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कस्टडी में पुलिस कॉन्स्टेबल के निजी अंग कुचल दिए, SC ने 50 लाख का मुआवजा दिलवाया, CBI जांच का आदेश

पुलिस कॉन्स्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि 20 से 26 फरवरी, 2023 तक कुपवाड़ा के जॉइंट इंटेरोगेशन सेंटर (JIC) में उन्हें ‘अवैध’ हिरासत में रखा गया. इस दौरान उन्हें ‘अमानवीय और अपमानजनक यातनाएं’ दी गईं.

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J&K Police Officer Custodial Torture
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में CBI जांच के भी आदेश दिए हैं. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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हरीश
21 जुलाई 2025 (Published: 04:51 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के कथित कस्टोडियल टॉर्चर की जांच CBI से कराने का आदेश दिया है. पीड़ित कॉन्स्टेबल ने आरोप लगाया था कि उसे पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले में शामिल आरोपी अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार किया जाए. साथ ही कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आदेश दिया है कि वो पुलिस कॉन्स्टेबल को 50 लाख रुपये का मुआवजा दे.

मामला क्या है?

लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, पुलिस कॉन्स्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि 20 से 26 फरवरी, 2023 तक कुपवाड़ा के जॉइंट इंटेरोगेशन सेंटर (JIC) में उन्हें ‘अवैध’ हिरासत में रखा गया. इस दौरान उन्हें ‘अमानवीय और अपमानजनक यातनाएं’ दी गईं. पीड़ित कॉन्स्टेबल का ये भी आरोप है कि टॉर्चर में उनके गुप्तांगों को भी क्षत-विक्षत कर दिया गया.

दरअसल, पुलिस अधिकारियों ने कॉन्स्टेबल खुर्शीद के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 309 (आत्महत्या की कोशिश) के तहत FIR दर्ज की थी. इसी सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. बाद में पुलिस पर टॉर्चर का आरोप लगा. इसके खिलाफ कॉन्स्टेबल जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट पहुंचे. लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी. हाई कोर्ट ने FIR को रद्द करने से भी इनकार कर दिया था. ऐसे में खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सोमवार, 21 जुलाई को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान बेंच ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को आदेश दिया कि वो अपीलकर्ता और पीड़ित खुर्शीद अहमद चौहान को 50 लाख रुपये दे, जो उनके मौलिक अधिकारों के घोर उल्लंघन की क्षतिपूर्ति होगी.

ये भी पढ़ें- गुजरात पुलिस की हिरासत में दलित युवक का टॉर्चर!

शीर्ष अदालत ने CBI को आदेश दिया कि कथित टॉर्चर में शामिल पुलिस अधिकारियों को एक महीने के अंदर गिरफ्तार किया जाए. साथ ही, FIR दर्ज होने की तारीख से तीन महीने के भीतर जांच पूरी की जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने खुर्शीद अहमद चौहान के खिलाफ दर्ज FIR को भी रद्द कर दिया. साथ ही कहा कि ये ‘आपराधिक कार्यवाही’ जारी रखना न्याय का मजाक उड़ाना होगा. कोर्ट ने CBI को JIC कुपवाड़ा में मौजूद 'व्यवस्थागत समस्याओं' की जांच करने का भी निर्देश दिया है.

वीडियो: थाने में पुलिस के 'थर्ड डिग्री' टॉर्चर से कैसे बचें, CJI एनवी रमना ने बता दिया

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