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पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने नोटिस देकर वापस ले लिया, पुलिस बोली- 'ऊपर से आदेश...'

Pakistani nationals to continue in Kozhikode: तीनों के भारतीय नागरिकता के आवेदन केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित हैं. सूत्रों ने पुष्टि की कि उनके ख़िलाफ़ कोई मामला नहीं है. क्योंकि वो वैध प्रवास के लिए सभी नियमों का पालन करते पाए गए थे.

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Pakistani nationals to continue in Kozhikode
सरकार के निर्देश के बाद कई पाकिस्तानी नागरिक भारत से वापस लौट गए. (फ़ोटो - PTI)
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हरीश
28 अप्रैल 2025 (Updated: 28 अप्रैल 2025, 02:12 PM IST) कॉमेंट्स
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केरल के कोझिकोड ज़िले की पुलिस ने तीन पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए नोटिस वापस ले लिए हैं. जिसमें उन्हें 27 अप्रैल तक देश छोड़ने के लिए कहा गया था. कोझिकोड ग्रामीण के SP ने कहा कि ऊपर से मिले निर्देशों के बाद नोटिस वापस ले लिया गया है.

कोइलांडी इलाक़े के 79 साल के पुथन वलप्पिल हम्सा, वडकारा की कांजीपरम्बथु खमरुन्निसा और उनकी बहन अस्मा. तीनों पाकिस्तानी नागरिक हैं. इन्हें हाल ही में कोझिकोड ग्रामीण पुलिस से नोटिस मिला था. फिर कई लोगों ने इसे 'अमानवीय' बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि तीनों दशकों से राज्य में दीर्घकालिक वीजा पर रह रहे हैं. भारतीय नागरिकता पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा रद्द कर दिए हैं. भारत में मौजूद पाकिस्तानियों के वीजा 27 अप्रैल 2025 से रद्द माने जाएंगे. इसी के चलते पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा गया था.

ये भी पढ़ें- 38 साल से भारत में रह रहीं, पोते-पोती भी हो गए, अब सरकार ने पाकिस्तान जाने के लिए कहा

पुलिस सूत्रों ने द हिंदू को बताया कि तीनों के भारतीय नागरिकता के आवेदन केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित हैं. सूत्रों ने पुष्टि की कि उनके ख़िलाफ़ कोई मामला नहीं है. क्योंकि वो वैध प्रवास के लिए सभी नियमों का पालन करते पाए गए थे.

क्या है तीनों की कहानी?

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, कोइलांडी इलाक़े के 79 साल के पुथन वलप्पिल हम्सा को दिल की बीमारी है. उनका जन्म केरल में हुआ था. वो 1965 में काम की तलाश में यात्रा पर निकले और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में पहुंच गए. चूंकि उन्हें घर लौटने के लिए पासपोर्ट की ज़रूरत थी. इसलिए हम्सा ने 1972 में पाकिस्तानी नागरिकता ले ली.

2007 में अपना व्यवसाय बंद करने के बाद वो केरल लौट आए. फिर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया. लेकिन वो आवेदन सरकार के पास लंबित पड़ी हुई है.

वहीं, खमरुन्निसा का परिवार 1993 में कराची से केरल लौटा था. 2022 में वो वडकारा में रहने के लिए. अस्मा चोकली में रहती हैं. दोनों बहनों का कहना है कि 2024 में उनके वीज़ा की अवधि समाप्त हो गई. इसके बाद, उन्होंने विस्तार के लिए आवेदन किया. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.

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