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अवतार सिंह: 12 साल बाद ओलंपिक में पहुंचा भारत का पहला जूडो खिलाड़ी

आज मैच है, भारत की जूडो में इकलौती उम्मीद का, जो यहां तक अपने बूते पहुंचा है.

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आशीष मिश्रा
10 अगस्त 2016 (Updated: 10 अगस्त 2016, 03:39 PM IST) कॉमेंट्स
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12 साल बाद कोई जूडो खिलाड़ी भारत की ओर से ओलंपिक में खेलेगा. ये 24 साल के अवतार सिंह हैं. नब्बे किलोग्राम के भारवर्ग में खेलते हैं. अवतार सिंह पंजाब के गुरुदासपुर के हैं. इस बार  वो भारत की ओर से ओलंपिक में जूडो खेलने गए इकलौते खिलाड़ी हैं. 10 अगस्त को उनका पहला मुकाबला है.
3 अप्रैल 1992 को पंजाब के गुरदासपुर में उनका जन्म हुआ था. बचपन घर-गांव में घरवालों के खेत में काम करते हुए बिताया. गांव में, स्कूल में खूब से जूडो के प्लेयर्स थे. जूडो नया नाम न था. जूडो वाली ड्रेस अच्छी लगती. तो बचपन से खेलने लगे. प्रोफेशनल हो गए. बाद में पुलिस में आ गए.
अवतार रियो ओलंपिक में कॉन्टिनेंटल कोटे से गए हैं. उनके पहले 2004 में अकरम शाह भारत की ओर से ओलंपिक में जूडो खेलने गए थे. वैसे तो अवतार पंजाब पुलिस में सर्विस देते हैं. असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं. लेकिन इस साल उनका तुर्की ग्रां प्री में पहुंचना भी मुश्किल हो गया था. फेडरेशन ने उनकी मदद नहीं की. उनको भेजने के लिए मम्मी-पापा को फिक्स डिपोजिट तुड़वाना पड़ा. क्योंकि फेडरेशन नहीं तो सरकार से भी मदद मिलने से रही थी. आने-जाने को टिकिट का पैसा तक खुद देना पड़ा था. लेकिन अवतार उसका लोड नहीं लेते. मिल्खा सिंह से प्रेरणा लेते हैं. उनका मानना है कि उस वक़्त अगर बिना ज्यादा संसाधनों के वो इतना आगे जा सकते हैं फिर हम तो क्या कुछ कर सकते हैं.
इसके पहले वो पांच टूर्नामेंट खेले हैं. इस साल अप्रैल में उज्बेकिस्तान में हुई एशियाई जूडो चैंपियनशिप में पांचवे नम्बर पर रहे थे. 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में सोना लाए थे. 2013-14 और 2014-15 में उनने सीनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था. 2011 में एशियाई जूनियर जूडो चैंपियनशिप हुई उसमें कांसा जीता था.
यशपाल सोलंकी उनको मांझ रहे हैं. उनके कोच हैं. क्योंकि अवतार खेल में नए हैं, एक्सपोजर कम है. अनुभव ज्यादा नहीं है. तो लोग सवाल भी उठाते हैं, लेकिन सैफ खेलों में गोल्ड जीत उनको भी जवाब दे ही दिया गया है. भले अवतार नए हैं लेकिन लत उनको पोडियम पर चढ़ने की लग गई है. और अब तो खेल मंत्रालय भी उनको सपोर्ट कर रहा है. चीजें ओलंपिक तक पहुंचते-पहुंचते ठीक हो गईं थीं. तैयारी भी दुरुस्त ही रही. अवतार 6 फुट चार इंच के हैं. उनके कोच भी मानते हैं कि उनकी हाईट का कोई खिलाड़ी उनके वजन के वर्ग में ओलंपिक में नहीं है. गई-बीती हालत में उनका अपोनेंट उनसे दो इंच छोटा ही रहता है. इससे उनकी रेंज बढ़ जाती है, रीच बढ़ जाती है. दूसरा ये कि वो बिना घबराए खेलते हैं, बहुत फुर्ती में खेलते हैं, और बहुत लचीले हैं. ये चीज उनको और खतरनाक बनाती है. हम अवतार से पदक की उम्मीद कर सकते हैं, उनने अपना रास्ता खुद बनाया है. बिना बाहरी मदद के. अवतार को आज के मैच के लिए और भविष्य के लिए शुभकामनाएं.

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