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ऑपरेशन सिंदूर में 10 साल के बच्चे ने दिया सैनिकों का साथ, अब सेना से मिला सम्मान

पंजाब में भारत और पाकिस्तान की सीमा पर बसे एक गांव के 10 साल के बच्चे को ऑपरेशन सिंदूर का सबसे छोटा नागरिक योद्धा कहा गया है. सैन्य तनाव के बीच बच्चे के गांव में तैनात जवानों की उसने खूब सेवा की थी.

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indian army honored youngest warrior of Operation Sindoor
10 साल के योद्धा को सेना ने किया सम्मानित (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
27 मई 2025 (Updated: 27 मई 2025, 12:07 AM IST) कॉमेंट्स
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पहलगाम हमले के बाद युद्ध की आशंका में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे तमाम गांवों में हलचल तेज हो गई थी. पंजाब के फिरोजपुर का ऐसा ही एक गांव तारा वाली भी है, जिसने अपनी आंखों के सामने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आकार लेते देखा. गांव के खुले मैदानों में हाल के वर्षों की सबसे बड़ी सैन्य तैनाती हुई थी. जंग के मंडराते बादल के बीच भारतीय सेना के अदम्य साहस के साथ एक छोटे से बच्चे का अडिग हौसला भी इस सैन्य अभियान का हिस्सा बन रहा था. 10 साल के श्रवण सिंह ने अपने हाथों से ऐसा काम किया, जिसके बाद उन्हें ऑपरेशन सिंदूर का 'सबसे छोटा नागरिक योद्धा' कहा जा रहा है.

स्थानीय किसान सोना सिंह के बेटे श्रवण सिंह के पास न वर्दी थी, न हथियार, लेकिन ऐसे नाजुक हालात में देशसेवा से वह चूकना नहीं चाहता था. ऐसे में अपने छोटे हाथों से वह जो भी कर सकता था, उसके लिए उसने कमर कस ली. सैनिकों की तरह वह बंदूकें नहीं चला सकता तो क्या, देश के लिए बंदूकें उठाने वाले सैनिकों की सेवा तो कर सकता है. यही सोचकर श्रवण सिंह ने उसके खेतों में तैनात जवानों की हर वो मदद की, जो वो कर सकता था. 

वह अपने घर से सैनिकों के लिए ठंडा पानी लेकर आता. तपते खेतों में तैनात सेना के जवानों के पास वह हर रोज दूध, लस्सी और बर्फ लेकर पहुंचता था. भीषण गर्मी में सैनिकों के लिए यह राहत किसी वरदान से कम नहीं थी. 

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परिवार के साथ श्रवण सिंह (फोटोः India Today)

एक तरफ युद्ध के डर से सारा गांव सहमा हुआ था, वहीं दूसरी ओर 10 साल का श्रवण सिंह रोज दौड़कर सैनिकों के पास जाता और उन्हें ये एहसास दिलाता कि वो अकेले नहीं हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्टर कमलजीत कौर संधू से बातचीत में श्रवण कुमार ने बताया कि वह बड़े होकर फौजी बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा,

मुझे डर नहीं लगा. मैं रोज पानी, लस्सी और बर्फ लेकर जाता था. सैनिक मुझे बहुत प्यार करते थे.

सेना ने भी श्रवण के समर्पण का संज्ञान लिया है. उनके प्रति कृतज्ञता जताते हुए मंगलवार 27 मई को उन्हें सम्मानित किया गया. सेना की 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल रणजीत सिंह मानराल ने खुद एक सिटी समारोह में श्रवण को सम्मानित किया. उन्हें एक गिफ्ट, स्पेशल खाना और उसकी सबसे पसंदीदा चीज आइसक्रीम दी गई. श्रवण ने खुश होकर बताया,

मुझे खाना और आइसक्रीम मिली है. मैं बहुत खुश हूं. मैं फौज में जाना चाहता हूं और देश की सेवा करना चाहता हूं.

श्रवण के पिता सोना सिंह ने बताया कि सेना उनके खेत में तैनात थी. पहले दिन से ही श्रवण जवानों के लिए दूध, पानी, लस्सी और बर्फ ले जाता था. एक दिन भी नहीं चूका. सोना सिंह ने कहा, “हमने भी उसे रोका नहीं बल्कि उसका साथ दिया.”

रिपोर्ट के अनुसार, श्रवण की बहादुरी को मान्यता देते हुए सेना ने उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सबसे छोटा नागरिक योद्धा घोषित किया है.

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