कुंभ: किन्नरों के दांत से चबाए सिक्के क्या सोचकर लेते हैं लोग?
किन्नर अखाड़े में लोग जाते हैं. पैर छूते हैं. सेल्फी लेते हैं. उन्हें प्रसाद में मिलता है सिक्का. चबाया हुआ.
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![Img The Lallantop](https://static.thelallantop.com/images/wordpress/2019/01/Kinnar-Akhada-9_280119-083318.webp?width=540)
किन्नर अखाड़े के टेंट में बड़ी चहल-पहल थी. खूब सारे लोग आशीर्वाद लेने के लिए खड़े थे. लोगों ने बताया, इतनी वैरायटी किसी और अखाड़े में नहीं है (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)
हमारे हाथ में कुंभ का नक्शा है. हम नक्शा ताक रहे हैं. फोन पर गूगल मैप्स भी खुला है. फिर भी हम बार-बार खो जाते हैं. पूछने का ही सहारा बचता है. हमें सेक्टर 12 पहुंचना है.
पहले लगा, जूना अखाड़े के साथ ही होंगे किन्नर अखाड़ा वाले. मगर फिर किसी ने बताया. उन्होंने अपना अलग इंतजाम किया हुआ है. हमें पांच बजे किन्नर अखाड़े की मुखिया लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का इंटरव्यू लेना है.
देर होने का भरपूर अंदेशा था. सो हम तय वक़्त से 25 मिनट पहले ही पहुंच गए हैं. यहां बहुत भीड़ है. खूब सारे लोग आ-जा रहे हैं. माथे पर भांति-भांति के टीके. किसी और अखाड़े के बाहर आम लोगों की ऐसी भीड़ नहीं दिखी हमें. न ही भीड़ की इतनी वैरायटी दिखी. हमारे साथ कुछ लोकल लड़के हैं. बता रहे हैं, किन्नर अखाड़े को लेकर बड़ी दिलचस्पी है लोगों में. क्या बाहर के लोग और क्या इलाहाबाद वाले, यहां खूब आना हो रहा है लोगों का.
![बाकी किन्नर बात करने को राजी नहीं. उनका जवाब है, जब लक्ष्मी बात करेंगी तब ही हम बात करेंगे. ये सेल्फी लेने की ड्यूटी पर हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2019/01/Kinnar-Akhada_280119-083929.jpg)
बाकी किन्नर बात करने को राजी नहीं. उनका जवाब है, जब लक्ष्मी बात करेंगी तब ही हम बात करेंगे. ये सेल्फी लेने की ड्यूटी पर हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)
सड़क के किनारे पांडाल लगा है. इससे बड़े, इससे महंगे, कई तो महलनुमा पांडाल देखे हैं हमने यहां. मगर ये पांडाल भी स्टाइलिश है. प्रवेश द्वार के बाहर, जहां किन्नर अखाड़ा लिखा है, उसके पास आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी की तस्वीर गुदी है. बारिश हुई थी, मिट्टी गीली है. इधर-उधर कीचड़ भी है. प्रवेश द्वार से अंदर आओ, तो किन्नर अखाड़े की बाकी महामंडलेश्वर तस्वीरों में दिखती हैं. सामने मिट्टी का द्वार बना है. दायें-बायें उल्टे मुंह टोकरियां लटकी हैं. हम अंदर आते हैं.
घुसते ही एक बाड़ा दिखता है. रस्सी लगाई गई है. उसके पार पीछे की तरफ सफेद टेंट दिखते हैं. रस्सी की वर्जना. उधर बिना इज़ाज़त नहीं जा सकते. रस्सी के इस पार सामने की तरफ एक बड़ा सा टेंट है. अंदर तेज़ संगीत की आवाज़ के बीच कुछ किन्नर बैठी हैं. एक खास सेल्फी खिंचवाने के लिए. बैंगनी साड़ी, शायद चंदेरी. माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, ऊषा उत्थुप जैसी. लोग जा रहे हैं, पांव छू रहे हैं, सेल्फी ले रहे हैं. उनके चेहरे पर थकान दिखती है.From pariah to demi-god: transgender leader a star at Indian festival
Lakshmi Narayan Tripathi, chief of the "Kinnar Akhada" congregation for transgender people take a dip during the first "Shahi Snan" in Allahabad, India, January 15, 2019. REUTERS 📷 Danish Siddiqui pic.twitter.com/CIcvBMq0rH
— Iqbal Muhammad (@Iqbal_Mhd) January 22, 2019
![ये महफिल है. लोग लाइन बनाकर आशीर्वाद ले रहे हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2019/01/Kinnar-Akhada-1_280119-084112.jpg)
ये महफिल है. लोग लाइन बनाकर आशीर्वाद ले रहे हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)
थोड़ी दूर पर जमावड़ा लगा है. वहां छह किन्नर हैं. कुछ कुर्सियों पर बैठी हैं. कुछ खड़ी हैं. एक पूरा साज-श्रृंगार किए, लहंगा पहने बीच में नाच रही हैं-
मशहूर मेरे इश्क़ की कहानी हो गई, मैं दीवानी मैं दीवानी मैं दीवानी हो गई.लोगों ने मोबाइल निकाल लिया है. सब वीडियो बना रहे हैं.
एक लाइन जा रही है. वहां कुर्सियों पर जो किन्नर बैठी हैं, उनके पास. लोग जाते हैं. पैर छूते हैं. सेल्फी लेते हैं. उन्हें प्रसाद में मिलता है सिक्का. एक का या दो का. किसी-किसी को पांच रुपये भी. देने वाली किन्नर दांत से सिक्का चबाती हैं. तब देती हैं. ये पर्सनलाइज्ड प्रसाद है. हमने लोगों से पूछा, सिक्के का क्या करेंगे. जवाब मिला, घर के मंदिर में रख देंगे. उससे क्या होगा? तरक्की होगी, उनके मन में है. किन्नरों की दुआ लगती है. सुबह संगम पर एक आदमी मिला था. कह रहा था, यहां खजाना दबा है. दिनभर में किसी एक किस्मत वाले को मिलता है. मैं सोचती हूं. कितने करोड़ लोग आते हैं यहां. सब कुछ न कुछ खोज रहे हैं. मैं नहीं जानना चाहती कि किसको क्या मिला. ये मिस्प्लेस्ड सवाल होगा.
![संगीत लगातार बज रहा है. बीच-बीच में डांस भी हो रहा है. डांस वाले गाने फिल्मी हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2019/01/Kinnar-Akhada-4_280119-084254.jpg)
संगीत लगातार बज रहा है. बीच-बीच में डांस भी हो रहा है. डांस वाले गाने फिल्मी हैं (फोटो: निमाई दास, The Lallantop)
बैंगनी साड़ी वाली किन्नर पीछे के रास्ते जा रही हैं. मालूम चलता है, एक-एक घंटे की शिफ्ट लग रही है. ताकि कोई थके न. मैं बाहर आए लोगों से पूछती हूं. किन्नर अखाड़ा मान्यता के लिए संघर्ष कर रहा है. मगर अखाड़े के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी राजी नहीं. वो नहीं मानते कि संन्यास परंपरा में, अखाड़ा परंपरा में किन्नरों की कोई जगह है. जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को सपोर्ट किया है. उन्हें अपने साथ शाही स्नान करने का हक़ दिया है. मैं लोगों से पूछती हूं. नरेंद्र गिरी की आपत्ति पर वो क्या सोचते हैं? कोई नहीं मिलता, जो उन्हें सपोर्ट करे. लोगों का अंदाज यूं है मानो वो कौन होते हैं सबको डंडा दिखाने वाले. कुछ लोग तो अखाड़ा परिषद के बर्ताव पर नाराज़ भी हो रहे हैं. इनमें महिलाएं भी हैं. पुरुष भी.
सोचिए. स्त्रीलिंग और पुलिंग. दोनों मिलकर तीसरे लिंग का साथ दे रहे हैं. किन्नरों ने हमेशा से शायद यही चाहना रखी होगी.
ये श्रद्धा है. ये कौतूहल भी है. ये आस है. ये डर भी है.
ये कुंभ है. ये कुंभ के लोग हैं.
अक्षय पात्र फाउंडेशन की मशीनी रसोई, जो कुंभ मेले का पेट भरती है