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'बांग्लादेशी बताया, आईडी मांगी, पुलिस देखती रही', कारगिल युद्ध लड़ चुके सैनिक के परिजनों के घर घुसी भीड़

महाराष्ट्र के पुणे में कारगिल युद्ध लड़ चुके एक पूर्व सैनिक के परिजनों के घर आधी रात को लोग घुस आए. आरोप है कि परिवार को धमकाया गया और भारतीय होने का उनसे प्रूफ मांगा गया. इस परिवार के लोगों ने 130 साल तक सरहद पर देश की सेवा की. तमाम दुश्मनों से लोहा लिया. 1971 की जंग में घायल भी हुए. क्या है ये मामला? पीड़ित परिवार ने सब बताया.

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mob enters kargil war veteran home asks for id proof label them bangladeshi
कारगिल की जंग 1999 में हुई थी (PHOTO-Wikipedia)
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मानस राज
31 जुलाई 2025 (Updated: 31 जुलाई 2025, 05:08 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र के पुणे से एक शर्मनाक मामला सामने आया है. यहां 26 जुलाई की रात भीड़ एक मुस्लिम व्यक्ति के घर में घुसी, उन्हें बांग्लादेशी कहकर आईडी प्रूफ मांगे और उन्हें अपशब्द कहे. ये एक ऐसा परिवार है जिसने देश की रक्षा के लिए कई लोग दिए हैं. उनके परिवार से लोगों ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी से लेकर कारगिल वॉर तक देश के लिए जंग लड़ी है. फिर भी इस देश के कुछ लोगों ने उनके घर में घुसकर बदसलूकी की.

पुलिस मूकदर्शक बन कर खड़ी रही

शमशाद शेख का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है. पुणे में वो अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन्होंने बताया कि जब उनके घर में भीड़ घुसकर बद्तमीजी कर रही थी, उस समय वहां सादे कपड़ों में पुलिसवाले भी मौजूद थे. लेकिन पुलिसवाले मूकदर्शक बन कर खड़े रहे. साथ ही उनके पूरे परिवार को पुलिस स्टेशन भी ले जाया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस का कहना है कि उन्हें कुछ बांग्लादेशियों के मौजूद होने की टिप मिली थी जिसके आधार पर ये ऑपरेशन चलाया गया. पुलिस का कहना है कि वो घर में भीड़ घुसने के मामले की जांच कर रही है.

शमशाद के परिवार ने चंदन नगर पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई है. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस के दो अधिकारी इस मामले में अलग-अलग बातें कर रहे हैं. डीसीपी सोमय मुंडे का कहना है कि FIR दर्ज करने का प्रोसेस जारी है. वहीं पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार कह रहे हैं कि एफआईआर पहले ही लिखी जा चुकी है. 26 जुलाई की रात हुई इस घटना का जिक्र करते हुए शमशाद शेख बताते हैं,

रात के लगभग 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजे के बीच ये लोग हमारे दरवाजे पर लात मारने लगे और घर में घुसकर हमारे पहचान पत्र मांगने लगे. इसके बाद 7-10 लोगों के समूह हमारे घर में घुसते रहे और वे हमारे बेडरूम में भी घुस गए और महिलाओं और बच्चों को जगा दिया. हमने उन्हें अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और यहां तक कि वोटर आईडी भी दिखाई, लेकिन वे कहते रहे कि ये सब नकली हैं.

शमशाद के मुताबिक उन्हें एक पुलिस वैन में बैठा कर पुलिस स्टेशन ले जाया गया. वहां इंस्पेक्टर सीमा ढाकने ने उनसे कहा कि उन्हें अगली सुबह हाजिरी देनी होगी नहीं तो उन्हें बांग्लादेशी घोषित कर दिया जाएगा.

परिवार ने सेना को दिए कई योद्धा 

जिस घर में भीड़ ने घुसकर बदसलूकी की, उसी घर में शमशाद के चाचा इरशाद अहमद भी रहते हैं. अपने परिवार के मिलिट्री इतिहास का जिक्र करते हुए इरशाद बताते हैं

हमारे परिवार का भारतीय सेना में सेवा करने का 130 साल का इतिहास है. हमारे परदादा हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हमारे दादा सेना में सूबेदार थे, और उनके भाई जमशेद खान मध्य प्रदेश के डीजीपी रहे थे. मेरे दो चाचा सेना में सूबेदार मेजर थे जो अब रिटायर हो चुके हैं. नईमुल्लाह खान 1962 में सेना में भर्ती हुए और 1965 और 1971 के युद्धों में लड़े, मोहम्मद सलीम 1968 में सेना में भर्ती हुए और उन्होंने 1971 के युद्ध में लड़ाई लड़ी. मेरे अपने भाई हकीमुद्दीन 1982 में पुणे में बॉम्बे सैपर्स में शामिल हुए और ट्रेनिंग के बाद पूरे भारत में तैनात रहे. उन्होंने कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया और 2000 में रिटायर हुए.

इस मामले पर जानकारी देते हुए डीसीपी सोमय मुंडे ने बताया

हमें सूचना मिली थी कि वहां संदिग्ध अवैध बांग्लादेशी नागरिक हैं, इसलिए हम मौके पर गए. उनके कुछ दस्तावेजों की जांच की गई और कुछ को पुलिस स्टेशन लाया गया. देर हो रही थी इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया और अगली सुबह वापस बुलाया गया. यह रात में किया गया, क्योंकि कभी-कभी इन तलाशी अभियानों में संदिग्ध भाग जाते हैं. सूचना यह थी कि उनमें से कुछ असम के थे. उस समय यह बात सच नहीं पाई गई, लेकिन हम अभी भी इस मामले की जांच कर रहे हैं.

डीसीपी ने ये भी बताया कि घर में घुसने वाले शख्स बजरंग दल के सदस्य थे, इसकी जांच भी जारी है. इस मामले पर इरशाद अहमद कहते हैं कि उनके परिवार के लोगों ने सरहद पर देश की सेवा की. तमाम दुश्मनों से लोहा लिया. बकौल इरशाद, 1971 की जंग में उनके चाचा घायल भी हुए थे. लेकिन अब उनसे इस देश का नागरिक होने का प्रूफ मांगा जा रहा है. इरशाद कहते हैं कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि जिस परिवार ने देश के लिए इतने फौजी दिए, उसके साथ आज ऐसा सलूक किया जा रहा है.

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