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इंडिया Vs भारत की बहस के बीच कहीं मणिपुर पीछे न छूट जाए

मणिपुर पर UN की रिपोर्ट क्या कहती है और भारत का क्या स्टैंड है?

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un report on manipur
G20 समिट से पहले UN ने जारी की मणिपुर हिंसा पर रिपोर्ट.
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आयूष कुमार
6 सितंबर 2023 (Updated: 6 सितंबर 2023, 10:35 PM IST) कॉमेंट्स
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हमारे देश के नाम पर बहस हो रही है. एक बेजा बहस. क्या हमारे देश का नाम बदला जाएगा? क्या हमारे देश का नाम बदलने से देश बदल जाएगा? किसी संस्थान के नाम के आगे भारत लिखा है या इंडिया, इस बहस में उतरे बिना हम जानेंगे अपने देश के नाम की कहानी. भिन्न-भिन्न नाम कहां से हमारे पास आए? और साथ में रुख करेंगे आज की सबसे जरूरी खबर का - मणिपुर. जहां की परिस्थितियों पर G20 के ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट सामने आई है. क्या लिखा है इन कागजों में? और भारत सरकार का स्टैंड क्या है? और जब एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के दरम्यान हमारे देश की स्थिति क्या है?

प्रेसीडेंट ऑफ भारत और प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिखे दो कागजों से विवाद का जन्म हुआ. विपक्ष ने इस पर अपने-अपने तर्कों के साथ सरकार के इस संभावित मूव पर सवाल उठाए. सरकार ने कह दिया कि ऐसी कोई योजना नहीं है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि नाम बदलने की बात अफवाह है. लेकिन उन्होंने साथ में एक बात नत्थी कर दी. कहा कि 'भारत' नाम के प्रति उनकी (विपक्ष की) मानसिक दशा क्या है, ये साफ दिखता है.

लेकिन नाम परिवर्तन हो न हो, देश को विवाद के लिए मसाला मिल गया है. लेकिन इस विवाद के पहले देश के संविधान की वो लाइन आपके सामने फिर से रखना चाहेंगे, जिससे हमने 4 सितंबर के लल्लनटॉप शो की शुरुआत की थी.

India, that is Bharat, shall be a Union of states.

इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा. यानी देश का संविधान भी दोनों नामों को अलग करके नहीं देखता. सत्ता और विपक्ष किस निगाह से देखेंगे? और क्यों देखेंगे? वो भी तब जब दोनों ही नामों का अपना एक गुलजार इतिहास है.

भारत नाम के बारे में बताते हैं. लेखक देवदत्त पटनायक टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखे अपने लेख में कुछ जानकारियां देते हैं. पहले तीर्थंकर ऋषभ देव के पुत्र और पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम से उपजा भारत. ये जैन धर्मावलंबियों का मानना है.

इसके अलावा ऋगवेद में भी एक वर्णन मिलता है भरत वंश का. इस वंश ने सात नदियों द्वारा सींची गई जमीन पर 10 राजाओं को हराया था. इनके नाम पर देश का नाम पड़ा भरत, ये भी एक मान्यता है.
इसके अलावा भरत नाम कहां-कहां मिलता है, इसका भी उल्लेख है. जैसे राजा राम के भाई भरत, शकुंतला और दुष्यंत के बेटे का नाम भरत, नाट्यशास्त्र लिखने वाले मुनि का नाम भी भरत हुआ.

इसके अलावा नाम इंडिया और हिंदुस्तान नाम की बात है तो दोनों ही नाम Indus और सिंधु नामों से उपजे. इंडियन एक्सप्रेस में छपे अद्रिजा रॉयचौधरी के आलेख की मानें तो मान्यता है कि हिंदुस्तान नाम फारसी लोगों ने दिया, कैसे? उन्होंने सिंधु घाटी में नीचे के इलाकों में बसे लोगों को हिंदू कहा. सिंधु से जन्मा हिंदू. स्तान जोड़ने पर हिंदुस्तान नाम बन गया.

फिर ग्रीक जब भारत आए तो उन्होंने सिंधु नाम को अपनी भाषा में Indus कहा. ध्यान रहे कि इसके पहले सिंधु कहा गया था, Indus बाद में ग्रीकों ने कहा था. बाद में जब ईसापूर्व तीसरी शताब्दी में मैसेडोनिया के राजा अलेक्जेंडर ने भारत पर आक्रमण किया तो उसने Indus के आगे बसे हिस्से को India कहा.

हिंदुस्तान नाम मुग़लों के भारत में आने के साथ ज्यादा चलन में रहा. लेकिन जब 18वीं शताब्दी में देश में अंग्रेज आए तो उन्होंने इंडिया शब्द को चलन में रखा.

लेकिन हमारे देश के इतने ही नाम नहीं है. हमारे बहुत सारे अभिलेखों में और देश में प्रचलित बहुत सारी मान्यताएं हैं, जो हमारे देश को अपने-अपने नामों से बुलाती हों. और सुनते हैं तो साफ होता है कि देश बस एक भूखंड नहीं है, देश एक भावना है, इसे फलने देना चाहिए.

लेकिन देश का बहुत जरूरी वक्त नाम की बहस में बर्बाद हो रहा है. हमारे देश में विवाह के बाद महिलाओं का नाम बदला जाना एक आम बात है, लेकिन क्या नाम बदलने से देश की महिलाएं एक बेहतर स्थिति में है? तो क्या देश का नाम देश की समस्याओं और उपलब्धियों का पैरामीटर है? उससे स्थितियाँ बदलेंगी? सुधरेंगी या बिगड़ेंगी? शायद नहीं. इस बहस से बाहर देखना होगा हमें मणिपुर को, मणिपुर पर आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को. मणिपुर हिंसा को लेकर UN एक्सपर्ट्स की एक रिपोर्ट सामने आई है. और इस पर हमेशा की तरह सरकार की नकार भी आ चुकी है. क्या है इस रिपोर्ट में? आइए समझते हैं -

4 सितंबर को आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में मानवाधिकार उल्लंघन और उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं. साथ ही यौन हिंसा, एक्स्ट्रा-जूडिशल हत्याएं, घरों की तबाही, बेदखली, टॉर्चर और बुरे बर्ताव जैसी चीजें सामने आ रही हैं.मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष को लेकर UN ने कहा है कि मणिपुर में चल रहे मानवीय संकट के बीच संकट सुलझाने के मानवीय प्रयास नदारद हैं. रिपोर्ट में और क्या कहा गया है?
> अगस्त 2023 के मध्य तक इस हिंसा में 160 लोग मारे गए, जिसमें से अधिकांश कुकी समुदाय से हैं
> 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए
> हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए
> सैकड़ों चर्च जला दिए गए
> खेत, फसल और जीविकाओं का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ

यही नहीं, इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बड़े स्तर पर कुकी समुदाय को, खासकर इस समुदाय से आने वाली हर वर्ग की महिलाओं को, टारगेट किया गया है. जैसे -

"ये चिंता का विषय है कि जो हिंसा हुई है, वो नफरती और भड़काऊ भाषण दिए जाने की वजह से भड़के. ये भाषण ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यमों से फैले, जिनमें कुकी अल्पसंख्यकों, खासकर महिलाओं, के खिलाफ हो रही हिंसा को जायज ठहराया गया. ये हिंसा उनकी जनजातीय पहचान और उनके धार्मिक विश्वास को आधार बनाकर की गई."

इसके अलावा इस रिपोर्ट में सुरक्षा बलों और सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी आलोचना की गई है. बानगी देखिए -

"इस हिंसा में जनजातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को जायज ठहराने के लिए काउंटर-टेररिज़म तरीकों का बेजा इस्तेमाल किया गया है, ऐसी जानकारियां चिंता पैदा करने वाली हैं. मणिपुर में हो रही घटनाएं भारत में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की लगातार गिरती स्थिति में एक और दुखद अध्याय हैं...मणिपुर में यौन हिंसा रोकने के लिए भारत सरकार का धीमा और कमजोर रीस्पान्स चिंता पैदा करने वाला विषय है."

हम यहां बता दें कि हम यहां पर अंग्रेजी में लिखी गई रिपोर्ट का एक फौरी हिन्दी अनुवाद आप तक ला रहे हैं, ताकि आपको मामला समझा सकें. इस पूरी रिपोर्ट को आप यूनाईटेड नेशंस के ह्यूमन राइट्स के हाई कमीशन की वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैं.

रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत सरकार द्वारा रिपोर्ट का खंडन आया, जैसे बीते समय कई सारे इंडेक्स और रिपोर्ट की खंडन आया है. Press Trust of India के हवाले से आई खबरों की मानें तो जिनेवा में UN ऑफिस में मौजूद भारतीय स्थायी मिशन के जवाब में UN की रिपोर्ट पर तीन शब्द हाईलाइट किए जाने लायक हैं-
Unwarranted - अनपेक्षित
Presumptive - मनमाना या अनुमानित
Misleading  - भ्रामक
लेकिन इसके साथ ही भारत सरकार ने एक और वाक्य लिखा है, जिसको बार-बार अंडरलाइन करके पढ़ा जाना चाहिए
Situation in Manipur is peaceful and stable. यानी मणिपुर में स्थितियां शांत और स्थिर हैं.

इस वाक्य पर ध्यान क्यों देना चाहिए, इस पर आगे बात करेंगे, पहले भारत का पक्ष बताते हैं. भारत ने ये भी कहा कि सरकार मणिपुर समेत पूरे देश के लोगों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. और ये रिपोर्ट मणिपुर के सही हालातों और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सही से समझे बिना जारी की गई है. भारत ने ये भी नाराजगी ज़ाहिर की है कि स्थायी कमीशन के जवाब का इंतजार किए बिना ये रिपोर्ट जारी कर दी गई. लेकिन इस नूराकुश्ती के बीच, नेरटिव सम्हालने की कोशिशों के बीच इस पर बात करना जरूरी है कि जब दिल्ली में G20 का उत्सव मनाया जा रहा है, उस दौरान मणिपुर में क्या स्थिति है?

स्थिति ये है कि आज की तारीख में भी मणिपुर में झड़पें हो रही हैं और कई इलाकों में अभी भी फायरिंग जारी है. दोषी कौन है? दोनों ही समुदाय. निशाने पर कौन है? दोनों ही समुदाय. अगर आप 6 सितंबर को आया ये बुलेटिन देख रहे हैं तो आपको ये भी पता होना चाहिए कि 5 सितंबर की शाम से मणिपुर की घाटी के 5 जिलों में कर्फ्यू को फुल इफेक्ट में लागू कर दिया गया. ये जिले हैं-
बिष्णुपुर
काकचिंग
थोबल
इंफाल वेस्ट
इंफाल ईस्ट

इन जिलों में बीते कुछ दिनों तक कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दी जाती रही, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि 5 सितंबर की शाम कर्फ्यू छूट वापिस ले ली गई. इसका जवाब है COCOMI - Coordination Committee on Manipur Integrity का एलान. बता दें कि COCOMI मैतेई समुदाय के बीच मौजूद सिविल सोसायटीज़ का एक अम्ब्रेला समूह है. COCOMI ने एलान किया कि वो 6 सितंबर को कुकी बहुल चुराचांदपुर की सीमा तक मार्च करेंगे, और वहां पर मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाएंगे. लिहाजा कर्फ्यू की छूट वापिस ले ली गई.

6 सितंबर का दिन आया, कर्फ्यू के बीच मार्च शुरु हुआ और बिष्णुपुर की सीमा तक गया. सामने सुरक्षाबलों की बैरकेडिंग थी. संघर्ष शुरु हुआ. ग्राउंड पर मौजूद सूत्रों ने बताया कि Rapid Action Force के जवानों ने प्रतिरोध किया. खबरों ने बताया कि आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट की फायरिंग की गई. बड़ी संख्या में लोग घायल हुए. इस शो के लिखे जाने तक घायलों की संख्या की अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं आई है.

चूंकि मणिपुर पुलिस ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और उसके पदाधिकारियों पर FIR भी दर्ज की है क्योंकि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मणिपुर के स्थानीय पत्रकारों के बायस पर बात की थी, और सुप्रीम कोर्ट ने अपने आज के आदेश में पुलिस को अगली सुनवाई तक कोई भी एक्शन लेने से मना कर दिया, तो ज़ाहिर है कि मणिपुर जिस भी स्थिति में है, स्थिर भले है, लेकिन शांति की उम्मीद इस राज्य को अभी भी है.

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