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AIIMS अस्पतालों में सीनियर डॉक्टरों की भारी कमी, 12 में तो आधे से ज्यादा प्रोफेसर हैं ही नहीं

देश के 10 AIIMS अस्पतालों में फैकल्टी के एक तिहाई पद खाली पड़े हैं. 12 एम्स में प्रोफेसर्स के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. कुल 8 एम्स ऐसें हैं जिनमें एक तिहाई से ज्यादा एडिशनल प्रोफेसर्स के पद खाली पड़ी है. इनमें 5 एम्स तो ऐसे हैं जहां आधे से ज्यादा एडिशनल प्रोफेसर के पद खाली हैं.

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AIIMS
देशभर के AIIMS में फैकल्टी के पद खाली पड़े हैं. (India Today)
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सौरभ
14 जुलाई 2025 (Updated: 14 जुलाई 2025, 07:00 PM IST) कॉमेंट्स
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देशभर के AIIMS डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं. कम से कम 10 AIIMS अस्पतालों में फैकल्टी के एक तिहाई पद खाली पड़े हैं. आलम ये है कि अगर आप इन AIIMS अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर्स को खोजने जाएंगे, तो गिनती उंगलियों पर ही खत्म हो जाएगी.

फैकल्टी यानी वो डॉक्टर जो इलाज भी करते हैं और पढ़ाते भी हैं. प्रोफेसर, एडिशनल प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर को फैकल्टी कहा जाता है. एम्स अस्पतालों के किसी भी डिपार्टमेंट में सबसे सीनियर फैकल्टी यानी सबसे सीनियर डॉक्टर प्रोफेसर होते हैं. लेकिन हैरत की बात ये है कि देश के 12 एम्स में प्रोफेसर्स के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. इनमें से 6 एम्स में प्रोफेसर्स के पद 65 प्रतिशत से ज्यादा खाली हैं.

सबसे बुरी स्थिति एम्स जम्मू की है. यहां 33 प्रोफेसर्स सैंक्शन्ड हैं, लेकिन सिर्फ 4 प्रोफेसर्स ही कार्यरत हैं. 29 पद खाली पड़े हैं. एम्स रायबरेली खुद को जम्मू से बेहतर बता सकता है. वहां जम्मू से पूरे 3 प्रोफेसर ज्यादा हैं! रायबरेली में भी 33 प्रोफेसर्स की पोस्ट सैंक्शन्ड हैं, जिनमें से 26 खाली हैं. एम्स देवघर में प्रोफेसर्स के 72 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं. यहां 33 प्रोफेसर्स सैंक्शन्ड हैं, जिनके 24 पद खाली हैं.

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RTI से मिली जानकारी.

इनके अलावा एम्स बठिंडा, एम्स बिलासपुर, एम्स गोरखपुर, एम्स बीबीनगर, एम्स नादिया में प्रोफेसर्स के 60 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली पड़े हैं.

जब किसी विभाग में प्रोफेसर नहीं होते तो उसका जिम्मा एडिशनल प्रोफेसर्स पर होता है. एडिशनल प्रोफेसर्स भी सीनियर फैकल्टी होते हैं. उनका अनुभव प्रोफेसर्स से थोड़ा कम होता है. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि प्रोफेसर्स की तरह ही कई एम्स में एडिशनल प्रोफेसर के पद भी खाली पड़े हैं. कुल 8 एम्स ऐसें हैं जिनमें एक तिहाई से ज्यादा एडिशनल प्रोफेसर्स के पद खाली पड़ी है. इनमें 5 एम्स तो ऐसे हैं जहां एडिशनल प्रोफेसर के आधे से ज्यादा पद खाली हैं.

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में बना एम्स एक बार फिर निराश करता है. एम्स रायबरेली में एडिशनल प्रोफेसर्स के 26 पद सैंक्शन्ड हैं. लेकिन पद पर नियुक्ति सिर्फ 5 की हुई है. इसके अलावा एम्स बठिंडा, एम्स बिलासपुर, एम्स गोरखपुर, एम्स जम्मू में 26 एडिशनल प्रोफेसर्स के पद स्वीकृत हैं. लेकिन नियुक्तियां 12 से भी कम हैं.

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RTI से मिली जानकारी.

ये जानकारी हमें RTI के माध्यम से मिली है. हमने अप्रैल में स्वास्थ्य मंत्रालय से अलग-अलग एम्स में फैकल्टी के पदों के बारे में जानकारी मांगी थी. मंत्रालय ने 19 एम्स को जानकारी मुहैया कराने को कहा. इनमें से 16 एम्स ने हमें मई से लेकर जून के अंत तक जवाब दिया. AIIMS भोपाल, रायपुर और मदुरै ने अभी तक जानकारी नहीं दी है.

