहुत तेज़ रफ़्तार है. लैब में हुए प्रयोगों से ये भी पता चला है कि इन म्यूटेशन्स के कारण कोशिकाओं को संक्रमित करने की इसकी काबिलियत बढ़ जा रही है. ये कोशिकाओं में घुसकर अपनी ज़्यादा कॉपीज़ बना रहा है. बल्कि कोरोना की बाकी किस्मों से संक्रमित होने के बाद शरीर ने जो ऐंडीबॉडीज़ बनाई थीं, ये वैरिएंट उनसे भी बच जा रहा है.
एक और परेशान करने वाली बात वैक्सीन से भी जुड़ी है. इस नए वैरिएंट के भीतर ज़्यादातर बदलाव स्पाइक वाले हिस्से में हैं. आपने कोरोना की तस्वीरों में वो नुकीली सी संरचना देखी है न. उसी को कहते हैं स्पाइक. ये सतह पर पाया जाने वाला एक प्रोटीन होता है. इसी के सहारे वायरस कोशिकाओं में घुसता है. कोविड-19 के लिए बनी शुरुआती वैक्सीन्स इसी स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं. ऐसे में आशंका है कि कहीं स्पाइक में होने वाले बदलाव के चलते ये वैक्सीन नए वैरिएंट पर बेअसर तो नहीं हो जाएंगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये आशंका कम है, मगर नगण्य नहीं.
क्या ये वैरिएंट बस ब्रिटेन में ही मिला है?
जवाब है, नहीं. इसके कुछ सैंपल्स नीदरलैंड्स, डेनमार्क, बेल्ज़ियम और दक्षिण अफ्ऱीका में भी मिले हैं. आशंका है कि ये वैरिएंट और भी देशों में मौजूद हो सकता है. इसके प्रसार को रोकने के लिए कई देशों ने ब्रिटेन के साथ हवाई यातायात को फिलहाल रोक दिया है. इन देशों में आयरलैंड, बेल्ज़ियम, नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, अर्जेंटीना और कोलंबिया शामिल हैं. चेक रिपब्लिक ने ब्रिटेन से आने वालों पर 10 दिन के अनिवार्य क्वारंटीन का नियम लागू किया है. सऊदी अरब ने एक हफ़्ते के लिए अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. तुर्की ने तो ब्रिटेन के अलावा नीदरलैंड्स, डेनमार्क और साउथ अफ्ऱीका के साथ भी हवाई संपर्क रोक दिया है. कुल मिलाकर फिर से वैसे ही ट्रैवल बैन जैसी ख़बरें आने लगी हैं.
ढिलाई बरतने के लिए घेरे जा रहे हैं ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन.
ढिलाई बरतने के लिए घेरे जा रहे हैं ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन.


एक तरफ दुनिया जहां इस डिवेलपमेंट से परेशान हैं, वहीं ब्रिटेन के लोग लॉकडाउन से बचने के शॉर्टकट्स तलाश रहे हैं. जैसे ही पता चला कि लॉकडाउन लगने वाला है, लंदन के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में आपाधापी मच गई. लोग दूर-दराज़ के शहरों में अपने परिवार और दोस्तों के पास भागने लगे. स्टेशनों पर इतनी भीड़ जमा हो गई कि किसी ट्रेन में एक भी खाली सीट नहीं बची. इतनी भीड़ में सोशल डिस्टेन्सिंग कहां होनी थी?
लीडर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स इसके लिए लोगों की ख़ूब आलोचना कर रहे हैं. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भी आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि एक हफ़्ते पहले ही समझ आ गया था कि लॉकडाउन लगाना होगा. ऐसे में PM को ऐन क्रिसमस वाले टाइम ऐलान करने की जगह पहले ही लॉकडाउन लगा देना चाहिए था. अंदेशा है कि संक्रमित इलाकों से जाने वाले ये लोग कहीं सुपरस्प्रेडर न बनें. कहीं ऐसा न हो कि क्रिसमस के लिए अपनी फैमिली के पास जाने के चक्कर में वो इस नए वैरिएंट को ब्रिटेन के दूर-दराज़ के इलाकों में पहुंचा दें. अभी तो बाकी किसी भी चीज से ज़्यादा ग्लोबल ये संक्रमण ही है. वैक्सीन हमतक कब पहुंचेगी, इसकी भले कोई गारंटी न हो. मगर इन्फ़ेक्शन के हम तक पहुंचने के तो हज़ार रास्ते हैं ही.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement