दिल्ली पुलिस ने 'बांग्ला' को बांग्लादेशी भाषा कह दिया, ममता बनर्जी भड़क गईं
Mamata Banerjee ने Delhi Police द्वारा बंग भवन को लिखे एक पत्र को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने पत्र में उपयोग की गई भाषा को संविधान विरोधी और बंगाल के लोगों का अपमान करने वाला करार दिया है.

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने नई दिल्ली में चाणक्यपुरी स्थित बंग भवन को एक पत्र भेजा. इस पत्र की भाषा ने राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है. आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने बांग्ला भाषा को 'बांग्लादेशी भाषा' कहकर संबोधित किया है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ये दिल्ली पुलिस की भाषा संविधान विरोधी है. और इसके जरिए बंगालियों को अपमानित किया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के लोधी कॉलोनी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अमित दत्त ने बंग भवन के प्रभारी अधिकारी को 24 जुलाई को एक पत्र लिखा. इसमें संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों से जब्त दस्तावेजों के ट्रांसलेशन के लिए एक अनुवादक की मांग की गई थी. इसमें कहा गया,
दिल्ली पुलिस ने आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. उनके डॉक्यूमेंट्स को ट्रांसलेट करने के लिए बांग्लादेशी राष्ट्रीय भाषा में पारंगत दुभाषिए की जरुरत है. इनके अवैध बांग्लादेशी नागरिक होने का मजबूत संदेह है.
इस पत्र में बताया गया है कि जांच के दौरान इन संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों के पास से राष्ट्रीय पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और बैंक अकाउंट डिटेल्स जैसे डॉक्यूमेंट मिले हैं. जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अमित दत्त ने पत्र में लिखा,
ममता बनर्जी ने साधा निशानापहचान संबंधी दस्तावेजों में बांग्लादेशी भाषा में लिखा है और उनका हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद जरूरी है. अनुरोध है कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए कृपया बांग्लादेशी राष्ट्रीय भाषा में पारंगत एक आधिकारिक अनुवादक उपलब्ध कराया जाए.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करके इस पत्र को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा,
अब देखिए कैसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में काम करने वाली दिल्ली पुलिस बांग्ला को 'बांग्लादेशी भाषा' बता रही है. बांग्ला, जो हमारी मातृभाषा है, रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद की भाषा है. राष्ट्रगान और वंदे मातरम जैसी रचनाएं इसी भाषा में हैं. करोड़ो भारतीय इस भाषा को बोलते और लिखते हैं. जिस भाषा को भारत के संविधान ने मान्यता दी है. अब उसे बांग्लादेशी भाषा बताया जा रहा है.
ममता बनर्जी के अलावा TMC सांसद महुआ मोइत्रा और अभिषेक बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है. महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये सिर्फ एक क्लेरिकल(लिपिकीय) गलती नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई साजिश है. वहीं अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित राज्यों में महीनों से बांग्लाभाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
बीजेपी ने किया पलटवारबंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने दिल्ली पुलिस की भाषा का बचाव किया है. उन्होंने कहा,
पत्र की भाषा बिल्कुल सही है. अगर आप बांग्लादेश से कोई किताब लाएं और उसे पढ़ें फिर पश्चिम बंगाल की कोई किताब पढ़ें. दोनों किताबें पढ़ने के बाद आपको समझ आ जाएगा कि कौन सी किताब सुबोध सरकार ने लिखी है और कौन सी बांग्लादेश के किसी शफीकुल इस्लाम ने.
राजनीतिक दलों के अलावा बंगाल के संगीतकार और फिल्म निर्देशकों ने भी दिल्ली पुलिस के इस पत्र से नाराजगी जताई है. भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक श्रीजात मुखर्जी और गायिका रूपम इस्लाम ने एक्स पर इसको लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज की है.
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