जैसा हाल एडिशनल प्रोफेसर्स पदों का है, कुछ वैसा ही हाल असोसिएट प्रोफेसर्स के मामले भी है. देश के 9 एम्स ऐसे हैं जहां असोसिएट प्रोफेसर्स के पद एक तिहाई से ज्यादा खाली हैं. इनमे बठिंडा, बिलासपुर, जम्मू और रायबरेली के AIIMS संस्थानों में 40 प्रतिशत से ज्यादा असोसिएट प्रोफेसर्स के पद खाली हैं. इस बार भी रायबरेली का नाम लिस्ट में सबसे ऊपर है, जहां 50 प्रतिशत पद खाली हैं.

सीनियर फैकल्टी के खाली पदों के मुद्दे पर हमने एक AIIMS के वरिष्ठ डॉक्टर से बात की. उन्होंने बताया कि ज्यादातर एम्स शहरों से दूर बने हैं. ऐसे इलाकों में लाइफस्टाइल तो छोड़िए बेसिक सुविधाएं ढूंढने में भी जद्दोजहद है. डॉक्टर ने कहा, “सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई की है. AIIMS ऐसी जगहों पर बने हैं जहां अच्छे स्कूल या तो हैं ही नहीं या फिर बहुत दूर हैं. इस वजह से भी डॉक्टर्स AIIMS आने से बचते हैं.”

इसी AIIMS के जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट में एडिशनल प्रोफेसर के पद पर तैनात एक डॉक्टर कहते हैं कि सैलरी भी एक बड़ा मुद्दा है. वो कहते हैं,

“एम्स के डॉक्टर्स की जितनी सैलरी है उससे कम से कम पांच गुना ज्यादा पैसा डॉक्टर्स अपना नर्सिंग होम खोलकर या कॉरपोरेट के साथ जुड़कर कमाते हैं. साथ ही कॉरपोरेट के साथ जुड़े डॉक्टर्स के पास टैक्स बचाने के भी कई तरीके होते हैं, हमारे पास ऐसा कोई साधन नहीं होता.” 

डॉक्टर कहते हैं कि ना तो एम्स जाने वाले डॉक्टर्स को ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं, ना ही प्राइवेट वालों की तरह पैसा. कुछ डॉक्टर्स जिन्हें घर के पास कोई एम्स मिलता है, बस वे जाने को तैयार हो जाते हैं, वर्ना क्यों ही कोई जाना चाहेगा.

असिस्टेंट प्रोफेसर्स के कंधों पर जिम्मा

आंकड़े बतातें है कि असल असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संख्या ने ही AIIMS संस्थानों में डॉक्टर्स की गिनती को दिखाने लायक बरकरार रखा है. सभी संस्थानों में सबसे ज्यादा नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर्स की ही है. सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के बाद मेडिकल कॉलेज या एम्स जैसे संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति होती है. लगभग सभी एम्स में इनकी संख्या अच्छी खासी है. सिर्फ चार एम्स ऐसे हैं, जहां असिस्टेंट प्रोफेसर के पद 30 प्रतिशत से ज्यादा खाली हैं.

सीनियर फैकल्टी के खाली पदों और असिस्टेंट प्रोफेसर्स की ठीक-ठाक नियुक्तियों पर एक एम्स के नॉन फैकल्टी स्टाफ बताते हैं,

"सीनियर फैकल्टी की नियुक्ति के लिए ज्यादा एक्सपीरियंस चाहिए होता है. लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को सिर्फ 3 साल का एक्सपीरियंस चाहिए होता है. यही वजह है कि एडिशनल या असोसिएट प्रोफेसर की तुलना में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद कम खाली हैं."

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की वेबसाइट के मुताबिक देशभर में कुल 22 एम्स हैं. इनमें से 6 पूरी तरह से फंक्शनल हैं. 12 एम्स में लोगों के इलाज के साथ MBBS की पढ़ाई भी होती है. इकलौते एम्स मदुरै में अभी सिर्फ MBBS की पढ़ाई होती है, इलाज नहीं होता. 

अवंतीपोरा, रेवाड़ी और दरभंगा में एम्स अभी बनाया जा रहा है.

19 में से कम से कस 10 एम्स ऐसे हैं जहां कुल फैकल्टी के एक तिहाई से ज्यादा पद खाली है. इनमें AIIMS बिलासपुर, AIIMS  गोरखपुर, AIIMS  मंगलागिरि, AIIMS  जम्मू और AIIMS  रायबरेली में कुल फैकल्टी के पद 41 प्रतिशत से ज्यादा खाली हैं.

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RTI से मिली जानकारी.
एम्स दिल्ली में क्या स्थिति?

