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अग्निपथ के अग्निवीरों को फौज की नौकरी में क्या-क्या मिलेगा?

रक्षा विशेषज्ञ क्या सोचते हैं इस योजना के बारे में?

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया अग्निपथ योजना का ऐलान (फोटो: पीटीआई)
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14 जून 2022 (Updated: 14 जून 2022, 01:14 IST)
Updated: 14 जून 2022 01:14 IST
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15 अगस्त 2019 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ऐलान किया कि भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाया जाएगा, इसे आज़ादी के बाद आए सबसे बड़े सैनिक सुधारों में से एक माना गया था. अब सरकार ने दूसरे बड़े सुधार का ऐलान कर दिया है, जिससे न सिर्फ तीनों सेनाओं, बल्कि देश के लाखों युवाओं का भविष्य भी जुड़ा हुआ है. आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में तीनों सेनाओं के अध्यक्षों ने अग्निपथ योजना का ऐलान कर दिया. अब भारत में सेनाओं में सीधी भर्ती इसी तरह से होगी. चार साल के लिए अग्निवीर तीनों सेनाओं का हिस्सा बनेंगे. चार साल के आखिर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले 25 फीसदी अग्निवीरों को सेनाओं में पक्की बहाली मिलेगी. सेना का कहना है कि इस योजना से उसकी दक्षता में इज़ाफा होगा और वो आने वाले कल की चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी कर पाएगी.

पिछले दो सालों से अग्निपथ योजना को लेकर देश में बहुत बहस हुई है. लेकिन आज पहला दिन है, जब योजना की बारीक जानकारियां सार्वजनिक की गई हैं. दी लल्लनटॉप आपको इस योजना के बारे में बताएगा. उन दावों के बारे में बताएगा, जो योजना के पक्ष में सेना की तरफ से किए गए. और उन चिंताओं के बारे में भी बताएगा जो रक्षा विशेषज्ञों और फौज में नौकरी की राह देख रहे युवाओं ने जताई हैं.

14 जून की सुबह ही रक्षा बीट के पत्रकारों को मैसेज चला गया था कि दोपहर साढ़े बारह बजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीनों सेनाध्यक्षों के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. तभी सब समझ गए थे कि आज आखिरकार अग्निपथ योजना का आधिकारिक ऐलान हो जाएगा. कुछ देर बाद रायसीना मार्ग स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र की तस्वीरें भी आ गईं, जहां अग्निपथ योजना के बैनर लगे हुए थे. लेकिन जब राजनाथ सिंह ने बोलना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी बात को फौज में भर्ती तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने अपनी सरकार द्वारा रक्षा सुधार के तमाम कामों का ज़िक्र किया, 

"आप सभी जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में भारतीय रक्षा व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत बनाने की दृष्टि से सरकार ने कई जरूरी कदम उठाए हैं जैसे CDS और डिपार्ट्मन्ट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का गठन. भारतीय सेनाओं को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया गया है. अपनी सेनाओं को आधुनिक और सशक्त करने के लिए हम अग्निपथ योजना ला रहे हैं. इस योजना में भारतीय वीरों को बतौर अग्निवीर सशस्त्र सेनाओं में सेवा का अवसर दिया जाएगा."

तो सरकार चाहती है कि अग्निपथ योजना को सैनिक सुधार के संदर्भ में देखा जाए. ये बात एक तथ्य है कि मोदी सरकार ने अपने आठ सालों में ऐसे कई कदम उठाए हैं, जिनके बारे में रक्षा मंत्रालय में बातें तो बहुत होती थीं, लेकिन अमल की राजनैतिक इच्छाशक्ति पूर्ववर्ती सरकारें नहीं दिखा पाईं. अग्निपथ योजना ऐसा ही एक कदम है. लेकिन अग्निपथ को सिर्फ सैनिक सुधार के संदर्भ में समझना भूल होगी. ये जितना राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है, उतना ही करोड़ों युवाओं की आकांक्षाओं और बढ़ती बेरोज़गारी के बीच अच्छे रोज़गार के मौके से जुड़ा प्रश्न भी है. इसीलिए ये ज़रूरी है कि हम अग्निपथ योजना, उसके संदर्भ और उसके असर पर विस्तार से बात करें. आइए शुरू से शूरू करते हैं.

अब तक आपने ये बार-बार सुन लिया होगा कि फौज में भर्ती बंद है. आपको याद होगा, देश के अलग-अलग हिस्सों में भर्ती रैलियां होती थीं. खास तौर पर थल सेना में बहाली के लिए. इसके लिए बड़ी संख्या में युवा जुटते थे, रैली के दौरान उनकी शारीरिक दक्षता की परीक्षा ली जाती थी, फिर मेडिकल होता था, और युवा को भेजा जाता था ट्रेनिंग सेंटर. मिसाल के लिए Artillery Training Centre, Hyderabad या फिर Guards Training Centre, कामठी. यहां आकर युवा बन जाता था रिक्रूट. यहां 8 से 10 महीने की बेसिक ट्रेनिंग के बाद रिक्रूट को सेना की एक टुकड़ी में तैनात किया जाता था और रैंक मिलता था - सिपाही का. हमने यहां थल सेना का उदाहरण दिया है. थोड़े-बहुत बदलाव के साथ वायुसेना और नौसेना में भी इसी तरह काम होता था.

महामारी के दौरान ये प्रक्रिया थम गई. कारण दिया गया कोरोना वायरस. लेकिन महामारी के दौरान चुनाव भी होते रहे और दूसरी भर्तियां भी. खुद सेना में ही इंडियन मिलिट्री अकैडमी और नेशनल डिफेंस अकैडमी के कोर्स चलते रहे. इसीलिए ये बात युवाओं को समझ नहीं आ रही थी कि सिर्फ सीधी भर्ती ही क्यों बंद रखी गई है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के वक्त जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सभाएं कीं, उस दौरान युवाओं ने रैलियों के दौरान भर्ती के सवाल पर नारे लगाए. इस बात के लिए राजनाथ की तारीफ की जानी चाहिए कि वो चिंतित युवाओं के नारों से विचलित नहीं हुए, और उन्हें ये कहते भी सुना गया युवाओं पर कोई कार्रवाई न की जाए. लेकिन राजनाथ का ये कहना युवाओं को आश्वस्त नहीं कर पाता था, कि भर्ती जल्द खुल जाएगी. अप्रैल 2022 में एक युवा राजस्थान के सीकर से दिल्ली तक दौड़ते-दौड़ते पहुंचा और जंतर-मंतर पर उन प्रदर्शनकारियों से जाकर मिला, जो सेना में भर्ती खोलने की मांग कर रहे थे. इस युवा की तस्वीर उन लाखों युवाओं की तस्वीर से मेल खाती थी, जो रोज़ सुबह देश के गावों में दौड़ और लंबी कूद की प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन भर्ती कब खुलेगी, किसी को नहीं पता था.

इस दौरान सरकार क्या कर रही थी? एक शब्द में इसका जवाब है - विचार विमर्श. तकरीबन एक साल पहले एक शब्द का ज़िक्र बार-बार होने लगा - टूर ऑफ ड्यूटी. खबर आई कि रक्षा मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें स्थायी सेवा की जगह अस्थायी सेवा या इंटर्नशिप के कॉन्सेप्ट को परखा जाएगा. शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट चलेगा, फिर नतीजों के आधार पर इसे आगे बढ़ाया जाएगा.

ये खबरें सामने आने के बाद एक लंबी बहस छिड़ गई. रक्षा विशेषज्ञों का एक धड़ा था, जो कहता था कि ये सेना में ठेका पद्दति की शुरुआत है और इससे सेना की दक्षता बुरी तरह प्रभावित होगी. तो दूसरा धड़ा था, जो ये कहता था कि इस पायलट प्रोजेक्ट से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. ये एक सही दिशा में उठाया जा रहा कदम है. और प्रयोग के नतीजे जैसे-जैसे सामने आते जाएंगे, योजना में सुधार भी होगा. ऐसे में इस योजना को तुरंत खारिज करना ठीक नहीं होगा.

दी लल्लनटॉप ने अग्निपथ को लेकर रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों से संपर्क किया था. वहां से हमें ये बताया गया कि शुरुआत में जिस प्रस्ताव को लेकर बात शुरू हुई थी, उसमें कई सारे बदलाव किए जा चुके हैं. हम ये भी जानते हैं कि टूर ऑफ ड्यूटी, जिसका नाम अब अग्निपथ हो गया है, उसपर तीनों सेनाओं की सब-कमेटियों ने लंबा विचार-विमर्श किया है. और इसके बाद ही योजना को अंतिम रूप दिया गया. रक्षा मंत्री कहते हैं,  

"पूरा देश और खासतौर पर हमारे नौजवान आर्म्ड फोर्सेस को सम्मान के नजरिए से देखते हैं. अग्निपथ योजना के तहत ये प्रयास किया जा रहा है कि इंडियन आर्म्ड फोर्सेस का प्रोफाइल पूरी तरह से यूथफुल हो. इससे ये फायदा भी होगा कि उन्हें नई तकनीक के लिए ट्रेनिंग देने में आसानी होगी और उनकी फिटनेस भी काफी बेहतर होगी. अग्निपथ योजना से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे."

सेना की यूथफुल प्रोफाइल से लेकर जीडीपी में ग्रोथ तक. ये सारा काम कैसे होगा, उसके लिए सरकार का रोडमैप कुछ ऐसा है -
> अग्निपथ योजना के तहत सेना के तीनों अंगों में अग्निवीरों की भर्ती होगी. 
> अग्निवीर NCO होंगे. माने नॉन कमिशंड अफसर. और चार साल तक सेना में रह सकेंगे. 
> चार साल बाद, 25 फीसदी अग्निवीरों को सेनाओं में स्थायी सेवा के लिए चुना जाएगा. 
> बाकी अग्निवीर समाज में लौट जाएंगे, जिनके पुनर्वास के लिए भी सरकार ने एक रोडमैप बनाया है.

अब एक-एक कर इन चार बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं. 

1. भर्ती 

अग्निवीर योजना के लिए साढ़े 17 से 21 साल के युवा पात्र होंगे. इनकी भर्ती साल में दो बार रैलियों के ज़रिए होगी. भर्ती के लिए तीनों सेनाओं द्वारा तय मानकों में कोई ढील नहीं दी जाएगी. जैसे भर्ती पहले होती थी, वैसे ही अब भी होगी. शारीरिक दक्षता और मेडिकल फिटनेस साबित करने के बाद अग्निवीर रिक्रूट को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा. तीनों सेनाएं अपने-अपने यहां ट्रेनिंग का तरीका बेहतर करने की कोशिश कर रही हैं. प्रयास ये है कि ट्रेनिंग की अवधि को 8 से 10 महीने की जगह 6 महीने किया जाए. और ट्रेनिंग में सेना की बेसिक ट्रेनिंग जैसे हथियार चलाना, सरवाइवल टैक्टिक के साथ-साथ तकनीकी कौशल और आईटी स्किल्स जैसी नई चीज़ों को भी स्थान देने की कोशिश होगी. जैसा कि हमने पहले बताया तीनों सेनाएं इस काम को अलग-अलग तरीके से करेंगी क्योंकि उनकी ज़रूरतें अलग हैं. लेकिन लक्ष्य एक ही है - ट्रेनिंग अवधि को घटाना और रिक्रूट को पहले से बेहतर सिखलाई देना. 

2. सेवा 

ट्रेनिंग के बाद रिक्रूट सेना की टुकड़ी में तैनात किया जाएगा, जहां उसे अग्निवीर कहा जाएगा. ये एक अलग रैंक होगा और अग्निवीरों का एक अलग इनसिग्निया माने चिह्न होगा, जो उनकी वर्दी पर होगा.
ये तीनों सेनाओं के हर अंग में शामिल किए जाएंगे. कॉम्बैट आर्म्स में भी. मिसाल के लिए थल सेना के संदर्भ में अग्निवीर इंफ्रेंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी तीनों में शामिल होंगे. कॉम्बैट आर्म्स सेना के वो अंग होते हैं, जो सीधे लड़ाई में उतरते हैं.

अग्निवीर सेना के अवॉर्ड्स एंड ऑनर्स के लिए भी पात्र होंगे. सेना में कोई अवॉर्ड जीता नहीं जाता है, आपको आपकी बहादुरी के लिए अलंकृत या डेकोरेट किया जाता है. अगर कोई अग्निवीर विशिष्ट सेवा या बहादुरी दिखाता है, तो उसे भी बाकी सैनिकों की तरह अलंकृत किया जाएगा.

3. तनख्वाह 

अग्निवीरों की तनख्वाह 30 हज़ार प्रतिमाह से शुरू होकर चौथे साल में 40 हज़ार तक पहुंचेगी. लेकिन ये पूरी तन्ख्वाह अग्निवीर को नहीं मिलेगी. तकरीबन 30 फीसदी रकम अग्निवीर कॉर्पस फंड में जमा होगी. इतना ही पैसा, सरकार अपने खाते से अग्निवीर कॉर्पस फंड में डालेगी. और चौथे साल के अंत में ये पूरा पैसा ब्याज सहित अग्निवीर को मिल जाएगा.

पहले साल में तख्वाह होगी 30 हज़ार प्रतिमाह. इसमें से हाथ में आएंगे 21 हज़ार प्रतिमाह और 9 हज़ार जमा होंगे कॉर्पस फंड में. इसमें भारत सरकार 9 हज़ार अपनी तरफ से भी डालेगी. चौथे साल तक आते आते कुल तनख्वाह हो जाएगी 40 हज़ार. हाथ में आएंगे 28 हज़ार और कॉर्पस फंड में जाएंगे 12 हज़ार.
इस तरह चार साल में कॉर्पस फंड में 5 लाख 2 हज़ार अग्निवीर के जमा हो जाएंगे और इतने ही पैसे सरकार डाल देगी. कुल 10 लाख 4 हज़ार. इसपर ब्याज लगाकर सरकार 11 लाख 71 हज़ार रुपए सेवा निधि पैकेज के रूप में निवर्तमान अग्निवीर को दे देगी. इसपर इनकम टैक्स नहीं लगाया जाएगा.

सेवा के दौरान अग्निवीरों को बाकी सैनिकों की तरह ही स्पेशल अलाउंस भी मिलेंगे. मिसाल के लिए अगर किसी अग्निवीर को सियाचिन जैसे युद्धक्षेत्र में तैनात किया जाता है, तो उसे अपनी तन्ख्वाह के अतिरिक्त रिस्क एंड हार्डशिप अलाउंस भी मिलेगा. साथ ही ड्रेस, राशन आदि के लिए भत्ता भी मिलेगा. सेवा के दौरान सेवा निधि पर 16.5 लाख तक का लोन भी लिया जा सकेगा.

अगर अग्निवीर की मृत्यु हो जाती है, तो 48 लाख तक का बीमा मुफ्त मिलेगा. अगर मृत्यु सेवा संबंधित कारण से होती है, जिसे डेथ अट्रीब्यूटिबल टू सर्विस कहा जाता है, उस स्थिति में रकम 1 करोड़ 2 लाख से ऊपर चली जाएगी. साथ ही बची हुई सेवा की तनख्वाह सेवा निधि सहित परिवार को दी जाएगी.

