The Lallantop
Advertisement

दंगे के आरोपी के घर पर चलाया था बुलडोज़र, अब म्युनिसिपल कमिश्नर ने हाईकोर्ट में मांगी माफ़ी

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच आरोपी फहीम की मां मेहरूनिसा और 96 साल के अब्दुल हाफिज़ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उनका कहना था कि उनके रिश्तेदारों का नाम मार्च में हुए दंगे में आया था. इसी वजह से उनके घर गिरा दिए गए.

Advertisement
The Nagpur municipal commissioner offered Tuesday an unconditional apology
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच कर रही थी मामले की सुनवाई. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
pic
रिदम कुमार
16 अप्रैल 2025 (Published: 03:03 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बीते दिनों नागपुर दंगों में शामिल एक आरोपी के घर पर बुलडोज़र चलाया गया था. आरोप था कि प्रशासन ने कार्रवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया. इस पर अब शहर के म्युनिसिपल कमिश्नर ने बॉम्बे हाईकोर्ट से माफी मांगी है. नगर आयुक्त अभिजीत चौधरी ने मंगलवार, 15 अप्रैल को कोर्ट में माना कि बुलडोज़र कार्रवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, म्युनिसिपल कमिश्नर अभिजीत चौधरी ने कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया. इसमें उनकी तरफ से कहा गया कि टाउन प्लानिंग और स्लम विभाग के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट आदेश के बारे में पता नहीं था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर 2024 को आदेश दिया था कि दंगा आरोपियों की संपत्ति तोड़ने से पहले ज़रूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए. 

नागपुर बेंच आरोपी फहीम की मां मेहरूनिसा और 96 साल के अब्दुल हाफिज़ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उनका कहना था कि उनके रिश्तेदारों का नाम मार्च में हुए दंगे में आया था. इसी वजह से उनके घर गिरा दिए गए. एक्शन लेने से पहले कोई भी कानूनी नोटिस नहीं दिया गया. तोड़फोड़ मनमाने ढंग से की गई. फहीम का घर तो पूरी तरह से ही ढहा दिया था. हाफिज़ के घर का कुछ हिस्सा तोड़ा गया था.

हाईकोर्ट ने 25 मार्च को आगे की तोड़फोड़ पर रोक लगा दी थी. अदालत में नगर आयुक्त ने कहा,

मेरी जांच से पता चला है कि स्लम एक्ट 1971 के तहत कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया था.

चौधरी ने आगे कहा कि नागपुर पुलिस ने दंगा आरोपियों के मालिकाना हक वाली संपत्तियों की डिटेल्स मांगी थी. बिल्डिंग नियमों के तहत बनी है या नहीं इसका वेरिफिकेशन किया जाना था. इलाके के अधिकारी ने संपत्तियों का निरीक्षण किया. उन्होंने पाया कि बिल्डिंग के नियमों के तहत मंज़ूरी नहीं मिली थी. इसके बाद स्लम एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किए गए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रियाओं की जानकारी के बिना 24 घंटे के भीतर तोड़फोड़ शुरू कर दी गई.

उधर, जस्टिस नितिन साम्ब्रे और वृषाली जोशी की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है. अदालत ने सरकार से पूछा है कि आखिर वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नगर निगम तक पहुंचाने में विफल रही?

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार, अस्पताल का होगा लाइसेंस रद्द!

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement