आधार लिंक होते ही गायब हो गए 40 हजार स्वयंसहायता समूह, करोड़ों रुपये मिल रहे थे
MP News: राज्य में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को तीन किस्त में पैसे मिलते हैं. रिवॉल्विंग फंड, कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड आदि के तहत हर साल औसतन 115 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. ये गड़बड़ी चार सालों से चल रही है. इस तरह ये आंकड़ा करीब 460 करोड़ रुपये के बराबर है.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार आधार कार्ड की सत्यता को लेकर गंभीर है. हाल ही में उन्होंने घोषणा की थी कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ देने से पहले आवेदक के आधार कार्ड की जांच की जाएगी. आवेदन को उनके आधार से लिंक किया जाएगा.
राज्य सरकार के फैसले पर कार्रवाई की गई. महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को पहले उनके नाम और एड्रेस के जरिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ा गया था. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में ऐसे समूहों की संख्या 5,04,213 थी. इन समूहों से जुड़े महिलाओं की संख्या 62 लाख थी.
सलाना 115 करोड़ रुपये की निकासीअब इन समूहों के एड्रेस और बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से जोड़ा गया है. इसका परिणाम ये निकला कि समूहों की संख्या घटकर 4,63,361 हो गई. 40,852 समूह कम हो गए हैं. इनसे करीब छह लाख महिलाएं जुड़ी थीं.
राजगढ़ जिले के ऐसे 7,000 समूह से 40 हजार महिलाएं जुड़ी थीं. विदिशा जिले के 2,500 समूह से 20,000 महिलाएं और रायसेन में 1,500 समूहों से 18,000 महिलाएं जुड़ी थीं. अब इन महिलाओं का पता नहीं चल पा रहा. कई और जिलों में भी ऐसा ही हुआ है.
सरकार का कहना है कि ये महिलाएं सक्रिय नहीं हैं. इसलिए जानकारियों का मिलान नहीं हो सका. इनके नाम पर हर साल 115 करोड़ रुपये की निकासी हो रही थी. सवाल उठ रहे हैं कि वो पैसे कहां गए?
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स्वयं सहायता समूहों को ऐसे मिलता है पैसाराज्य में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को तीन किस्त में पैसे मिलते हैं. रिवॉल्विंग फंड, कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड आदि के तहत हर साल औसतन 115 करोड़ रुपये दिए जाते हैं. ये गड़बड़ी चार सालों से चल रही है. इस तरह ये आंकड़ा करीब 460 करोड़ रुपये के बराबर है.
फिलहाल समूहों में नई महिलाओं को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. कोशिश है कि ये संख्या वापस 62 लाख पर पहुंच जाए. इन योजनाओं पर नजर रखने के लिए एक पोर्टल भी बनाया गया है. इसका नाम है, लोकोस.
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