सेना एक ऐसा पेशा है, जिसमें खतरा बहुत होता है. ऐसे में विकलांगता के मामले में भी मुआवज़ा मिलेगा. 100 % विकलांगता - 44 लाख
75% विकलांगता - 25 लाख 
50% विकलांगता - 15 लाख

4. स्थायी सेवा 

तीनों सेनाओं के अग्निवीर क्रमशः आर्मी एक्ट, नेवी एक्ट और एयरफोर्स एक्ट के तहत साढ़े तीन साल ड्यूटी करेंगे. इसके बाद सभी के पास स्थायी सेवा में बहाल होने का मौका होगा. लेकिन अंतिम चयन होगा सिर्फ 25 फीसदी का.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इसके लिए सेंट्रलाइज़्ड सिस्टम बनाया जाएगा, जिसमें पारदर्शिता होगी. दो कारकों पर ध्यान दिया जाएगा - मेरिट और सेवा के दौरान प्रदर्शन.

स्थायी काडर में चयन के बाद अग्निवीर को सैनिक या समकक्ष पद मिलेगा. यहां से उन्हें स्थायी सेवा के भत्ते और तनख्वाह मिलने लगेंगे. सैनिक 15 साल तक सेवा में रह सकेंगे और इस दौरान वो पदोन्नति और सेवा के बाद पेंशन और कैंटीन सेवा आदि के पात्र होंगे. एक बात ध्यान देने वाली है. स्थायी सेवा में जाने वालों को अग्निवीर रहते की 4 साल की सेवा का लाभ नहीं मिलेगा. स्थायी काडर में उनकी यात्रा शुरू से शुरू होगी.

5. स्थायी काडर में चयन न होने पर 

75 फीसदी अग्निवीर समाज में वापस लौटेंगे. इनके पास सेवा निधि पैकेज होगा. अग्निवीर स्किल सर्टिफिकेट होगा. नई शिक्षा नीति के तहत इन्हें क्रेडिट पॉइंट्स दिए जाएंगे जो ये अगली नौकरी या फिर आगे की पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे. रक्षा सूत्रों ने दी लल्लनटॉप को बताया है कि इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने सरकार के कई और मंत्रालयों से चर्चा की है, जैसे कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय. सरकार का मानना है कि अग्निवीर जब समाज में लौटेंगे, तो वो अपनी सिखलाई और अपना डिसिप्लिन लेकर लौटेंगे. और सेवा के दौरान उन्होंने जो स्किल इकट्ठा की, वो उन्हें हर तरह की नौकरियों के लिए बेहतर पात्रता देगी. सरकार का ज़ोर उद्यमी तैयार करने पर है.

यहां तक आते-आते आप अग्निवीर योजना को लेकर सब कुछ जान गए हैं. अब आते हैं इस बात पर कि इस योजना का फायदा क्या होगा. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इससे सेना 1:1 का रेशियो हासिल कर पाएगी. इसका मतलब हर एक युवा सैनिक पर एक अनुभवी सैनिक.  साथ ही ITI जैसे तकनीकी संस्थानों की मदद से ट्रेनिंग पर खर्च होने वाले समय की बचत होगी. और साथ ही सेना में विविधता भी बनी रहेगी क्योंकि अग्निपथ के तहत ऑल इंडिया ऑल क्लास रिक्रूटमेंट होगा. माने देश के सभी हिस्सों से सभी जाति धर्म के युवाओं को भर्ती किया जाएगा. अग्निपथ को लेकर रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल सतीष दुआ (से.नि.) ने लल्लनटॉप को बताया-

"इसमें कुछ फायदें हैं तो कुछ चुनौतियां भी हैं. आर्मी एक प्राइवेट कंपनी वाली जॉब नहीं है. आर्मी में सैनिकों की निष्ठा, मोटिवेशन, लीडरशिप आला दर्जे की होने चाहिए ताकि एक जवान अपनी जान पर खेलने की हिम्मत रखे. बाकी बचे 75% युवा जो कि 25 साल से कम उम्र के होंगे, ये देश की जिम्मेदारी होगी की उन्हें नौकरी मिले और मायूस न रहें. ये तो वक्त ही बताएगा कि इसके क्या नतीजे होंगे."

