The Lallantop
Advertisement

ग्राम प्रधान, रेहड़ी-पटरी वाला और ई-रिक्शावाला... लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर धमकी देने वालों की सच्चाई कुछ और ही निकली

Mainpuri Lawrence Bishnoi Fake Gang: पुलिस ने बताया है कि एक आरोपी पहले रेहड़ी-पटरी लगाता था. लेकिन इन फर्जी कामों के बाद उसके पास कई महंगी गाड़ियां हैं. वहीं एक आरोपी ई-रिक्शा संचालक हैं. आरोपियों में एक ग्राम प्रधान भी शामिल है.

Advertisement
Fake Lawrence Gang
पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
pic
रवि सुमन
15 जनवरी 2025 (Updated: 15 जनवरी 2025, 03:55 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पिछले कुछ महीनों में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम से धमकी की कई खबरें आई हैं. दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह के 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें उत्तर प्रदेश के मैनपुरी का एक ग्राम प्रधान भी शामिल है. इस गिरोह पर, खुद को बिश्नोई का सहयोगी बताकर डॉक्टरों से जबरन वसूली (Gang Posing as Lawrence Bishnoi) करने के आरोप हैं. पुलिस ने बताया है कि इससे पहले ये समूह लोगों की संपत्तियों पर मोबाइल टावर लगाने का फर्जी वादा करके ठगी करता था.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनके नाम हैं- ऋषि शर्मा (41 साल), अरुण वर्मा (38 साल), सबल सिंह (45 साल) और हर्ष (38 साल). अधिकारियों के अनुसार, सबल सिंह मैनपुरी जिले के एक गांव का प्रधान है. वहीं आरोपी हर्ष पहले एक रेहड़ी-पटरी वाला दुकानदार था. लेकिन अब ठगी का काम करने के बाद उसके पास कई महंगी गाड़ियां हैं.

कैसे पकड़ा गया Mainpuri का गिरोह?

10 जनवरी को दीप चंद बंधु अस्पताल के CMO डॉक्टर अनिमेष को एक धमकी भरा खत मिला था. उनसे एक बैंक अकाउंट में "प्रोटेक्शन मनी" भेजने को कहा गया था. डॉक्टर अनिमेष ने भारत नगर पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और गिरफ्तारी अभियान चलाया.

ये भी पढ़ें: पप्पू यादव को धमकी देने वाला 'लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नहीं उनका अपना आदमी', बिहार पुलिस का बड़ा दावा

पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) भीष्म सिंह ने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज की गई. पुलिस की एक टीम का गठन हुआ. इसके बाद आरोपियों की पहचान के लिए प्रयास किए गए. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस को सबसे पहले उस बैंक अकाउंट के बारे में पता लगाना था, जिसमें पैसे भेजने को कहा गया. जांच के बाद पता चला कि वो अकाउंट गाजियाबाद के अरुण वर्मा का है.

बैंक अकाउंट के बदले कमीशन

अरुण वर्मा एक ई-रिक्शा संचालक है. उसने गिरोह के इस्तेमाल के लिए कई बैंक खाते खुलवाने की बात कही. इसके बदले उसे कमीशन मिलता था. पुलिस ने बताया कि इसके बाद उनकी नजर बैंक अकाउंट से होने वाले लेन-देन पर थी. इसी क्रम में पता चला कि दिल्ली के लोनी रोड पर एक शराब की दुकान पर खरीदारी के लिए बैंक खाते से लेन-देन हुआ था.

CCTV फुटेज की जांच की गई और इसी आधार पर ऋषि शर्मा की पहचान हुई. बाद में पुलिस ने उसे पूर्वी दिल्ली के गोकलपुर इलाके से गिरफ्तार किया. पुलिस ने बताया कि 2015 में व्यवसाय के क्षेत्र में असफल होने के बाद उसने ठगी करना शुरू किया. पूछताछ हुई तो उसने अपने दो सहयोगियों सबल और हर्ष के नाम का खुलासा किया. इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के कॉल डिटेल की जांच की और स्थानीय नेताओं की सूची भी खंगाली. इसके बाद ग्राम प्रधान सबल को पकड़ लिया गया.

डॉक्टरों से जुड़ा डेटा तैयार किया

पुलिस उपायुक्त ने बताया कि सबल को आगरा से गिरफ्तार किया गया. और उसी की निशानदेही पर हर्ष उर्फ अखिलेश को भी गिरफ्तार किया गया. आगे की जांच में पता चला कि गिरोह ने एक डेटासेट तैयार किया था. दिल्ली में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डॉक्टरों की लिस्ट बनाई थी जिसमें उनसे संपर्क करने के तरीकों की भी जानकारी थी.

पुलिस के अनुसार, इस समूह ने डाक के माध्यम से धमकी भरे पत्र भेजे थे. आरोपियों के पास से मोबाइल टावर लगवाने वाले 140 जाली आवेदन पत्र, 11 ATM कार्ड और कई मोबाइल फोन बरामद हुए हैं.

वीडियो: Pappu Yadav को धमकी देने का आरोपी पकड़ा गया, लॉरेंस बिश्नोई से क्या कनेक्शन निकला?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement