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'माड़साब्ब, लड़की से मिलने नहीं, ऊंटनी खोजने गए थे'

कैंपस किस्सा: बुलाया किसी और लड़की ने था, जाकर पकड़ लिया किसी और को. फिर बोला मैं तो ऊंटनी खोजने गया था.

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Photo: Sumer Singh Rathore
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सुमेर रेतीला
7 अगस्त 2016 (Updated: 7 अगस्त 2016, 11:40 AM IST) कॉमेंट्स
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उन दिनों आठवीं क्लास पास करके नवीं में पहुंचे टाबरों (बच्चों) के तेवर बदलने लगते थे. उनको लगता कि अब बड़े हो गए हैं. जिम्मेदारियों वाले टाबर. कम्पीटीशन  तो हद तक बढ़ जाता. इस बार परेड का लीडर कौन बनेगा, भूरे बालों वाली लड़की के बैग में पहले चिट्ठी कौन रखेगा कि शाम को बाड़े में मिलने आना. स्कूल से जल्दी निकलकर बीच रास्ते हरे चने बिना किसी की नजर में आए कौन तोड़ेगा? सबकी इन चिंताओं के बीच बेफिकरा जीतू सिंह खोया रहता था जाने कहां. वो स्कूल गांव के पास की ढ़ाणी से आता था. रेंजर साइकिल होने की वजह से उसके खूब दोस्त बन गए. हीरो साइकिल वाले उस दौर में गांव में दो-चार तो रेंजर दिखती थी. उसपर इतनी सजी-धजी. ताड़ियों में सुपारी और गुटखे की खाली पुड़ियां, चमकते कांच, रंग-बिरंगे लूम्बे. सारे दोस्त आगे-पीछे घूमते रहते. एक चक्कर काटने दे दे. बोलते कि खेते की दुकान तक जाकर अभी आ जाऊंगा. और आते हुए तुम्हारे लिए एक पेप्सी की बोतल और मिल्की चॉकलेट ले आऊंगा.
जीतू सिंह को प्यार हो गया था दसवीं क्लास की लड़की मीनू से. जीतू डरता नहीं था किसी से. माड़साब्ब से भी नहीं. वह स्कूल वाली किताबें कभी नहीं लाता. बैग में मोटा सा उपन्यास, छोटू-मोटू, बालहंस, और अखबार भरे रहता था. रेस्ट के टाइम चुपके से वो मीनू के बैग में चिट्ठी लिखकर डाल आता. बिना अपना नाम लिखे. उल्टे हाथ से लिखता था ताकि पकड़ में ना आए.Campus-Kisse_poster
स्कूल में सुबह-सुबह प्रार्थना होती थी. सबकी बारी लगती. प्रतिज्ञा बोलने, सामाचार सुनाने और जनरल नॉलेज के सवाल पूछने की. जीतू अपनी बारी में बोलते हुए मीनू को ही देखता रहता था. मुझे डर था कि किसी दिन मीनू ने शिकायत कर दी या माड़साब्ब ने देख लिया तो पिटेगा सो पिटेगा स्कूल से रेस्टिकेट होगा वो अलग. इसबार जीतू ने एक लम्बी सी चिट्ठी लिखी. सीधे हाथ से. उसपर अपना नाम भी लिखा. फिर हेडमाड़साब्ब के ऑफिस से एक लिफाफा चुरा लाया. उसमें चिट्ठी के साथ काजू वाली चॉकलेट भी रख दी. काजू वाली चॉकलेट का उन दिनों बहुत क्रेज था. एक रुपये की दो आती थी. हमारी क्लास में एक जालमिंग पढ़ते थे उनको किसी लड़की ने दी थी एकबार, बहुत दिनों तक बैग में लेकर घूमते रहते थे. मैंने अगर चुराकर खा नहीं ली होती, तो दो-चार दिनों में शहर जाकर फ्रेम करवा लेते. दीवार पर टांगने के लिए. दूसरे दिन मीनू बार-बार जीतू को देखकर मुस्करा रही थी. शायद काजू वाली चॉकलेट असर कर गई थी. रेस्ट के बाद जीतू ने वापिस आकर बैग खोला तो चिट्ठी पड़ी थी बैग में. जीतू ने कहा कि छुट्टी में मेरे साथ चलना तुम्हें पेप्सी और नमकीन दिलवाऊंगा. और साइकिल भी चलाने दूंगा. मैंने पूछा काम क्या है अब ये भी बता दे. तो उसने कहा कि छुट्टी के बाद बताता हूं.