एम्स दिल्ली और एम्स गुवाहाटी दो ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने हमें RTI का जवाब तो दिया, लेकिन पूरी जानकारी नहीं दी. दोनों ही संस्थानों ने हमें सिर्फ इतना बताया कि उनके यहां कुल कितनी फैकल्टी हैं, और कुल कितने पद खाली हैं.

AIIMS दिल्ली द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कुल 1306 फैकल्टी सैंकशन्ड हैं, जिनमें से 508 पोस्ट खाली हैं. यानी दिल्ली में 35 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं. इससे पहले मार्च में एक RTI के जवाब में एम्स दिल्ली ने बताया था कि उनके यहां 1,235 फैकल्टी पोस्ट सैंकशन्ड हैं, जिनमें से 430 पद खाली बताए गए थे.  

इस बारे में AIIMS दिल्ली के प्रोफेसर से बात की. वो कहते हैं कि दिल्ली में पिछले हाल ही कुछ नियुक्तियां हुई हैं, तो खाली पदों की संख्या कम हुई होगी. लेकिन नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण पहलू रेखांकित किए. वो कहते है

कोई भी मेडिकल इंस्टीट्यूट तीन पिलर्स पर खड़ा होता है. इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेंड मैन पावर और पेशेंट केयर सिस्टम. जो नए AIIMS बन रहे हैं, उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. क्योंकि उतना फंड मिलता नहीं है. दिल्ली के अलावा कुछ और AIIMS में इंफ्रास्ट्रक्चर तो हैं, लेकिन मैन पावर नहीं है. अगर ये दोनों पिलर नहीं हैं, तो पेशेंट केयर सिस्टम दुरुस्त हो नहीं सकता. ज्यादातर AIIMS की यही स्थिति है. 

प्रोफेसर कहते हैं कि सीनियर डॉक्टर्स एम्स में तब आना चाहेंगे जब उन्हें सम्मानजनक वेतन मिलेगा. वो कहते हैं

इस समस्या की सबसे बड़ी जड़ ब्यूरोक्रेसी है. ब्यूरोक्रेसी ये चाहती ही नहीं कि डॉक्टर्स को उनके बराबर वेतन मिले. प्राइवेट डॉक्टर जितना कमाते हैं, उससे कम से कम 10 गुणा कम सैलरी हम AIIMS के डॉक्टर्स को मिलती है. अच्छे डॉक्टर्स क्यों AIIMS में आना चाहेंगे. इसके अलावा रिसर्च के लालच से भी अगर डॉक्टर्स आना चाहें, तो उसके भी पैसा नहीं है. हम दिल्ली में लेकिन हमारे पास फंड नहीं होता. ICMR जैसे संस्थानों में रिसर्च के लिए आवेदन देना होता है. जो पैसा वहां से मिलता है, वो पर्याप्त नहीं होता. 

प्रोफेसर कहते हैं कि अगर AIIMS जैसे संस्थानों को बचाना है तो सरकार को आउट ऑफ द बॉक्स जाकर सोचना होगा. अभी जो रवैया है वो स्थिति को सुधारता नहीं बिगाड़ता हुआ नज़र आ रहा है.

संसद में स्वास्थ्य मंत्री का बयान

इस मुद्दे पर हमने स्वास्थ्य मंत्रालय से भी पक्ष जानने की कोशिश की. 10 जुलाई की शाम हमने स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बाबत मेल किया था. उनकी तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

हालांकि, फरवरी 2025 को इस मसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में जवाब दिया गया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अपने स्टेटमेंट में बताया था कि पूरी तरह से संचालित AIIMS दिल्ली में 34%, AIIMS जोधपुर में 28%, AIIMS ऋषिकेश में 39%, AIIMS रायपुर में 38%, AIIMS भोपाल में 24 प्रतिशत और AIIMS पटना में 27 प्रतिशत पद खाली हैं.

स्वास्थ्य मंत्री के बयान में ये भी बताया गया कि आंशिक रूप से संचालित 12 AIIMS में फैकल्टी की कमी है. इनमें AIIMS मंगलागिरी में 41%, AIIMS नागपुर में 23% और AIIMS कल्याणी में 39% पद खाली बताए गए थे.

खाली पदों पर सफाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने अपने स्टेटमेंट में कहा था कि सैंक्शन्ड पोस्ट बढ़ाना और उनमें भर्ती करना एक सतत प्रक्रिया है. अलग-अलग एम्स में खाली स्वीकृत पदों को जल्द भरने के लिए सरकार की तरफ से कदम उठाए गए हैं.

वीडियो: AIIMS रायबरेली में क्यों है डॉक्टर्स की कमी?

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