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बिहार के रंगीन चुनावी नारों की कहानियां, जिनमें शरारत भी है और धारदार तंज भी

जब सीएम को उनके घर में चोर कहा गया.

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बिहार के चुनावी नारों की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
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अभिषेक
21 जुलाई 2020 (Updated: 21 जुलाई 2020, 11:13 AM IST)
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देशभर में कोविड-19 का कहर जारी है. इससे बिहार कतई अछूता नहीं है. बिहार सरकार को बीमारी से लड़ने में बहुत मुश्किल आ रही है. मगर चुनावी बाजा बजाने में कोई दिक्कत नहीं है. राज्य में जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार है. नीतीश कुमार JDU के सर्वेसर्वा हैं. पार्टी उन्हीं का चेहरा आगे कर आने वाली चुनावी कुश्ती में उतरने के लिए तैयार है. पार्टी ने आगामी चुनाव के लिए नारा दे दिया है. नारा है,
हां मैं नीतीश कुमार हूं.
मौका है, दस्तूर भी है. तो आज आपको बिहार के चुनावों में इस्तेमाल हुए कुछ दिलचस्प नारों की कहानी सुनाते हैं.
1.  गली-गली में शोर है, केबी सहाय चोर है
सितंबर, 1963. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कुमारस्वामी कामराज ने एक प्लान तैयार किया. उनका कहना था कि राज्यों के दिग्गज कांग्रेसी नेता संगठन की बेहतरी के लिए काम करें. कामराज ने ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार कर ली थी. इस लिस्ट में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिनोदानंद झा का भी नाम आया. झा दिल्ली गए तो बारी लगी कृष्ण बल्लभ सहाय की. 2 अक्टूबर, 1967 को केबी सहाय ने तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली.
कामराज प्लान की ओट में सीएम बने केबी सहाय.
कामराज प्लान की ओट में सीएम बने केबी सहाय.

अगले साल उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. तब विपक्ष ने बड़े जोर-शोर से एक नारा लगाया. गली-गली में शोर है, केबी सहाय चोर है. ये नारा घर-घर में चर्चित हो गया. एक दिन केबी सहाय सीएम ऑफ़िस से घर लौटे तो नज़ारा देखकर दंग रह गए. उनका पोता उनके सामने हाथ उठाकर नारा लगा रहा था - गली-गली में शोर है, केबी सहाय चोर है.
2. ऊपर आसमान, नीचे पासवान
रामविलास पासवान. फिलहाल केंद्र में मंत्री हैं. अक्सर इस पद पर पाए जाते हैं. भले ही सरकार किसी पार्टी की रहे. एक तबका उनको मौसम वैज्ञानिक भी कहता है. खैर, ये तो नए ज़माने की बात हुई. रामविलास पासवान जेपी आंदोलन की उपज हैं. बीते समय में उन्होंने संघर्ष भी किया है. आपातकाल के बाद देशभर में जनता पार्टी की लहर आई थी. इसी लहर में रामविलास पासवान भी बाज़ी लहा ले गए. हाजीपुर सीट से 4.24 लाख वोटों के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे. बाद में ख़ुद ही अपना रिकॉर्ड तोड़ा था.
जेपी आंदोलन से निकले रामविलास पासवान बाद के दौर में राजनीति में मौसम वैज्ञानिक के नाम से चर्चित हो गए.
जेपी आंदोलन से निकले रामविलास पासवान बाद के दौर में राजनीति में मौसम वैज्ञानिक के नाम से चर्चित हो गए.

ढाई दशक पहले का क़िस्सा है. पटना के गांधी मैदान में लालू यादव ने ग़रीब रैली आयोजित की थी. इसमें रामविलास पासवान को भी न्यौता मिला था. लालू मंच पर भाषण दे रहे थे, इतने में रामविलास पासवान का हेलिकॉप्टर घरघराया. जनता की आंखें हेलिकॉप्टर पर अटक गई. जब रामविलास मंच की तरफ़ बढ़े. तब लालू ने कहा, ऊपर आसमान, नीचे पासवान. ये नारा खूब पॉपुलर हुआ. रामविलास पासवान के समर्थकों ने इसका जमकर इस्तेमाल किया. इसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने एक और नारा बना दिया.
धरती गूंजे आसमान, रामविलास पासवान.
3. जीना है तो मरना सीखो
कर्पूरी ठाकुर. समस्तीपुर के पितौझिया गांव में पैदा हुए. इस गांव को अब कर्पूरीग्राम के नाम से जाना जाता है. बतौर छात्र, भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. लंबा समय जेल में गुजारा. आज़ादी के बाद गांव के स्कूल में बच्चों को पढ़ाया भी. बाद में राजनीति में आ गए. शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री रहे. 22 दिसंबर, 1970 को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई.
कर्पूरी ठाकुर जाति से नाई थे. मैट्रिक में फ़र्स्ट डिविज़न से पास करने पर उनके पिता उनको एक ज़मींदार के पास लेकर गए. गर्व से बोले, सरकार, ये मेरा बेटा है. फ़र्स्ट डिविजन से पास किया है. ज़मींदार ने अपना पैर उठाकर टेबल पर रखा और कहा, ‘अच्छा, फर्स्ट डिविज़न से पास किए हो? मेरा पैर दबाओ.’
कर्पूरी ठाकुर पर जारी डाक टिकट.
कर्पूरी ठाकुर पर जारी डाक टिकट.

कर्पूरी ठाकुर जब सीएम बने, तो कथित अगड़ी जाति के लोग उनपर तंज कसते थे.
कर कर्पूरी कर पूरा, छोड़ गद्दी उठा उस्तूरा.
अपमान सहने के बावजूद कर्पूरी ठाकुर डिगे नहीं. उन्होंने समाज के दबे-कुचले लोगों को आगे बढ़ाने में पूरा जीवन लगा दिया. संघर्ष के लिए उन्होंने नारा दिया था.
अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो
पग पग पर अड़ना सीखो
जीना है तो मरना सीखो.
4. जब तक रहेगा समोसे में आलू
अक्टूबर, 1997 में एक फ़िल्म आई थी. मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी. फ़िल्म का एक गाना जबरदस्त हिट हुआ. 'जब तक रहेगा समोसे में आलू, तेरा रहूंगा ओ मेरी शालू.' तब फ़िल्मी गीतों के आधार पर पॉलिटिकल नारे खूब बनते थे. 1997-98 के दौर में लालू यादव की राजनीति पर ग्रहण लगा था. भ्रष्टाचार के आरोप और सीबीआई का वॉरंट. सीएम पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और कुछ समय के लिए भागलपुर के बेउर जेल में भी बंद रहे. उसी दौर में किसी ने लालू यादव से कहा, राजनीति में आपके दिन तो गिनती के रह गए हैं.
समोसे में आलू वाला नारा लालू यादव की पहचान बन गया.
समोसे में आलू वाला नारा लालू यादव की पहचान बन गया.

लालू ने अपने गंवई अंदाज में कहा,
जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू.
ये नारा खूब चर्चित हुआ. आज भी समोसा खाते हुए ये नारा याद आ जाता है. बिहार में नुक्कड़ों पर समोसे की दावत इस नारे की चर्चा के बिना अधूरी लगती है.
5. एक रुपया में तीन गिलास
मार्च, 1990 में बिहार में जनता दल की सरकार बनी. और कांग्रेस पर ग्रहण लग गया. उसके बाद से बिहार में कोई कांग्रेसी मुख्यमंत्री नहीं हुआ. खैर, जनता दल ने मुख्यमंत्री बनाया लालू प्रसाद यादव को. ताड़ के पेड़ से एक लिक़्विड टपकता है. उसे घड़े में इकट्ठा किया जाता है. इसको कहते हैं ताड़ी. ताज़ा पियो तो स्वास्थ्यवर्धक और देर तक सड़ाकर पियो तो नशा. माने नैचुरल मदिरा. 1991 में लालू यादव की सरकार ने ताड़ी पर से टैक्स हटा दिया. विपक्ष ने कहा, इससे नशे की लत बढ़ेगी.
1991 में लालू यादव ने बिहार में ताड़ी पर से टैक्स हटा दिया था.
1991 में लालू यादव ने बिहार में ताड़ी पर से टैक्स हटा दिया था. (साभार: जागरण)

तब विपक्ष ने नारा दिया था,
लालू वीपी रामविलास, एक रुपया में तीन गिलास.
आम जनता का एक बड़ा तबका टैक्स हटने से खुश भी था. जब रामविलास पासवान चुनावी रैली करने जाते, तब उनके समर्थक शोर मचाते हुए कहते-
एक रुपया में तीन गिलास, जीतेगा भाई रामविलास.
* इस स्टोरी के लिए दी लल्लनटॉप के मेरे एक साथी ने भी अपने इनपुट दिये . संयोग से उनका नाम भी अभिषेक
है.



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