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कॉलेज लेक्चरर ने पार्सल बम से की थी दो हत्याएं, खुद के ही लेटर ने दिलाई उम्रकैद की सजा

इस जानलेवा हमले के दोषी मेहर पुंजीलाल को कोर्ट ने 7 साल बाद उम्र कैद की सजा सुनाई है.

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Odisha Parcel Bomb
बाएं से दाहिने. मेहर पुंजीलाल और सौम्य-रीमा की शादी की तस्वीर. (फोटो क्रेडिट- X)
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सौरभ
28 मई 2025 (Published: 12:13 AM IST) कॉमेंट्स
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पांच दिन पहले सौम्य और रीमा की शादी हुई थी. घर में अभी खुशियों का माहौल था. अचानक घर की घंटी बजी. एक पार्सल आया था. सबको लगा शादी का गिफ्ट होगा. सौम्य ने गिफ्ट खोला और धमाका हो गया. शादी के सिर्फ पांच दिन बाद रीमा विधवा हो गई थीं. घर का बेटा छिन गया. इस धमाके की चपेट में सौम्य की 85 साल की दादी भी आ गईं. उनकी भी मौत हो गई. रीमा भी धमाके में घायल हुईं, लेकिन जान बच गई. खुशियों का माहौल मातम में बदल गया.

भारत के इतिहास में यह पहला मामला था जब एक पार्सल बम ने दो लोगों की जान ले ली. ओडिशा के बोलांगीर की यह घटना साल 2018 की है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस जानलेवा हमले के दोषी मेहर पुंजीलाल को कोर्ट ने 7 साल बाद उम्र कैद की सजा सुनाई है. हालांकि, परिवार सजा-ए-मौत मांग रहा था.

क्यों भेजा पार्सल बम?

23 फरवरी 2018 को हुई घटना की प्रारंभिक जांच पुलिस ने की, फिर मामला ओडिशा क्राइम ब्रांच को सौंपा गया. 100 से अधिक लोगों से पूछताछ के बाद पुंजीलाल को गिरफ्तार किया गया. वो सौम्य की मां संजुक्ता का सहयोगी था और नाराज़ था क्योंकि संजुक्ता ने उसे कॉलेज प्रिंसिपल के पद से हटवा दिया था.

पुंजीलाल ने दिवाली से पहले ही पटाखों से गनपाउडर इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. उसने इंटरनेट से बम बनाना सीखा और कई बम बनाकर टेस्ट किए. फिर बम को कार्डबोर्ड बॉक्स में रखकर गिफ्ट पैकिंग की और रायपुर जाकर एक ऐसे कूरियर ऑफिस से भेजा जहां CCTV नहीं था. भेजते समय फर्जी नाम एसके शर्मा लिखा और गलत पता दिया.

पकड़ा कैसे गया?

आरोपी ने जांच को भटकाने के लिए बोलांगीर SP को एक गुमनाम पत्र भेजा जिसमें कहा गया था कि यह एक प्रोजेक्ट था जिसमें तीन लोग शामिल थे और सौम्य की 'धोखाधड़ी' के कारण यह हुआ.

इस पत्र की भाषा, टाइपिंग स्टाइल और अंग्रेज़ी पर पकड़ देखकर जांच एजेंसी को संदेह हुआ कि लेखक शिक्षित और अंग्रेज़ी का जानकार है. ऐसे लोगों की तलाश की गई तो पुंजीलाल का भी नाम सामने आया. जब पुंजीलाल के घर की तलाशी ली गई, तो कई सबूत मिले – जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, और रायपुर कूरियर सर्विस की CCTV फुटेज.

IPS अधिकारी अरुण बोथरा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

यह एक ब्लाइंड केस था. कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था. किसी ने आरोपी को देखा नहीं था. लेकिन हमने उसे सजा तक पहुंचाया और परिवार को न्याय दिलाया.

अगस्त 2018 में इस केस की चार्जशीट दाखिल हुई थी जिसमें 72 गवाहों के बयान, पत्र, रेलवे स्टेशन पार्किंग की रसीदें और अन्य डिजिटल सबूत शामिल थे. इन्हीं के आधार पर केस की सुनवाई हुई और पुंजीलाल दोषी पाया गया.

वीडियो: जयपुर बम ब्लास्ट के दोषियों को क्या सजा मिली?

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