रक्षा मंत्रालय ने आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार भी ये नहीं कहा कि अग्निपथ योजना के पीछे बढ़ता पेंशन का बिल है. लेकिन ये एक तथ्य है कि दुनिया की सबसे बड़ी स्टैंडिंग आर्मी रखने की कीमत अब भारत को समझ आने लगी है. इस वित्त वर्ष में सरकार को रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं में पेंशन के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपए का बजट जारी करना पड़ा था. ये रकम हमारे कुल रक्षा बजट के 25 फीसदी के बराबर है. ये रकम हमारे कैपिटल एक्विज़िशन बजट से भी ज़्यादा है. माने हम नए उपकरणों की खरीद पर जितना खर्च नहीं कर रहे, उससे ज़्यादा पेंशन पर खर्च कर रहे हैं.

इसीलिए जबसे अग्निपथ का ज़िक्र हुआ है, इस बात का अनुमान लगाने की कोशिश शुरू हो गई थी कि इससे सरकार कितनी बचत कर लेगी. इसे लेकर अलग-अलग अनुमान भी हैं जिनकी पुष्टि का कोई तरीका नहीं है. इस बात को लेकर रक्षा सूत्रों ने दी लल्लनटॉप से कहा कि सरकार को कोई फौरी बचत नहीं होने वाली. बचत की बारी आएगी भी, तो वो आज से दशकों बाद होगी. फिर सरकार ये पैसा बचाने की जगह बस इसे खर्च करने का तरीका बदलना चाहती है. तकनीक और नए उपकरणों पर खर्च करना चाहती है. हम द्वितीय विश्व युद्ध की समझ के साथ 2022 में नहीं लड़ सकते.

जब हमने ये सवाल रखा कि क्या सेना सैनिकों की संख्या पर पुनर्विचार कर रही है, तो हमें जवाब मिला कि अग्निपथ का फोर्स ऑप्टिमाइज़ेशन से कोई संबंध नहीं है. राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भविष्य की चुनौतियां क्या हैं, उनके लिए किस तरह के फोर्स लेवल्स की ज़रूरत पड़ेगी, ये एक अलग विषय है और इसपर अलग से विचार चल रहा है. फिलहाल रक्षा मंत्रालय का फोर्स लेवल्स घटाने का कोई प्लान नहीं है. वैसे कुछ विशेषज्ञ अब भी मानते हैं कि फोर्स ऑप्टिमाइज़ेशन आज नहीं तो कल होना ही है और अग्निपथ की उसमें भूमिका हो सकती है.

रक्षा सूत्रों ने ये भी कहा कि सेना भविष्य की अपनी चुनौतियों के मद्देनज़र जो बदलाव चाहती है, उसमें उस रिक्रूट में बदलाव भी शामिल है, जो सेना में भर्ती होता है. अब सेना रिक्रूट्स में नई स्किल्स चाहती है. फिर ये एक प्रयोग है, जिसमें क्रमशः सुधार भी होंगे.

कुल जमा बात ये है कि सरकार ने तीनों सेनाओं में भर्तियों के तरीके को बदल दिया है. रोज़गार के एक साधन के तौर पर सेना में नौकरी का आकर्षण क्या वाकई कम होगा, ये आने वाला समय बता ही देगा. वैसे रोज़गार की बात चली ही है, तो आज मोदी सरकार ने 10 लाख युवाओं को रोज़गार देने का ऐलान कर ही दिया है. तो कुछ दिन रोज़गार पर बात चलती रहेगी. रही बात अग्निपथ की, तो ज़्यादातर विशेषज्ञों ने अग्निपथ योजना का स्वागत किया है. अब ये तय है कि सेना में भर्ती के बाद भी प्रदर्शन को लेकर सैनिक ज़्यादा सतर्क रहेंगे. सेना को बेहतर चुनने के मौके पहले से ज़्यादा मिलेंगे. और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसका क्या असर होगा, ये हम शायद कुछ दशक बाद जान पाएंगे.

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