जिस अधिकारी की कार्रवाई के बाद हुई थी CM चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी, उसे पैसों की हेरा-फेरी में सस्पेंड कर दिया गया है
Andhra Pradesh: एन संजय, वही अधिकारी हैं, जिन्होंने पिछले साल 23 सितंबर को एक ऐसे ऑपरेशन का नेतृत्व किया था, जिसके चलते मुख्यमंत्री N. Chandrababu Naidu को नांदयाल से गिरफ्तार कर लिया गया था. CID प्रमुख के रूप में संजय की इस कार्रवाई की राजनीतिक हलकों में भी खूब चर्चा हुई.

आंध्र प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ IPS अधिकारी एन संजय (N Sanjay) को सस्पेंड कर दिया गया है. संजय ‘आंध्र प्रदेश क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट’ (CID) के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP) भी रह चुके हैं. ‘विजिलेंस एंड एनफोर्समेंट’ (V&E) विंग की ओर से की गई एक जांच के बाद ये फैसला आया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, V&E विंग ने 1 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय हेराफेरी की जांच की है. विभाग का कहना है कि इस जांच में 'आंध्र प्रदेश आपदा प्रतिक्रिया और अग्निशमन सेवाओं' के महानिदेशक के रूप में एन संजय के कार्यकाल के दौरान, हेराफेरी के सबूत मिले थे.
एन संजय, वही अधिकारी हैं जिन्होंने पिछले साल 23 सितंबर को एक ऐसे ऑपरेशन का नेतृत्व किया था, जिसके चलते CM चंद्रबाबू नायडू को नांदयाल से गिरफ्तार कर लिया गया था. CID प्रमुख के रूप में संजय की इस कार्रवाई की राजनीतिक हलकों में भी खूब चर्चा हुई.
N Sanjay पर क्या आरोप लगे हैं?V&E विंग का कहना है कि संजय ने 'आंध्र प्रदेश आपदा प्रतिक्रिया और अग्निशमन सेवाओं' के प्रमुख के तौर पर एक वेब पोर्टल बनाने के लिए और हार्डवेयर की खरीद के लिए टेंडर जारी किए थे. यह टेेंडर मिला सौथ्रिका टेक्नोलॉजीज एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को. कंपनी ने काम करना शुरू कर दिया. हालांकि, आरोप ये लगे हैं कि जब कॉन्ट्रैक्ट का केवल 14 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ था. सरकारी विभाग द्वारा कंपनी को टेंडर के पूरे पैसे दे दिए गए थे. जांच कर रहे विभाग का मानना है कि ये राज्य के संसाधनों का गलत तरीके से प्रयोग करने जैसा है. एन संजय पर विजयवाड़ा स्थित ‘सौथ्रिका टेक्नोलॉजीज एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड’ के साथ मिलकर यह गड़बड़ी करने का आरोप लगा है.
इसके अलावा जांच में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को बढ़ावा देने वाले एक वर्कशॉप को लेकर भी आरोप लगे हैं. आरोप है कि इसके लिए दो भुगतान किए गए. एक बार कुल 59. 52 लाख रुपये और दूसरी बार कुल 59.51 लाख रुपये. जांच विभाग ने इसे 1 करोड़ रुपये से अधिक के फंड का कुप्रबंधन माना है. ये वर्कशॉप ‘कृतव्यप टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड’ ने आयोजित की थी. V&E विंग का कहना है कि हैदराबाद में ऐसी कोई कंपनी थी ही नहीं. जांच में कृतव्यप के ऑफिस की जगह ‘सौथ्रिका टेक्नोलॉजीज एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड’ का ऑफिस पाया गया. यह वही कंपनी है जिसे वेब पोर्टल बनाने के लिए और हार्डवेयर की खरीद का टेंडर भी मिला था. जांच में बताया गया है कि ये धोखाधड़ी और वित्तीय घोटाले का संकेत देता है.
मुख्य सचिव नीरभ कुमार प्रसाद ने इस मामले को लेकर दो पन्नों का आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि दोनों रिपोर्टों की सावधानीपूर्वक जांच के बाद राज्य सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि संजय ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. और जांच पूरी होने तक उन्हें निलंबित करना जरूरी है.
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