दो लोगों का एक आधार नंबर, बिहार में ऐसे दो केस निकले हैं, देखकर अधिकारी भी चकरा गए
Bihar के जमुई जिले के ये दोनों केस हैं. एक मामले में नाम और जन्मतिथि के अलावा सारी डिटेल्स अलग हैं. दूसरे मामले में एक ही घर के 2 भाई-बहनों को एक ही आधार नंबर अलॉट हो गया है. अब इन्हें क्या परेशानी आ रही है? ऐसा हुआ क्यों? और इस पर अफसरों का क्या कहना है?

एक घर या जमीन के दो दावेदार, ये तो सुना है. लेकिन कुछ चीजें यूनिक होती हैं. अगर वो किसी की पहचान के साथ नत्थी हो गईं तो हमेशा उसी की रहती हैं. जैसे की पासपोर्ट नंबर या आधार कार्ड नंबर. लेकिन बिहार के जमुई से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक आधार नंबर के दो दावेदार हैं. ऐसा कैसे संभव हुआ ये तो आधार बनाने वाली संस्था UIDAI ही बता सकती है. लेकिन ये देखकर जमुई के कलेक्टर साहब भी परेशान हैं कि आखिर ये हुआ कैसे? कलेक्टर साहब कह रहे हैं कि जांच होगी.
क्या है मामला?बिहार के जमुई में दो ब्लॉक पड़ते हैं. एक है सदर और दूसरा है खैरा. इन दोनों ब्लॉक में एक ही आधार नंबर के 2-2 दावेदार सामने आए हैं. पहला आधार नंबर सदर ब्लॉक का है. इस नंबर के दो आधार हैं. दोनों में नाम, जन्मतिथि तक एक है. लेकिन पिता का नाम और पता अलग-अलग है. दोनों में जन्मतिथि 2 जून 2013 है. लेकिन एक के पिता का नाम जुल्फिकार अंसारी है, जो प्रतापपुर गांव के रहने वाले हैं. दूसरे दावेदार का नाम तो सेम है लेकिन पिता का नाम आलमगीर है जो कि निमारंग गांव के रहने वाले हैं. प्रतापपुर के जुल्फिकार अंसारी का कहना है कि वो बीते 6 महीनों से अपनी बेटी के आधार कार्ड को लेकर परेशान हैं. कई हजार खर्च कर चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा. इस वजह से न उन्हें राशन मिल पा रहा है, न बच्ची किसी स्कूल में एडमिशन ले पा रही है.
कैसे सामने आई सच्चाई?इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक जुल्फिकार अंसारी को इस मामले का पता तब चला, जब वो आधार कार्ड लेकर राशन लेने गए. वहां पता चला कि बीते 6 महीने से उनका राशन कोई और उठा ले रहा है. डीलर से पूछा तो पता चला कि आलमगीर की बेटी के नाम पर ये राशन उठाया जा रहा है. जुल्फिकार अंसारी के मुताबिक 6 महीने पहले तक सब ठीक था. लेकिन उसके बाद से उनकी बेटी का आधार कार्ड काम नहीं कर रहा. वजह, इस आधार कार्ड से अब आलमगीर की बेटी राहत का मोबाइल नंबर लिंक किया जा चुका है.
जुल्फिकार कहते हैं कि यहां मामला सिर्फ राशन का नहीं बल्कि उसके हक और पहचान का है. बीते 6 महीनों में उसने कई बार बेटी के आधार को अपडेट करवाने की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम रही. जुल्फिकार का कहना है कि उसने इस मामले में लोक निवारण पदाधिकारी (public redressal officer) से भी शिकायत की है. लेकिन वहां बस तारीख पर तारीख दी जा रही है. मामले का समाधान नहीं निकल रहा. दूसरी ओर आलमगीर का कहना है कि उसकी बच्ची का आधार कार्ड सही है. उनका मोबाइल नंबर भी आधार से लिंक है. आलमगीर ने बताया कि आधार की इस गड़बड़ी को लेकर जुल्फिकार ने उनसे संपर्क किया था. बाद में तय हुआ कि जुल्फिकार अपनी बच्ची के आधार कार्ड में सुधार करवाएगा.
मामला नंबर 2अगला मामला जमुई के खैरा ब्लॉक का है. यहां रहने वाले विनोद रावत के बेटे और बेटी का आधार नंबर एक ही है. विनोद के बेटे सन्नी कुमार और बेटी शालू रावत को एक ही नंबर अलॉट कर दिया गया है. नतीजा ये हुआ है कि शालू के आधार कार्ड ने काम करना बंद कर दिया है. विनोद की पत्नी के मुताबिक इस वजह से उनकी बेटी का किसी स्कूल में एडमिशन नहीं हो पा रहा. उसे कोई सुविधा नहीं मिल रही. आधार कार्ड में सुधार की कोशिश भी की गई लेकिन हो नहीं पाया. नया आधार कार्ड बन जाए, इसके लिए भी प्रयास किए गए लेकिन नया आधार कार्ड भी नहीं बन पा रहा.
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इस मामले की जानकारी के लिए इंडिया टुडे ने जिलाधिकारी नवीन से भी संपर्क किया. जिलाधिकारी ने कहा की उनके लिए भी ये मामले अजूबे की तरह हैं. जिलाधिकारी के मुताबिक उन्होंने इस मामले की जांच की तो पता चला की पहले से लोक शिकायत निवारण अधिकारी के यहां ये मामला चल रहा है. जिलाधिकारी के मुताबिक आधार एक बहुत ही पारदर्शी सिस्टम है. ऐसी गड़बड़ कैसे हुई इसकी जांच होगी.
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