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जिसने भक्तों को भगवान के करीब पहुंचाया, अब जाकर मिला उनको पद्म श्री

'जय गणेश देवा' की आरती से शुरू करके दुर्गा सप्तसती के पाठ तक की जिम्मेदारी अनुराधा पौडवाल के हाथ थी.

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आशुतोष चचा
26 जनवरी 2017 (Updated: 26 जनवरी 2017, 11:39 AM IST) कॉमेंट्स
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अपने घर के आस पास नजर डालो. अगर कोई मंदिर वंदिर है तो ठीक. नहीं घर तो होंगे न. चाहे गोबर से लीपे बरामदे वाला बिना प्लास्टर वाला घर हो या किसी करोड़पति की कोठी. सुबह जो महीन सुरीली आवाज आती है वो भजनों की होती है. भजन बहुत लोग गाते हैं. 'पार्टी भजन' सुबह आंख खुलते ही नहीं सुने जाते. तब अनुराधा पौडवाल की सुरीली आवाज वो काम करती है कि आपका दिन बन जाए. उन्हीं अनुराधा को मिला है इस साल पद्म श्री अवॉर्ड. यहां "हुजूर आते आते बहुत देर कर दी" गाने का मन करता है. कमाल की फ़नकार अनुराधा को ये अवॉर्ड्स कब के मिल जाने थे. मगर होगी कोई पॉलिटिक्स, जिनके बारे में वो पब्लिक नहीं जानती जिसके बारे में कहते हैं "ये पब्लिक है सब जानती है."
हम ये किस्सा तब से शुरू करते हैं जब अनुराधा पौडवाल भजन गायिका नहीं थीं. जब वो हीरो के लिए "तू मेरा जानू है तू मेरा दिलबर है..मेरी प्रेम कहानी का तू हीरो है" गाती थीं. कितने ही मूछों पर रेख लाते लड़के बौरा जाते थे कि काश मैं भाव खाऊं "के प्रेमग्रंथ के पन्नो पर" और लड़की लहराती हुई उसे हीरो बना जाए. 90s का यूथ पागल हो जाता था अपने कैसेट प्लेयर पर सुनकर "तेरा नाम लिया तुझे याद किया." याद तो इन गानों की लिरिक्स हो जाती थी. वजह थी वही बारीक आवाज, अनुराधा पौडवाल की.
लता मंगेशकर की फैन अनुराधा का दिल लता क तरफ से उस वक्त खट्टा हो गया था जब उनको मिलने वाले गाने लता से गवा लिए गए. तब इनको शिकायत हुई कि लता और आशा का सिक्का ही चलता है बॉलीवुड में. खैर इस सबसे आगे 2010 में अनुराधा को लता मंगेशकर अवॉर्ड भी मिला. लेकिन वो वक्त ऐसा था जब अनुराधा को पता भी न होगा कि उनके फैन उन्हें कितना पसंद करते हैं. वो तो खुद उनका कमिटमेंट था कि टी सीरीज के अलावा उन्होंने किसी और के लिए गाने नहीं गाए, नहीं तो उस जमाने की कोई सिंगर फैन फॉलोविंग के मामले में गर्दा न पाती. अलका यागनिक से भी उनका पंगा रहा लेकिन एक सीक्रेट आपको बताते हैं. अनुराधा पौडवाल का बचपन से नाम अलका नादकर्णी था.
जब माधुरी दीक्षित भारी मात्रा में सांसों में ऑक्सीजन का सेवन करते हुए कहती हैं आउच...धक धक करने लग्गाह. उसे सुनने वालों की सांस तो वहीं रुक जाती थी. बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम, चाहा है तुझको, पिया लागी लगन, तू मेरी ज़िंदगी है. फिल्मी गानों की ये लाइनें दो छेद वाले कैसेट और मोनो साउंड वाले स्पीकर्स से होते हुए माइक्रो एसडी मेमोरी कार्ड और स्टीरियो इयरफोन्स तक आ गईं. सुनने वालों की पीढ़ियां कर्जदार रहेंगी.
जब दौर अनुराधा के गाए भजनों का आया तो सारी धुंध साफ सी हो गई. सुबह गणेश आरती से शुरू होकर दुर्गा सप्तसती तक का पाठ हमने अनुराधा पौडवाल के जिम्मे कर दिया. क्वार मास के नवराते शुरू होते ही पंडित जी की पूछ बढ़ जाती थी. जब तक वो नहीं आते थे तब तक कैसेट घूम घूम कर दुर्गा सप्तसती सुनाती थी. फिर जय अम्बे गौरी पर खत्म होती थी. अनुराधा पौडवाल का ये एहसान है हिंदू धर्म के मानने वालों पर. उनको इन भजनों ने भगवान के करीब पहुंचाया. और इन्हें गाने वाली अनुराधा पौडवाल लंबे समय तक लाइम लाइट से दूर रहीं. देर से ही सही, उनको अवॉर्ड देकर सरकार का थोड़ा सा पाप कम हो गया. खुद अनुराधा ने इस मौके पर कहा कि मेरी मेहनत का ये प्रसाद मुझे मिला है.
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