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इस्लाम में लॉटरी हराम है, तो 89 करोड़ रुपए जीतकर हो गया फुर्र

ब्रिटेन में घर का सामान खरीदने गए थे, लॉटरी के 6 टिकट खरीद लिए.

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पंडित असगर
16 अगस्त 2016 (Updated: 16 अगस्त 2016, 07:29 AM IST) कॉमेंट्स
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दे दे अल्लाह छप्पन करोड़ की चौथाई. ये डायलॉग कई बार सुना होगा. कोई भी महंगी कार या बाइक देखकर तो ये डायलॉग फटाक से बाहर आ जाता है. लेकिन कभी पूरा नहीं होता. पूरा होता है तो सिर्फ परियों की कहानियों में. और हां, ये भी सुना होगा वो (ईश्वर) चाहे तो रंक को राजा बना दे और राजा को फ़कीर. तो कुछ ऐसा ही हुआ मुख़्तार मोहिदीन के साथ. जो दो घंटे में 89 करोड़ रुपये के मालिक बन गए. लॉटरी जीत ली थी उन्होंने. लेकिन ब्रिटेन की मस्जिद अल-मोमिनीन के इमाम ने फतवा दे डाला कि ये पाप की कमाई है, क्योंकि इस्लाम में जुआ खेलना गुनाह है, तो मौलवियों से बचने के लिए गायब हो गए. मीडिया ढूंढ़ती रह गई. अब आपका माथा ठनक रहा होगा कि ये मुख़्तार मोहिदीन कौन हैं. जिनके बारे में सुना तक नहीं. तो आप अपनी नॉलेज पर शक मत करो. मुख़्तार मोहिदीन एक इंडियन थे, जो ब्रिटेन में रहते थे. महज 250 पाउंड जुटाने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी. दिसंबर 1994 में तकदीर ने ऐसा पलटा खाया कि वो उस वक्त के 18 लाख पाउंड (तब के 89 करोड़ रुपए) के मालिक बन गए. अब वो हर महीने घर बैठे 1 करोड़ 8 लाख रुपये कमा सकते थे, वो भी 89 करोड़ पर मिलने वाले ब्याज से.
मुख़्तार. एक ऐसे इंडियन, जिनका नाम सबने सुना, लेकिन उनके जानने वालों के अलावा किसी ने नहीं देखा. वैसे मुख़्तार के मानी भी 'अपनी मर्जी का मालिक' होता है.

मीडिया ने रखा इनाम फिर भी नहीं मिले मुख़्तार

जब पता चला कि मुख़्तार ने 89 करोड़ रुपये की लॉटरी जीती है. तो वेस्टर्न मीडिया ने उन्हें तलाशना शुरू कर दिया. मीडिया संस्थानों में होड़ थी कि सबसे पहले वो मुख़्तार का इंटरव्यू करें. पता चला कि मुख़्तार ब्रिटेन में लंकाशायर इलाके के ब्लैकबर्न में रहते हैं. मीडिया वालों का जमघट लगना शुरू हो गया उनके द्वारे पर. लेकिन मुख़्तार भी मुख़्तार निकले. किसी मीडिया वाले के हाथ नहीं आए. मीडिया ने भी शतरंज की चाल चली. 'डेली मिरर' ने ऐलान कर दिया, जो मुख़्तार के बारे में बताएगा, उसे 5 हजार पौंड इनाम में दिया जाएगा. 'द सन' ने जरा भी देर नहीं की. और इनाम की यह रकम बढ़ाकर दोगुनी कर दी. बहरहाल मीडिया को इतना तो पता चल गया कि वो एशिया से हैं. लेकिन और कोई कामयाबी नहीं मिली. मुख्तार महाराष्ट्र के बोरली पंचाटन के रहने वाले थे. ब्लैकबर्न में उनकी शांति से गुजर-बसर हो रही थी. अपनी बीवी सईदा और दो बच्चों के साथ रह रहे थे. उस वक्त ब्रिटेन में जबरदस्त मंदी थी और इस दौरान उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था. उनके लिए एक दुकान खरीदना महज एक ख्वाब था. लेकिन लॉटरी ने तकदीर संवार दी थी, ऐसे में अब वो अपने मोहल्ले की सारी दुकानें खरीद सकते थे. मुख्तार ब्रिटेन में घर के पास ही एक सुपर मार्केट में शॉपिंग के लिए गए. चलते-चलते लॉटरी के 6 टिकट खरीद लिए. अभी दो घंटे ही गुजरे थे कि बीबीसी टीवी पर नतीजे भी आ गए. ऐलान हुआ. और मुख्तार हैरान रह गए. मुख्तार ने लॉटरी चलाने वाली कंपनी केमलट के ऑफिस को फ़ोन लगाया. कंपनी में फ़ोन रिसीव हुआ. और रोजान की तरह आने वाले कॉल्स समझकर फोन रख दिया गया. आधी रात का वक्त था, जब कंपनी ने क्लियर किया कि मुख़्तार ही विजेता हैं.

