The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • An open letter to the world from people who wear spectacles

चश्मे वालों की तरफ से इस बेरहम दुनिया को एक खुला ख़त

तुम्हारी आंखें दुरुस्त हैं. तो खुश रहो. हमसे ये वाहियात सवाल मत पूछो.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
प्रतीक्षा पीपी
10 जून 2016 (Updated: 10 जून 2016, 08:49 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
दुरुस्त आंखों वालों, बधाई, कि तुम्हारी आंखें दुरुस्त हैं. तुम आर्मी में जाओ, पायलट बनो. तुम्हें सुबह उठकर बिस्तर, जमीन और टेबल नहीं टटोलने पड़ते. तुम्हारे चश्मे रखने की जगह बदलने पर तुम्हारी मम्मी से लड़ाई नहीं होती. तुम्हारे भाई-बहन तुम्हारे चश्मे छिपाकर तुम्हारे मज़े नहीं लेते. 6-6 महीने की उम्र वाले तुम्हारे भतीजे-भांजियां तुम्हारे चश्मे नहीं खींचते. और उनके मां-पापा के आस पास होने की वजह से तुमको उनकी इस हरकत पर फालतू हंसना नहीं पड़ता. तुम्हें तुम्हारा चश्मा पहन कर फोटो खिंचवाने की डिमांड करने वाले रिश्तेदारों के बच्चों को क्यूट नहीं बोलना पड़ता. तुम्हारा जीवन बहुत सुखी है. इसका तुम्हें सचमुच अंदाज़ा नहीं है. या शायद होगा भी. तो मेरा एक सवाल है. तुम अपनी जिंदगी में खुश क्यों नहीं रहते? आखिर चश्मे वालों से तुम्हें तकलीफ क्या है? तुम हमें चैन से जीने क्यों नहीं देते? तुम क्यों हमसे वाहियात सवाल कर-कर हमारी जिंदगी में धनिया बोए रहते हो? कुहनी से हाथ जोड़कर एक रिक्वेस्ट है. प्लीज, प्लीज, प्लीज, ये सवाल पूछना बंद कर दो: 1. ये नज़र का चश्मा है? नहीं. चश्मे तो नज़र के होते ही नहीं हैं. बोलने और सुनने के होते हैं. और पता है, कभी-कभी हम नदी में चश्मे फेंक के मछली पकड़ लेते हैं. 2. पावर है इसमें? जी नहीं, हम तो बस डेनियल विटोरी के फैन हैं, इसलिए लगाए रहते हैं. नाक पर वजन लेकर घूमने, और नोज-पैड से नाक पर गड्ढे बनवाने का शौक है हमें. 3. प्लस में है या माइनस में? पूछते तो ऐसे हैं, जैसे हम बता देंगे और आपको प्लस-माइनस का कॉन्सेप्ट समझ में आ जाएगा. 4. तो ये हमेशा लगाना पड़ता है? नहीं, बस सूरज उगने से सूरज ढलने तक. अंधेरे में मेरी आंखों की रोशनी वापस आ जाती है. 5. अच्छा ये कितनी उंगलियां हैं? क्यों बताएं, तुम्हारे नौकर हैं क्या? 6. मैं लगा के देख लूं? चश्मा है, सर्जरी नहीं. जैसे दिखते हो वैसे ही दिखोगे.

इसके अलावा कुछ और बातें, जिन्हें आप जीते-जी जान लें तो बेहतर होगा. कौन जाने नर्क के शैतान भी चश्मा लगाते हों:

1. ये चश्मा है, हैंड लेंस नहीं. इससे आपको फिंगरप्रिंट नहीं दिखेंगे. नाक के ब्लैकहेड्स निकालने के लिए इनका इस्तेमाल न करें. 2. चश्मा नज़र को ठीक कर देता है. चश्मे लगाने के बाद हमें क्लास में आगे बैठने और टीवी को पास से देखने की जरूरत नहीं पड़ती. हमें धक्का देकर आगे न भेजें. 3. बिना चश्मा लगाए हम अपना चश्मा नहीं ढूंढ पाते. ऐसे समय में हमारी मदद करें. 4. चश्मा लेंस पकड़कर न उठाएं. खासकर पराठे खाए हुए तेली हाथों से. आपके फिंगरप्रिंट कोर्ट में पेश कर हम कुछ भी साबित नहीं करना चाहते. 5. नज़र ख़राब होना छूत की बीमारी नहीं है. हमारा चश्मा ट्राय करने के पहले उसे पोंछने की जरूरत नहीं है. 6. चश्मे का दाम न पूछें. बस, न पूछें. 7. आप हमारे डॉक्टर न बनें. हमें न बताएं कि प्याज का रस या घोड़े का सूसू डालकर हमारी आंखें दुरुस्त हो जाएंगी. दुरुस्त आंखों वालों, हमें पता है तुम्हें चश्मे बड़ी विदेशी चिड़िया लगते हैं. तो तुम एक काम करो. एक चश्मे की दुकान पर जाओ. उससे कहो चश्मा लेना है, लेकिन आंख दुरुस्त है. वो तुम्हारा आई-टेस्ट करेगा. और कुछ नहीं तो कम से कम -0.25 पावर तो निकाल ही देगा, एक आंख में ही सही. लेकिन हमें बख्श दो. तुम्हारे अपने, चश्मे वाले

Advertisement