दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने में और मदद मिलने वाली है. पूरे NCR में बीएस-6 फ्यूल एक अक्टूबर से मिलने लगा है. अच्छी बात ये है कि तय डेडलाइन से लगभग 6 महीने पहले ही बीएस-6 फ्यूल मिलने लगा है. 30 सितंबर को इंडियन ऑयल ने बताया कि हरियाणा के सात जिलों में 2,200 पेट्रोल पंपों पर बीएस-6 फ्यूल की बिक्री शुरू कर दी गई. इन सात जिलों में फरीदाबाद, गुरुग्राम, महेंद्रनगर, रेवाड़ी, झज्जर, पलवल और मेवात शामिल हैं.
हालांकि दिल्ली में एक अप्रैल, 2018 से ही बीएस-6 फ्यूल मिल रहा है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने नवंबर, 2017 में राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर नाराजगी जताई थी. प्रधान ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 01 अप्रैल, 2018 से ही बीएस-6 ईंधन सप्लाई का आदेश जारी किया था. वहीं पूरे देश के लिए ये डेडलाइन 01 अप्रैल, 2020 है.
# अब ये बीएस क्या बला है –
BS दरअसल भारत सरकार के बनाए हुए स्टैंडर्ड हैं. इसका फुल फॉर्म होता है ‘भारत स्टेज’. इन्हें बीएसईएस लागू करता है. बीएसईएस का फुल फॉर्म है –भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड. ये आती है सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अंडर और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड आता है पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंडर. बीएसईएस में ‘एमिशन’ का अर्थ होता है उत्सर्जन यानी उगलना या उल्टी करना. और ‘स्टैंडर्ड’ किस चीज़ का? इस चीज़ का कि वाहन अधिकतम कितना प्रदूषण उगल सकते हैं, और कितने से अधिक के बाद ये ग़ैरकानूनी हो जाएगा?
# कैसे बनते हैं ये नियम –
भारत सरकार इन स्टैंडर्ड्स को बनाने में ज़्यादा मेहनत नहीं करती. यूरोप के देशों में ऐसे ही स्टेंडर्ड चलते हैं जिन्हें ‘यूरो’ कहा जाता है. बस इन्हीं मानकों या स्टैंडर्ड्स में थोड़ा-बहुत परिवर्तन करके ये भारत में लागू कर दिए जाते हैं. वो जैसे गांव में नाइकी के ड्यूप्लिकेट वाइकी जूते मिलते हैं न, वैसे ही भारत में ‘यूरो’ का ड्यूप्लिकेट है ‘बीएस. लेकिन ये तो कॉपी-पेस्ट वाला हिसाब-किताब है, हम रेस में पिछड़ रहे थे इसलिए यूरो5 का इंडियन वर्ज़न रिलीज़ ही नहीं किया. कुद्दी मार दी. सीधे बीएस6 पर, जो यूरो6 की मिरर इमेज है.
# टाइमलाइन –
इन मानकों को पहली बार 2000 में लागू किया गया था. उसका नाम बीएस नहीं, इंडिया 2000 था और रेफरेंस था यूरो1.
सबसे लास्ट लागू किया जा चुका नियम बीएस4 है जिसका रेफरेंस है यूरो4 और जिसे दो साल पहले यानी 2017 के अप्रैल महीने में देशभर में लागू किया गया था. ‘देशभर में’ मेंशन करना इसलिए ज़रूरी है क्यूंकि यूरो4 अप्रैल,2017 से पहले भी अस्तित्व में था. ये अप्रैल 2010 में ही लागू हो गया था लेकिन तब केवल तेरह शहरों और नैशनल कैपिटल रीजन (NCR) भर में लागू हुआ था.
# क्या कहते हैं यूरो और बीएस के नियम –
यूरो6 स्टैंडर्ड सितंबर, 2014 में लागू कर दिया गया था. और सब कुछ सही रहा तो लगभग ऐसे ही स्टैंडर्ड भारत में भी 2020 में लागू हो जाएंगे. आइए देखते हैं कि इसमें किस तरह के नियम थे.
इसके अनुसार डीज़ल से चलने वाली कारें प्रति किलोमीटर चलने के दौरान –
– .50 ग्राम से अधिक कार्बन नहीं उत्सर्जित कर सकतीं
– 0.080 से अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड नहीं उत्सर्जित कर सकती
– 0.005 से अधिक पार्टिकुलेट मैटर (PM) नहीं उत्सर्जित कर सकते
ऐसे ही नियम कमर्शियल वाहनों, ट्रकों, बसों, टू व्हीलर्स आदि के लिए भी हैं. डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग नियम हैं.
बीएस- VI फ्यूल हानिकारक हाइड्रोकार्बन के स्तर को कम करने में भी मदद करेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, BS-IV से BS-VI में शिफ्ट होने से रिफाइनर्स पर 28,000 करोड़ खर्च होंगे. पार्टिकुलेट मैटर (PM) में लगभग 10-20% की कमी करने में मदद मिल सकती है.
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