The Lallantop
Advertisement

हत्या के केस में तथ्य दबाने का आरोप, हाईकोर्ट ने भोपाल के DIG को ही लपेट लिया, 5 लाख का जुर्माना

MP News: जिन IPS पर हाईकोर्ट ने यह एक्शन लिया है, वह भोपाल में DIG पद पर तैनात हैं. उनका नाम मयंक अवस्थी है. मामला उस समय का है जब वह दतिया के पुलिस अधीक्षक (SP) थे.

Advertisement
Madhya Pradesh High Court slams DGP over suppressed facts in murder case
DIG पर लगाया 5 लाख का जुर्माना. (सांकेतिक फोटो- AI Image)
pic
रिदम कुमार
18 अप्रैल 2025 (Published: 01:53 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पुलिस पर गाहे-बगाहे आरोप लगते ही रहते हैं कि वह मामले को दबाती है. लेकिन इस तरह के आरोपों में कड़ा एक्शन कम ही देखने को मिलता है. एक्शन होता भी है तो छोटे-मोटे अधिकारियों पर. लेकिन इस बार हत्या के एक मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने DIG पद पर तैनात एक IPS को ही लपेट लिया. कोर्ट ने DIG पर हत्या के मामले को दबाने के लिए न सिर्फ IPS को लताड़ा बल्कि उन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन IPS पर हाईकोर्ट ने यह एक्शन लिया है वह भोपाल में DIG पद पर तैनात हैं. उनका नाम मयंक अवस्थी है. मामला उस समय का है जब वह दतिया के पुलिस अधीक्षक (SP) थे. जस्टिस जी. एस. अहलूवालिया ने बुधवार, 16 अप्रैल को उन पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,

अवस्थी को देश के कानून की कोई परवाह नहीं है. उन्हें अपने मन मुताबिक काम करने की आदत हो गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने राज्य के पुलिस DGP को यह तय करने के लिए भी कहा कि इस तरह के लोगों को पुलिस विभाग में रखा जाना चाहिए या नहीं. हाईकोर्ट ने आगे कहा

तत्कालीन एसपी दतिया अवस्थी ने जानबूझकर उस जानकारी को दबाया और रोके रखा जिसे लेकर ट्रायल कोर्ट ने आदेश पारित किया था. अवस्थी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के साथ-साथ एक पक्ष के स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने की कोशिश की. 

अदालत ने अवस्थी से भी जवाब मांगा है. उनसे पूछा कि आखिर आदेश न मानने के लिए उनके खिलाफ विभागीय जांच क्यों न शुरू की जाए? उन्हें एक महीने के अंदर प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के सामने मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश भी दिया. जुर्माना नहीं देने की सूरत में कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा. साथ ही उन पर अदालत की अवमानना ​​के लिए एक अलग केस भी चलेगा.

अदालत ने कहा, “यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि पुलिस ने अपनी सबसे बुनियादी जिम्मेदारियां भी ठीक से नहीं निभाई हैं.” अदालत ने पुलिस को अवस्थी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने और इसे सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करने का भी निर्देश दिया है. 

क्या था मामला

मामला 2018 में दतिया में हुई हत्या से जुड़ा है. मामले में आरोपी मानवेंद्र सिंह गुर्जर उर्फ रामू ने 2018 में निचली अदालत में एक याचिका लगाई थी. इसमें उसने कहा था कि घटना जिस दिन और जिस जगह की बताई जा रही है गवाह और मृतक वहां मौजूद नहीं थे. वह अपने बचाव में मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को संरक्षित करवाना चाहता था ताकि गवाह और मृतक की घटनास्थल पर मौजूदगी का पता चल सके. लेकिन उस समय के दतिया के SP ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया. इस पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई.

वीडियो: UP के रामपुर में 11 साल की मूक बधिर बच्ची से रेप, Encounter के दौरान पुलिस ने आरोपी को धरा

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement