वो ईमानदार प्रधानमंत्री, जिसका चुनाव धांधली के चलते रद्द हो गया
आज नेता ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाते हैं, लेकिन इनका तो चुनाव ही भेंट चढ़ गया था.

सोचिए आपको कैसा लगेगा, अगर आपको कोई नींद से जगाए और कहे कि चलिए, अब आपको देश के प्रधानमंत्री का पद संभालना है.
हम बात कर रहे हैं एक नौजवान की, जो फौजियों के शहर में पैदा हुआ, लेकिन तमाम जिंदगी ऐसी रणनीतियां बनाता रहा कि सेना का महत्व ही खत्म हो जाए. एक लड़का, जिस पर इंदिरा गांधी ने भरोसा किया और फिर उसी लड़के ने इंदिरा के बेटे संजय गांधी को उनकी असल हैसियत बताई. बुजुर्ग होने पर जब उसे लगा कि वो रिटायरमेंट के करीब है, तभी अचानक उसे अपने ही जैसे एक पुराने कांग्रेसी के दिखाए रास्ते में अपनी राह नजर आने लगी.
हम बात कर रहे हैं उस नेता की, जो लुटियंस दिल्ली में अपनी मेधा के लिए मशहूर था. इन दिनों ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगते हैं, लेकिन ये वह शख्स है, जिसके चुनाव को इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि चुनाव आयोग ने माना कि उसके पक्ष में जमकर धांधली हुई है. यही शख्स 78 साल की उम्र में देश का प्रधानमंत्री बना और इतने मुश्किल हालात में बना कि लोगों को लगा ही नहीं कि वह एक महीने भी सरकार चला पाएगा.
लोगों का यह यकीन आधा सही और आधा गलत साबित हुआ. हम बात कर रहे हैं इंद्र कुमार गुजराल की. पेश है उनकी पूरी कहानी:
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