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टेकऑफ के बाद भी लैंडिंग गियर बाहर, दोनों इंजन फेल या कुछ और? क्रैश से पहले प्लेन में ये हुआ था

Ahmedabad Plane Crash: इस विमान हादसे को लेकर आधिकारिक जानकारी कब आएगी? इस मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. Air India विमान के लैंडिंग गियर, इंजन और फ्लैप्स को लेकर काफी चर्चा है. क्या पता चला है?

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Ahmedabad Plane Crash Reasons
हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं. (तस्वीर: एजेंसी)
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रवि सुमन
13 जून 2025 (Updated: 14 जून 2025, 11:33 AM IST) कॉमेंट्स
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अहमदाबाद प्लेन क्रैश (Ahmedabad Plane Crash) के बाद से ही कुछ गंभीर सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई पहलुओं पर चर्चा हो रही है. जैसे कि प्लेन में किस तरह की दिक्कतें आई थीं? इंजन में कोई समस्या थी या कोई पक्षी टकरा गया था? प्लेन का लैंडिंग गियर वापस क्यों नहीं लिया गया? क्या विमान के दोनों इंजन फेल हो गए थे? ईंधन में ब्लॉकेज या उसमें कुछ मिला हुआ था? क्या उड़ान के लिए पंखों के फ्लैप नीचे कर दिए गए थे?

फ्लाइट AI171 हादसे की फाइनल रिपोर्ट, अगले साल 12 जून से पहले जारी की जाएगी. आधिकारिक जानकारी तभी मिल सकेगी. लेकिन हादसे के जो वीडियो सामने आए हैं, उसके आधार पर एविएशन एक्सपर्ट्स ने अपनी-अपनी राय दी है.

टेक ऑफ के बाद भी लैंडिंग गियर बाहर थे

एयर सेफ्टी एक्सपर्ट कैप्टन अमित सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, ‘आमतौर पर टेक ऑफ के 5 सेकंड के भीतर पायलट लैंडिंग गियर लगा देते (वापस ले लेते) हैं.’

एयर इंडिया के पूर्व अधिकारी कैप्टन मनोज हाथी कहते हैं, ‘जैसे ही विमान के ऊपर जाने की दर (स्पीड) सकारात्मक हो जाती है, लैंडिंग गियर वापस ले लिया जाता है.’ कैप्टन मनोज एयर इंडिया में डायरेक्टर (ऑपरेशन) और डायरेक्टर (एयर-सेफ्टी) रह चुके हैं.

बाहर निकला हुआ लैंडिंग गियर ईंधन की खपत को बढ़ाता है और विमान की गति को कम करता है. इसे वापस खींच लेने से विमान को ऊपर की ओर जाने में मदद मिलती है. 

TOI ने विजुअल्स के आधार पर लिखा, ‘जमीन से 400 फीट ऊपर चढ़ने के बाद भी लैंडिंग गियर बाहर था.’ 

इंडिया टुडे ने लिखा, 'लैंडिंग गियर कुछ समय के लिए पीछे की ओर जाने लगा, लेकिन जल्द ही पायलट ने इसे फिर से फैला दिया. संभवत: ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पावर की कमी का पता चल गया हो. इससे ये भी प्रतीत होता है कि उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही पावर फेल हो गई थी.'

Landing Gear Use in Plane
लैंडिंग गियर. (फाइल फोटो: बोइंग)

इस बात को लेकर भी अंदेशा जताया गया है कि लैंडिंग गियर किसी मशीनी गड़बड़ी की वजह से बाहर ही फंस गया हो.

डूअल इंजन फेल होने की आशंका

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने अपने बयान में कहा कि टेक ऑफ के कुछ सेकंड के बाद ही पायलट ने मेडे कॉल (इमरजेंसी कॉल) कर दिया था. इससे इंजन में खराबी वाली थ्योरी को बल मिलता है. यानी कि संभवत: इंजन में तब खराबी आई जब विमान की गति ऐसी थी, जिसके बाद उसकी सुरक्षित लैंडिंग नहीं कराई जा सकती थी.

कैप्टन अमित सिंह और कैप्टन मनोज हाथी सहित कई पायलट ने कहा है कि इंजन फेल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. कैप्टन मनोज TOI से कहते हैं, संभव है कि इंजन में आग लगने के कारण लैंडिंग गियर को वापस नहीं लिया जा सका. हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि इंजन फेल होने के साथ-साथ, हादसे के कुछ और कारण भी हो सकते हैं. जैसे पक्षी का टकराना, पायलट का ध्यान भटकना या ईंधन संदूषण (ईंधन में कुछ मिला होना).

फ्लैप्स को नीचे किया गया था या नहीं?

फ्लैप्स एक तरह के एयरोडायनामिक डिवाइस होते हैं जो एयरप्लेन के पंखों के पीछे लगे होते हैं. जब इन्हें नीचे की ओर झुकाया जाता है, तो ये पंखों की लिफ्ट (यानी उठाने की ताकत) बढ़ा देते हैं. आमतौर पर टेक-ऑफ के समय फ्लैप्स को नीचे किया जाता है. 

कुछ पायलट का कहना है कि टेक-ऑफ के समय फ्लैप्स को नीचे नहीं किया गया था, जो असमान्य है. लेकिन कुछ लोग विजुअल्स के हवाले से ये भी दावा कर रहे हैं कि फ्लैप्स नीचे किए गए थे. इस मामले पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है.

Flap Position in Plans
फ्लैप. (फाइल फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)

ये भी पढ़ें: मेडे, मेडे, मेडे बोला... पायलट के पास इतना ही कहने का वक्त था, पर ये होता क्या है?

कब आएगी आधिकारिक जानकारी?

विमान हादसों की जांच अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के एनेक्स 13 में निर्धारित मानदंडों के अनुसार की जाती है. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) जैसी संस्था इन मामलों की जांच करती है. एनेक्स 13 कहता है कि जांच का प्राथमिक उद्देश्य ये नहीं होना चाहिए कि इसमें किसका दोष था. बल्कि इसका उद्देश्य भविष्य में ऐसे हादसों को रोकना है.

एनेक्स 13 ये भी कहता है कि हादसे के 30 दिनों के भीतर एक प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार होनी चाहिए. लेकिन इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) ने ये देशों (इस मामले में भारत) के ऊपर छोड़ दिया है कि वो इसे सार्वजनिक करें या निजी रखें. हादसे की फाइनल रिपोर्ट एक साल के भीतर प्रकाशित की जाती है. अधिकतर मामलों में फाइनल रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाता है.

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