फतवा आ गया था

जब मीडिया को करोड़पति का पता चला, तो मुख़्तार गायब हो गए. किसी को नहीं दिखाई दिए. उनके गायब होने की एक वजह ये भी बताई गई कि मुसलमानों में जुआ खेलना हराम है, क्योंकि मस्जिद अल-मोमिनीन के इमाम ने ऐसा फतवा दे डाला था. विवाद गरमाया. तर्क-कुतर्क होने लगे. वो तो शुक्र है कि उस वक्त सोशल मीडिया नहीं था. नहीं तो न जाने कितने आंदोलन हो जाते और स्क्रीन शॉट लेकर वायरल कर दिए जाते. वैसे ब्रिटेन की इस्लामिक संस्था 'इस्लामिक रिलीफ' ने मामले को जल्दी भांप लिया. इस्लामिक रिलीफ के चीफ ने कहा, 'इस मामले में जानकारों से सलाह ली गई. राय ये बनी कि इस्लाम में जुआ खेलना तो गुनाह ही है. लेकिन दान के तौर पर रकम कबूल की जा सकती है.' इस जद्दोजहद में उलझे लोगों को पता ही नहीं चला कि आखिर मुख़्तार हैं कहां? वो चुपचाप लंदन गए, जहां अफसर उनका इंतजार कर रहे थे अकाउंट खोलने के लिए. उन्होंने अपनी फैमिली के फ्यूचर इंतजाम किया और ब्रिटेन से निकल लिए.

गांव वालों को तो पता ही नहीं था मुख़्तार करोड़पति बन गए!

कुछ मीडिया वालों ने कयास लगाया कि वो तंजानिया गए होंगे, जहां उनके पिता ने छोटा सा होटल बनाया था. कुछ को उनके अमेरिका में, तो कुछ को भारत में होने का अंदाजा था. 'द मेल ऑन संडे' के रिपोर्टर निक फील्डिंग और फोटोग्राफर स्टीव बेंट तो इतने उत्साही निकले कि मुख़्तार की तलाश में इंडिया आ गए और उनके पैतृक गांव बोरली पंचाटन पहुंच गए. जो मुंबई से साउथ में 130 मील दूर है. ये दोनों गांव में पहुंचकर उस वक्त हैरान रह गए, जब पता चला कि गांव के किसी शख्स को ये भी नहीं पता कि मुख्तार इतने अमीर बन गए हैं. और मीडिया की हसरत उनको देखने की ही रह गई. बाद में खबरें आईं, जिनमें कुछ अफवाहें थीं, तो कुछ सच. इनमें एक खबर ये भी थी कि लॉटरी जीतने के एक साल बाद ही मुख़्तार और उसकी बीवी सईदा परेशान रहने लगे. क्योंकि मुख़्तार को लगता था कि वो जुए में जीती गई रकम है, जो इस्लाम में गुनाह है. इस वजह से वो परेशान थे. और ये परेशानी दोनों के बीच तलाक की वजह बन गई. 1998 में दोनों में तलाक हो गया.

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