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लखनऊ में 'नया' डिजिटल अरेस्ट, 100 साल के पिता को फंसाकर बेटे से वसूले 1.29 करोड़ रुपये!

लखनऊ में ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर एक 100 साल के व्यक्ति को अपने जाल में फंसाया और उनके सेवानिवृत्त मर्चेंट नेवी अधिकारी बेटे से 1.29 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर ली.

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Lucknow Digital Arrest
100 साल के बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ की लूट (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
28 अगस्त 2025 (Published: 07:21 PM IST)
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इतने सारे अलर्ट और साइबर पुलिस की इतनी सख्ती के बाद भी 'डिजिटल अरेस्ट' की घटनाएं नहीं थम रहीं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मर्चेंट नेवी के रिटायर्ड अफसर से 1 करोड़ 29 लाख लूटे जाने का मामला सामने आया है. साइबर अपराधियों ने उनके 100 साल के पिता को 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर तीन अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करा लिए. फर्जी CBI अफसर बनकर आरोपियों ने पीड़ित को अपने जाल में फंसाया और पैसे लूटकर चंपत हो गए. पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस से की है. मामले की जांच की जा रही है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि पीड़ित सुरिंदर पाल सिंह मर्चेंट नेवी से रिटायर्ड हैं. उनके 100 साल के पिता हरदेव सिंह को फर्जी CBI अधिकारी बने साइबर अपराधियों का कॉल आया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं. इस अपराध के लिए उन्हें जेल हो सकती है. इसके बाद जांच के नाम पर ठगों ने वीडियो और फोन कॉल के जरिए बुजुर्ग को 6 दिनों तक लगातार अपनी निगरानी में रखा. इस दौरान वह बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे रहे. कानूनी कार्रवाई की धमकी से वह काफी डर गए थे. ठगों ने उन्हें झांसा दिया कि वह पूरा मामला निपटा देंगे लेकिन इसके लिए पैसे जमा करने होंगे.

उन्होंने बुजुर्ग के रिटायर्ड मर्चेंट नेवी अफसर बेटे सुरिंदर पाल सिंह पर दबाव बनाकर 1.29 करोड़ अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिए. ये खाते गुजरात, गोवा और जलगांव के थे. ठगों ने पिता-पुत्र को भरोसा दिलाया कि सत्यापन के बाद ये पैसे उन्हें वापस कर दिए जाएंगे. लंबे इंतजार के बाद जब उनके खाते में पैसा वापस नहीं आया तो परिवार पुलिस के पास पहुंचा और सारी कहानी बताई. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और ठगों की तलाश में जुट गई है.

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका है, जिसमें ठग खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को फोन या वीडियो कॉल करते हैं. उन्हें डराते हैं और गिरफ्तारी की धमकी देकर डिजिटल तौर पर बंधक बना देते हैं. उनके एक कमरे या घर से बाहर जाने पर रोक लगा दी जाती है. इससे पीड़ित दुनिया से कट जाता है. इस दौरान मामला सुलटाने का झांसा देकर ठग फर्जी खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर करा लेते हैं.

इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के मामले काफी बढ़े हैं. साइबर पुलिस लगातार लोगों को डिजिटल ठगों से सावधान रहने की अपील करती रहती है.

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

इस बारे में लोगों को सतर्क करते हुए DSP संतोष पटेल ने बताया कि पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करते. न तो वह कोई एप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं. पहचान पत्र, एफआईआर कॉपी या गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन नहीं शेयर किया जाता है. इसके अलावा फोन या वीडियो कॉल पर बयान नहीं दर्ज होते. इसके अलावा पर्सनल जानकारी देने के लिए पुलिस किसी को धमकाती नहीं है और न ही जांच के दौरान किसी अन्य से बात करने से ही रोकती है.

इन सब तरीकों से डिजिटल अरेस्ट होने से बचा जा सकता है.

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