अर्जुन कपूर ने बताया कैसे मोटापे से जूझते हुए उन्होंने अपना करियर स्टार्ट किया
बॉडी पॉज़िटिविटी पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि पहली फिल्म के लिए वजन कम करने में उन्हें चार साल लगे.
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पहली तस्वीर में अपनी मां मोना कपूर के साथ अर्जुन. दूसरी तस्वीर एक फोटोशूट की.
20 और 21 अगस्त को इंडिया टुडे का माइंड रॉक्स इवेंट चल रहा है. पैंडेमिक को देखते हुए ये इवेंट भी ऑनलाइन आयोजित करवाया गया है. इस इवेंट में बॉडी पॉज़िटिविटी पर बात करने के लिए एक्टर अर्जुन कपूर जुड़े थे. अपनी इस बातचीत में अर्जुन ने अपने करियर से लेकर अपनी मां के गुज़रने, बढ़े हुए वजन, लंबी-चौड़ी कद काठी और फिटनेस के इर्द-गिर्द लोगों के कंफ्यूज़न पर बात की. India Today E-Mind Rocks के सारे सेशंस आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं-
अपनी पहली फिल्म में ऐब्स बनाने के बावजूद 95 किलो के थे अर्जुन कपूर
अर्जुन कपूर इस बार माइंड रॉक्स में बॉडी पॉज़िटिविटी पर बात करने आए थे. बॉडी पॉज़िटिविटी का मतलब आपकी बॉडी के बारे में लोग-बाग क्या सोचते हैं, उससे ध्यान हटाकर अपने शरीर को एक्सेप्ट करना होता है. अर्जुन कपूर ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि उनकी बॉडी आम लोगों के शरीर से थोड़ी चौड़ी है. तिस पर उनका वजन बहुत ज़्यादा था. वो 140-145 किलो के हुआ करते थे. अपनी पहली फिल्म 'इशकज़ादे' के लिए अपना वजन कम करने में उन्हें चार साल लगे. उन्होंने फिल्म के लिए सिक्स पैक ऐब्स तो बना लिए, मगर फिर भी उनका वजन 95 किलो था. फिल्म 'गुंडे' में उनका वजह 92 किलो था.
अर्जुन इसमें जोड़ते हैं कि लोगों के मन ये धारणा रहती है पतला आदमी फिट और मोटा आदमी अनफिट है. जबकि ऐसा नहीं होता है. सबके शरीर की अपनी-अपनी बनावट होती है. पब्लिक का ऐसा भी सोचना होता है कि जिसके ऐब्स हैं, वो फिट है. मगर ऐसा नहीं होता है. अर्जुन पहले अपने शरीर से काफी जूझते रहे हैं. ओबेसिटी से लेकर तमाम तरह की शारीरिक बीमारियों से गुज़रे. मगर पैंडेमिक के दौरान उन्होंने अपनी बॉडी पर काम किया और वो काफी फिट फील कर रहे हैं.
इंडस्ट्री में बीते 10 सालों में अर्जुन कपूर ने क्या सीखा?
अर्जुन कपूर के करियर की पहली फिल्म 'इशकज़ादे' 2012 में रिलीज़ हुई थी. मगर फिल्म पर काम उसके पहले से शुरू हो चुका था. इसलिए वो ये मानते हैं कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं. अर्जुन से पूछा गया कि इन 10 सालों में वो कौन सी बातें रहीं, जिसके बारे में उन्हें लगता है उन्होंने गलत की. और कौन सी चीज़ उन्होंने सही की.
अर्जुन कपूर कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां के गुज़रने के ग़म से बचने के लिए बहुत काम करना शुरू कर दिया. पिछले 9-10 सालों में उन्होंने 15-16 फिल्में कर डालीं. इसमें कई ऐसी फिल्में भी रहीं, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए थी. इस दौरान उन्होंने अपनी मेंटल और फिज़िकल हेल्थ के लिए बिल्कुल समय नहीं निकाल पाए. बकौल अर्जुन, आगे वो इस तरह की गलती नहीं दोहराना चाहेंगे.
जब पैंडेमिक की वजह से देशभर में लॉकडाउन लगा, तो सबकी तरह अर्जुन की लाइफ भी रुक गई. जिन चीज़ों को नज़रअंदाज़ करके वो अब तक आगे बढ़ रहे थे, वो अचानक उनके दिमाग में आनी शुरू हो गई. इस चीज़ ने उन्हें इमोशनल लेवल पर तोड़ दिया. मगर अर्जुन कहते हैं कि इस मुश्किल वक्त में उनके आस पास उनकी पार्टनर थीं. उनकी बहन थीं, जिनके सामने वो खुलकर अपने भीतर चल रही बातें बता सकते थे. वो रो सकते थे. मगर इंडिया में रोने को गलत तरीके से देखा जाता है. लोग कहते हैं कि तुम मर्द हो, रो कैसे सकते हो. बेसिकली इसे एक कमज़ोरी की तरह देखा जाता है. मगर इस तरह की बातों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.
अर्जुन बताते हैं कि वो अच्छी फैमिली से आते हैं. वो खुद को प्रिविलेज्ड भी मानते हैं. मगर बावजूद इसके उन्होंने अपने लिए एक करियर बनाया. खुद को फाइनेंशियली इंडीपेंडेंट बनाया. इसे वो पिछले 10 सालों में की गई सबसे अच्छी चीज़ मानते हैं.