The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Satyapal malik ex governer jammu and kashmir passed away in delhi

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक नहीं रहे, RML अस्पताल में ली अंतिम सांस

Satyapal Malik अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के गवर्नर रहे. उनके कार्यकाल में 14 फरवरी 2019 को पठानकोट हमला हुआ. फिर उन्हीं के कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने राज्य से अनुच्छेद 370 हटा लिया.

Advertisement
satyapal malik jammu and kashmir bihar baghpat
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)
pic
आनंद कुमार
5 अगस्त 2025 (Updated: 5 अगस्त 2025, 02:03 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) का निधन हो गया है. 5 अगस्त को 1 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. वो पिछले कुछ समय से बीमार थे और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.

सत्यपाल मलिक इस साल मई से अस्पताल में भर्ती थे. इस दौरान उनके एक्स हैंडल से समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जानकारी दी जाती रही थी. उसी दौरान बताया गया कि उनको किडनी की समस्या है, जिसके चलते उनको ICU में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान कई बार उनकी हालत बिगड़ी थी. साथ ही उनके निधन की अफवाहें भी सामने आई, जिसके बाद मलिक की ओर से वीडियो जारी करके इसका खंडन किया गया. 

मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के गवर्नर रहे. उनके कार्यकाल में 14 फरवरी 2019 को पठानकोट हमला हुआ. फिर उन्हीं के कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने राज्य से अनुच्छेद 370 हटा लिया. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के पद से हटने के बाद वो अपने बयानों से BJP सरकार पर लगातार गंभीर आरोप लगाते रहे.

सत्यपाल मलिक का जन्म 1946 में उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रोविंस के बागपत जिले के हिसावदा गांव में हुआ. पिता बुद्ध सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. जब सत्यपाल मलिक की उम्र डेढ़-दो साल थी, तभी उनके पिता का निधन हो गया. शुरुआती पढ़ाई पास के स्कूल से और 12वीं गांव के नजदीक कस्बे ढिकौली में एक इंटर कॉलेज से. स्कूल खत्म. मेरठ कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई और फिर यहीं से वकालत की भी पढ़ाई. लेकिन इस समय ही सत्यपाल मलिक को छात्र राजनीति में मज़ा आने लगा था. साल 1967. कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव हुए. सत्यपाल ने अध्यक्षी का पर्चा भरा था. जीत गए.

ये भी पढ़ें - सत्यपाल मलिक, जिन्हें RSS की बुराई करने पर चरण सिंह ने पार्टी से निकाल दिया था!

1974 में पहली बार विधायक बने

छात्र राजनीति के दिनों से ही सत्यपाल मलिक चौधरी चरण सिंह के चेले बन चुके थे. सियासत में उनकी पहली आज़माइश चौधरी चरण सिंह ने 1974 में करवाई. 1974 विधानसभा चुनाव में सत्यपाल मलिक ने भारतीय क्रांति दल के टिकट पर अपने होम टर्फ बागपत से चुनाव लड़ा. सत्यपाल के सामने थे कॉमरेड आचार्य दिपांकर. CPI के आचार्य दिपांकर का बागपत में नाम था. दशकों से वो बागपत की राजनीति में क़ाबिज़ थे. लेकिन सत्यपाल मलिक ने बाज़ी पलट दी. कॉमरेड करीब साढ़े आठ हजार वोटों से हार गए और सत्यपाल मलिक ने पहली बार यूपी की विधानसभा में कदम रखा.

ये भी पढ़ें - कौन हैं सत्यपाल मलिक, जिनके माथे जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने का दाग लगा

साल 1980 में चरण सिंह ने राज्यसभा भेजा

सत्यपाल मलिक 1974 से 1977 तक विधायक रहे. फिर 1980 में चरण सिंह ने ही उन्हें राज्यसभा भेजा. 1984 में चरण सिंह का साथ छोड़कर सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस जॉइन किया. इस बार राजीव गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद 1987 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. यहां से निकले, तो 1988 में जनता दल में चले गए. यहां पर थे विश्वनाथ प्रताप सिंह. सत्यपाल वी पी सिंह के करीबी माने जाते थे. यहीं से 1989 में पहली बार लोकसभा भेजे गए. सीट थी अलीगढ़ की. वी पी सिंह ने उन्हें मंत्री भी बनाया. यहां भी बहुत दिन नहीं टिके सत्यपाल मलिक. 1996 में उन्होंने मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली.

ये भी पढ़ें - "PM घमंड में थे, BJP राम मंदिर पर बम..." सत्यपाल मलिक के वो 5 बयान, जिन पर मच चुका है बवाल

साल 2004 में बीजेपी में शामिल हुए 

बीजेपी में इनकी एंट्री हुई 2004 में. जब बीजेपी में आए, तब पॉलिटिक्स में एक तरह से बेरोजगार ही थे. बीजेपी की तरफ से इन्होंने चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा. मगर जीत नहीं पाए. हारने के बाद भी बीजेपी में इन्हें अहमियत मिली. वजह शायद ये थी कि सत्यपाल मलिक जाट नेता हैं. पार्टी ने इन्हें संगठन के काम में लगाया. जाट आंदोलन के बाद के दिनों में जाटों के बीच बीजेपी को लेकर नाराजगी बढ़ी. इसे दूर करने की कोशिश में ही शायद सत्यपाल मलिक की अहमियत और बढ़ गई. सितंबर 2017 में पार्टी ने उन्हें बीजेपी किसान मोर्चा की जिम्मेदारी से आज़ाद करके फिर बिहार का राज्यपाल बनाया गया. अगस्त 2018 में सत्यपाल मलिक बिहार से जम्मू-कश्मीर पहुंचे. उनसे पहले जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे एन एन वोहरा. दशकों बाद एक पॉलिटिशन को जम्मू-कश्मीर का गवर्नर बनाया गया था. 

वीडियो: सत्यपाल मलिक के वो 5 बयान, जिन पर मच चुका है बवाल

Advertisement