'पद्मावती' में जो 'सीन' आप ढूंढ रहे हैं, वो फिल्म में है ही नहीं
वो पढ़ें, जो ये समझकर बैठे हैं कि खिलजी और पद्मावती की इंटीमेट मुलाकात होगी.

|| पॉज़ || फिल्म करोड़ों खर्च करके बनी है. करोड़ों लगाकर ही प्रमोशन भी चल रहा है. लेकिन इसके प्रमोशन के लिए बने पेज पर लगा डायरेक्टर (?) का वीडियो ऊर्जा के साथ शुरू नहीं होता. अपनी तरह का ठहराव है. याचक का ठहराव. >>प्ले>>''नमस्कार, मैं संजय लीला भंसाली इस वीडियो के माध्यम से आपसे कुछ कहना चाहता हूं..''
''...मैंने ये फिल्म पद्मावती बहुत ईमानदारी से, इज़्ज़त से, मेहनत से बनाई है...''
|| पॉज़ || अच्छी बात है. करना भी चाहिए. >>प्ले>>''...मैं रानी पद्मावती की कहानी से हमेशा से प्रभावित रहा हूं और ये फिल्म उनकी वीरता, उनके आत्मबलिदान को नमन करती है. पर कुछ अफवाहों की वजह से ये फिल्म विवादों का मुद्दा बन चुकी है. अफवाह ये है कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच कोई ड्रीम सीक्वेंस दर्शाया गया है..''
|| पॉज़ || ठीक है. फिल्म की थीम बताई गई. समस्या बताई. अब आगे देखते हैं. इसी हिस्से में सबसे ज़्यादा डाउट पैदा होता है. >>प्ले>>''...पर कुछ अफवाहों की वजह से ये फिल्म विवादों का मुद्दा बन चुकी है. अफवाह ये है कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच कोई ड्रीम सीक्वेंस दर्शाया गया है. मैंने इस बात को पहले भी नकारा है. लिखित प्रमाण भी दिया है इस बात का पहले और आज इस वीडियो के माध्यम से मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि हमारी फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच ऐसा कोई सीन नहीं है, जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए, जज़्बातों को तकलीफ दे. हमने इस फिल्म को बहुत ज़िम्मेदारी से बनाया है. राजपूत मान और मर्यादा का ख्याल रखा है...''
|| पॉज़ || यार एक बात बताओ. एक डायरेक्टर ड्रीम सीक्वेंस क्यों डिफेंड करेगा?? वहां तो बहाना है न कि भैया सपना था, सपने पर किसका ज़ोर? खैर. >>प्ले>>''...एक बार फिर से मैं दोहरा रहा हूं कि हमारी फिल्म में रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कोई ड्रीम सीक्वेंस नहीं है, कोई ऐसा सीन नहीं है, जो किसी को तकलीफ दे. धन्यवाद (एक बार फिर हाथ जोड़ते हुए)...''
यहां वीडियो खत्म हो जाता है. ये आदमी सवा मिनट के वीडियो में बात दोहरा रहा है. तब, जब लिखकर दे चुका था पहले. लिखे के आगे क्या ही चाहिए होता है लेकिन ये आदमी वीडियो बना रहा है. उसमें हाथ जोड़ रहा है. बार-बार इज़्ज़त-जज़्बात-भावना की बात कर रहा है. 20 साल फिल्में बनाने के बाद ऐसा कैसे हो सकता है संजय लीला भंसाली? लेकिन दिख बिल्कुल वैसा ही रहा है. कंफ्यूज़न दूर करने के लिए मैं स्पीच एक्सपर्ट बन गया थोड़ी देर के लिए. 'एक्स' के लहज़े से मैंने अंदाज़ लगाया कि वो मराठी है. फिर एक से पूछा, ये संजय लीला भंसाली मराठी है क्या? जवाब मिला, हां, है. लेकिन संजय है, तो फिर ऐसा वीडियो क्यों है. क्या संजय को ये डर है कि राजपूत आन-बान-शान बघार रहे टुच्चे (इसमें पद्मावती के नाम पर चुनाव जीतने की मंशा रखने वाले बुड्ढों से लेकर उन लौडों-लपाड़ों तक सब शामिल हैं जो अपने संगठन के नाम में एक देवी का नाम लगाते हैं) उनकी फिल्म रिलीज़ नहीं ही होने देंगे और कितने ही लोगों की मेहनत, उनका पैसा डूब जाएगा? ये सब होगा और हमारे यहां की सरकारें देखती रहेंगी? अगर वीडियो में संजय लीला भंसाली ही है, तो वो एक झुका हुआ, टूटा सा संजय लीला भंसाली है, जो चीज़ें कर नहीं पा रहा, उसे चीज़ें करनी पड़ रही हैं. वो अपनी बात अपने ढंग से नहीं कह पा रहा अब. हम सबने मिलकर उसे तोड़ दिया है. एक फिल्म डायरेक्टर को यहां तक लाकर हमने अच्छा नहीं किया. मन हो, तो वीडियो यहां देख सकते हैं-'पद्मवाती' और उसकी रिलीज़ पर विवाद को हमने लगातार कवर किया है. तफसील से पूरी बात समझने के लिए नीचे दिए लिंक्स पढ़ेंः