The Lallantop
Advertisement

'गंदे' OTT कॉन्टेंट पर SC सख्त, कानून बनाने को कहा, नेटफ्लिक्स, प्राइम, उल्लू सबको नोटिस भेजा

कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ Netflix, Prime, Alt Balaji, Ullu, Mubi जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स और एक्स कॉर्प (ट्विटर), Google, Meta (Facebook/Instagram) और एप्पल जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी नोटिस जारी किया.

Advertisement
Obscene Content on OTT
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और OTT के कंटेंट पर जताई चिंता. (तस्वीर : इंडिया टुडे)
pic
सौरभ शर्मा
28 अप्रैल 2025 (Published: 05:27 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने OTT और सोशल मीडिया पर परोसे जाने वाले अश्लील कॉन्टेंट पर चिंता जताई है. साथ ही इस संबंध में सरकार को नियम-कानूनों के तहत कार्रवाई करने की हिदायत दी है. 28 अप्रैल को OTT प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर अश्लील और आपत्तिजनक कॉन्टेंट को नियंत्रित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसे एक "गंभीर चिंता का विषय" बताया. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ OTT प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर उनसे जवाब मांगा है.

लाइव लॉ में छपी खबर के मुताबिक, पत्रकार और पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर समेत संजीव नेवर, सुदेशना भट्टाचार्य मुखर्जी, शताब्दी पांडे और स्वाति गोयल ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर की थी. इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने इस याचिका को इस मुद्दे से जुड़ी अन्य याचिकाओं से जोड़ दिया.

कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ नेटफ्लिक्स, ऐमजॉन प्राइम, ऑल्टबालाजी, उल्लू डिजिटल और मूबी जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स को भी नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर), गूगल, मेटा इंक (फेसबुक/इंस्टाग्राम) और एप्पल जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिका OTT प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली आपत्तिजनक, अश्लील और अभद्र कॉन्टेंट को लेकर एक जरूरी चिंता को उजागर करती है. रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, “नेटफ्लिक्स समेत अन्य OTT को भी यहां होना चाहिए, समाज के प्रति उनकी भी उतनी ही जवाबदेही बनती है.”

कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष रखने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह कोई "विरोधात्मक मुकदमा" नहीं है, बल्कि एक "वास्तविक चिंता" है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बिना किसी निगरानी या नियंत्रण के ‘आपत्तिजनक’ कॉन्टेंट प्रसारित हो रहा है. इस पर जस्टिस गवई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से केंद्र सरकार का पक्ष जानना चाहा और कहा, “कुछ कीजिए... कुछ कानून बनाइए...”

इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि उन्होंने याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई कार्यक्रमों की लिस्ट देखी है, और वे उनकी कुछ चिंताओं से सहमत हैं. उन्होंने बताया कि कुछ रेगुलर कार्यक्रमों में भी ऐसा देखा गया है. उन्होंने टिप्पणी की, "कुछ कार्यक्रम तो इतने विकृत हैं कि उन्हें दो लोग साथ में बैठकर नहीं देख सकते.”

उन्होंने कहा कि इस तरह के कॉन्टेंट को ‘कुछ हद तक’ रेगुलेट करने की जरूरत है और संबंधित नियमों पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, उन्होंने सेंसरशिप का समर्थन नहीं किया.

वीडियो: पहलगाम से जुड़ी किस खबर को लेकर भारत सरकार ने BBC को चेतावनी दी?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement