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बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो वो काटते हैं और हमें पता भी नहीं चलता

बैलेंस देखने से लेकर मिनी स्टेटमेंट निकालने तक, एक भी ऐसी सर्विस नहीं, जो बैंक मुफ्त देते हों.

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बैंक नए एटीएम कार्ड जारी कर रहे हैं. सांकेतिक तस्वीर.
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स्वाति
4 फ़रवरी 2018 (Updated: 5 फ़रवरी 2018, 04:33 AM IST) कॉमेंट्स
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जीने के लिए पैसा जरूरी है. पैसा हो तो बैंक जरूरी है. आप किसी देश के नागरिक हैं, उसकी अर्थव्यवस्था में भी आपका हिस्सा होगा. पैसे जमा करने हैं. पैसों का लेन-देन करना है. तनख्वाह चाहिए. सब्सिडी चाहिए. टैक्स जमा करना है. सबके लिए बैंक खाता होना ज़रूरी है. बैंकिंग हमारी अनिवार्य ज़रूरत बन गई है. लेकिन ये ज़रूरत मुफ्त में पूरी नहीं होती. इसमें कदम-कदम पर पैसा कटता है. हर सुविधा के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं. ऐसी-ऐसी मदों में पैसा कटता है कि शायद आपको मालूम भी न हो. लल्लन आज आपको बताएगा कि बैंक में आपका पैसा कहां और कितना कटता है.
बैंक अपनी किस सर्विस के बदले कितना शुल्क लेता है, इसे लेकर ज्यादातर लोगों में स्पष्टता नहीं है.
बैंक अपनी किस सर्विस के बदले कितना शुल्क लेता है, इसे लेकर ज्यादातर लोगों को जानकारी ही नहीं है.


कोई भी सेवा मुफ्त नहीं देता बैंक शुरुआत होती है खाता खुलवाने से. बैंक आपसे इसके भी पैसे लेता है. एक तय रकम होती है. उतना तो आपको हर समय खाते में रखना ही पड़ेगा. फिर आपके सामने एटीएम कार्ड लेने का विकल्प है. इसके लिए आपको पैसे खर्च करने होते हैं. कुछ बैंक कार्ड बनवाने के लिए पैसे नहीं लेते. लेकिन सारे बैंक कार्ड के इस्तेमाल के लिए एक सालाना रकम ज़रूर वसूलते हैं. पैसे निकालने पर भी पैसे कटते हैं. बैंक आपको खाते से संबंधित जानकारियां देने के लिए जो SMS भेजता है, उसके भी पैसे चार्ज करता है. फिर इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग भी हैं. ये सुविधाएं भी मुफ्त नहीं मिलतीं. चेकबुक के भी पैसे लगते हैं.
नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बैंकिंग सेक्टर में कई बदलाव हुए हैं...
नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बैंकिंग सेक्टर में कई बदलाव हुए हैं.


कई तरह के होते हैं बैंक अकाउंट्स, अलग-अलग हैं सबके नियम बैंक अकाउंट्स कई तरह के होते हैं. करंट डिपॉज़िट अकाउंट. सेविंग्स अकाउंट, जिसे बचत खाता भी कहते हैं. रेकरिंग अकाउंट. फिक्स्ड डिपॉज़िट अकाउंट. सब खातों के नियम अलग हैं. आम लोगों का साबका ज़्यादातर बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉज़िट खाते से पड़ता है.
नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा है या नुकसान, इसे लेकर काफी विरोधाभास है...
नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा है या नुकसान, इसे लेकर काफी विरोधाभास है.


लगातार घट रहा है सेविंग्स और फिक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाला ब्याज आप अपने खाते में जो पैसे रखते हैं, उसका इस्तेमाल कर बैंक अपनी कमाई करता है. इसीलिए खाते में रखे उन पैसों के बदले बैंक आपको ब्याज देता है. ब्याज की दर दिनों-दिन गिरती जा रही है. बचत खाते पर कभी तकरीबन 8% ब्याज मिला करता था. फिर घटकर 6% हो गया. अब ज़्यादातर बैंक 4% ब्याज देते हैं. यस बैंक सेविंग्स अकाउंट पर सबसे ज़्यादा 6 फीसद ब्याज देने का खूब प्रचार करता है. लेकिन इस ऐड में शर्तों वाले सितारे जुड़े होते हैं. नियम और शर्तें लागू टाइप्स. शर्त ये है कि अगर बचत खाते में 1 लाख से ज़्यादा पैसे जमा हैं, तो उस पर 6% ब्याज मिलेगा. 1 लाख से कम पैसा रखने वालों को वही 4% इंटरेस्ट मिलेगा.
कई जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के कारण बैंकिंग सेक्टर भी काफी धीमा हुआ है..
कई जानकारों का कहना है कि नोटबंदी के कारण बैंकिंग सेक्टर भी काफी धीमा हुआ है.


जो लोन बैंक देता है, उस पर लगने वाला ब्याज बढ़ता जा रहा है बैंक कई तरह के लोन देता है. होम लोन. कार लोन. बाइक लोन. एजुकेशन लोन. पर्सनल लोन. गोल्ड लोन. बिज़नेस लोन. क्रेडिट कार्ड के ज़रिए भी हम छोटे-छोटे कर्ज़ ही ले रहे होते हैं. इन सब पर अलग-अलग तरह का ब्याज वसूला जाता है. ब्याज की दर बढ़ती जाती है. ऐसा नहीं कि सभी बैंकों की ब्याज दरें एक जैसी हों. ICICI बैंक 8.35% की दर से होम लोन देता है. कार लोन पर ICICI 9.75% ब्याज लेता है. पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट 10.99% है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 8.35% ब्याज पर होम लोन देता है. GST आने के बाद होम, पर्सनल और ऑटो लोन महंगा नहीं हुआ है. उन पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया गया है. हां, लोन के आवेदन को आगे बढ़ाने और उस पर कार्रवाई करने के लिए बैंक जो प्रोसेसिंग फीस लेता है, वो महंगी हो गई हैं.
सरकार कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन कई जगह इसपर अतिरिक्त चार्ज लगता है...
सरकार कैशलेस ट्रांज़ेक्शन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन कई जगह इस पर अतिरिक्त चार्ज लगता है.


बैलेंस जांचना और मिनी स्टेटमेंट लेना भी मुफ्त नहीं खाते में मौजूद बैलेंस की जांच करना, एटीएम का पिन बदलना और मिनी स्टेटमेंट लेना 'गैर वित्तीय' (नॉन-फाइनेन्शियल) गतिविधियों में गिने जाते हैं. मिनी स्टेटमेंट में आपके बैंक खाते में मौजूद रकम और पिछले कुछ ट्रांज़ेक्शन्स की जानकारी होती है. माने पिछली बार कब कितना रुपया आया. कितना निकाला गया. कई निजी बैंक इसके लिए भी ग्राहक से पैसे लेते हैं.
पिछले कुछ समय से बैंकों की बुनियादी सेवाएं भी अपेक्षाकृत महंगी होती जा रही हैं...
पिछले कुछ समय से बैंकों की बुनियादी सेवाएं भी अपेक्षाकृत महंगी होती जा रही हैं.


GST के बाद और महंगी हुई है बैंकिंग 1 जुलाई से GST (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) लागू होने के बाद बैंकिग सेवाएं और महंगी हुई हैं. पहले इन पर 15% टैक्स लगता था. अब इसे बढ़ाकर 18% कर दिया गया है. पहले ग्राहक को 100 रुपए के ट्रांज़ेक्शन पर जितने रुपए देने होते थे, अब उससे 3 रुपए ज़्यादा खर्च करने होंगे. एटीएम से होने वाला लेन-देन, क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स, इंश्योरेंस प्रीमियम और लोन की किस्त पर पहले 15% सर्विस टैक्स देना होता था. सर्विस टैक्स मतलब उस सुविधा को इस्तेमाल करने के एवज में दिया जाने वाला शुल्क. चेक बुक और डिमांड ड्राफ्ट्स जैसी सुविधाएं भी महंगी हुई हैं. फिक्स्ड डिपॉज़िट, बैंक अकाउंट डिपॉज़िट जैसी कुछ सुविधाएं फिलहाल GST से बाहर रखी गई हैं.
नोटबंदी के समय भी आशंका जताई जा रही थी कि इससे बैकिंग सेक्टर में मंदी आएगी...
नोटबंदी के समय भी आशंका जताई जा रही थी कि इससे बैकिंग सेक्टर धीमा हो सकता है.


बैंक ट्रांज़ेक्शन से जुड़े कुछ नियमों पर गौर कीजिए: - HDFC, ICICI और एक्सिस जैसे निजी बैंक महीने में 4 बार मुफ्त ट्रांज़ेक्शन की सुविधा देते हैं. इसके बाद जब भी आप अकाउंट में पैसे जमा करेंगे या निकालेंगे, तो एक सीमा से ऊपर हर ट्रांज़ेक्शन पर बैंक 150 रुपए लेगा. मिसाल के लिए HDFC बैंक में ये चार्ज 25,000 रुपए से ऊपर के ट्रांज़ेक्शन पर लगता है. इसमें सेस और अतिरिक्त टैक्स भी लगते हैं. तो कुल चार्ज 150 से ऊपर का बनेगा.
- HDFC तो बचत खाते के साथ-साथ सैलरी अकाउंट्स पर भी ये चार्ज लगाएगा.
- वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के खातों पर ये शुल्क नहीं लगेगा.
- अगर आपके पास बेसिक सेविंग्स अकाउंट है, तो महीने में 4 बार पैसा निकालने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा. पैसा जमा करने पर भी कोई शुल्क नहीं देना होगा.
महीने में कितने ATM ट्रांजेक्शन मुफ्त होंगे और तयशुदा सीमा से अधिक ट्रांजेक्शन होने पर कितना शुल्क लगेगा, इसे लेकर अभी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है...
कितने ATM ट्रांजेक्शन मुफ्त होंगे और इसके बाद कितना शुल्क लगेगा, इस पर लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है.


- होम ब्रांच और नॉन-होम ब्रांच के नियमों में भी फर्क है. होम ब्रांच यानी जहां आपका खाता है. नॉन-होम ब्रांच मतलब उसी बैंक की किसी और ब्रांच से लेन-देन करना.
- ICICI महीने में 4 बार होम ब्रांच से पैसा निकालने पर कोई शुल्क नहीं लेता. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का शुल्क वसूला जाता है. थर्ड पार्टी लेन-देन की सीमा घटाकर 50,000 रुपए प्रति दिन कर दी गई है.
- नॉन-होम ब्रांच से पैसा निकालने पर ICICI पहला ट्रांज़ेक्शन मुफ्त करने देता है. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का अतिरिक्त चार्ज लगाया जाता है. इस तरह के लेनदेन पर बैंक आपसे एक महीने में ज़्यादा से ज़्यादा 150 रुपए लेगा.


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