छुट्टी के बाद हम साइकिल पर बैठकर खेते की दुकान गए. वहां से नमकीन, पेप्सी और चॉकलेट खरीदी. उसने बताया कि मीनू ने मिलने बुलाया है. थोड़ा सा अंधेरा हो जाए तब ऊटों के बाड़े के पास आएगी वो. तुम ध्यान रखना कोई आ ना जाए.
शाम ढलते ही हम दोनों छुपते-छुपते वहां पहुंचे. मैं दीवार के पीछे छिपकर बैठ गया और जीतू जाकर बाड़े के पीछे वाली जाल में घुस गया. थोड़ी देर बाद वहां से चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई दी. मैं भागकर वहां पहुंचा तो देखा गांव की कोई दूसरी लड़की जीतू को बाल पकड़कर मार रही है. जैसे-तैसे वो खुद को छुड़वाकर भाग आया. उसने बताया कि मीनू तो आई नहीं कोई और लड़की खड़ी थी, मैंने मीनू समझकर पकड़ लिया. उसने कहा टेंशन ना लो, कोई नहीं ये लड़की किसी को बताएगी तो नहीं ही. बाकि जो होगा देखा जाएगा. दूसरे दिन स्कूल पहुंचे. प्रार्थना के बाद पानी की टंकी गए तो देखा कि हेडमाड़साब्ब के कमरे में गांव के लोग बैठे हैं. इतने में चपरासी आया कि तुम दोनों को हेडमाड़साब्ब ने बुलाया है. जीतू का दिमाग ऐसे दौड़ता था जैसे अभी दिल्ली में मेट्रो दौड़ती है. मुझे बोला कि तुम इतना ही बोलना कि मैं घर जा रहा था तो जीतू ने बोला कि बाड़े में ऊंट देखने हैं. अगर मिल गए तो तुम साइकिल ले जाना मैं ऊंट ले आऊंगा. नहीं तो दोनों साथ में चलेंगे साइकिल से. ऑफिस के अंदर पहुंचे. अंदर घुसते ही जीतू को चश्मे वाले माड़साब्ब ने थप्पड जड़ दिया. ये उनकी पर्सनल खुन्नस थी. जीतू उनकी कुर्सी पर कई बार बबलगम चिपका चुका था. हम दोनों जमीन पर बैठ गए. हेडमाड़साब्ब ने पूछा कल शाम में कहां गए थे. जीतू ने कहा जी माड़साब्ब मेरी ऊंटनी खोई हुई है. पापा ने बोला था की बाड़े में देखते आना. हेडमाड़साब्ब ने कहा छुट्टी चार बजे हुई थी और तुम बाड़े सात बजे गए हो. वो कम कहां था बोला वो..वो.. हम हरे चने खाने चले गए थे. फिर बाड़े पहुंचे वहां देखा तो ऊंटनी बाड़े में नहीं मिली. पास में एक जाल में कुछ ऊंट थे. मैंने सोचा उनमें हो सकती है देखने के लिए अंदर घुसा. अंदर पता नहीं कौन लड़की थी. मुझे पकड़कर मारने लगी. चश्मे वाले माड़साब्ब ने एक और थप्पड़ जड़ दिया. और कहा कि आइंदा रात में इधर-उधर घूमने की शिकायत आई ना तो रेस्टिकेट कर दूंगा. हेडमाड़साब्ब ने मेरी और देखकर कहा कि समय पर घर चले जाया करो. आइंदा से कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए. दोनों से कहा कि जाओ क्लास में. इतना डरे होने के बाद भी जीतू के जवाब सुनकर मुझे हंसी आ रही थी. जीतू की जगह कोई और होता तो वो और मैं दोनों लाल गालों पर हाथ रखे. बैग उठाए घर जा रहे होते और फिर घर जाकर जो पिटाई होती वो अलग.
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