तमिलनाडु में जल्लीकट्टू आयोजन के दौरान 7 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल
जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है. इसका आयोजन 'पोंगल' के दौरान किया जाता है. इस खेल में खिलाड़ी अपने बैलों से रस्सी के जरिए बंधे होते हैं और दूसरे प्रतिद्वंद्वियों से रेस लगाते हैं. इस खेल पर साल 2006 में मद्रास हाई कोर्ट ने बैन लगा दिया था.

तमिलनाडु में काणुम पोंगल के दिन आयोजित किए गए जल्लीकट्टू और मंजुविरट्टू कार्यक्रमों में सात लोगों की मौत हो गई (7 death Jallikattu events). मृतकों में अधिकतर दर्शक और एक बैल का मालिक बताया जा रहा है. अलग-अलग दुर्घटनाओं में दो बैलों की भी मौत हो गई.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने जानकारी दी कि पुडुकोट्टई में आयोजित जल्लीकट्टू में एक बैल की मौत हो गई है. शिवगंगा के सिरवयाल मंजुविरट्टू में भी एक बैल मालिक और उसके बैल की मौत की खबर है. सिरवयाल में नादुविकोट्टई कीला आवंधीपट्टी गांव के थनेश राजा आयोजन में भाग लेने के लिए अपने बैल के साथ गए थे. थनेश का बैल अखाड़े से भागते हुए कंबनूर में एक कुएं में जा गिरा. घटना में दोनों की मौत हो गई.
मंजुविरट्टू में आयोजन में लगभग 130 लोग घायल हुए हैं. यहां आयोजन में 150 चारा डालने वाले और 250 बैल शामिल थे. देवकोट्टई में सुब्बैया नाम के एक दर्शक को बैल ने सींग मार दिया. अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि मदुरै के अलंगनल्लूर के मेट्टुपट्टी गांव के रहने वाले 55 वर्षीय दर्शक पी पेरियासामी को एक उग्र बैन ने गर्दन पर सींग मार दिया था. उन्हें मदुरै के राजाजी सरकारी अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया. यहां के आयोजन में कम से कम 70 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकतर दर्शक बताए जा रहे हैं.
वहीं तिरुचिरापल्ली, करूर और पुदुकोट्टई जिलों में चार अलग-अलग जल्लीकट्टू आयोजनों में दो दर्शकों की मौत हो गई. यहां पर बैल मालिकों सहित 148 लोग घायल हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार पुडुकोट्टई जिले में लगभग 19 लोग घायल हो गए.
क्या है जल्लीकट्टू?जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है. इसका आयोजन 'पोंगल' के दौरान किया जाता है. इस खेल में खिलाड़ी अपने बैलों से रस्सी के जरिए बंधे होते हैं और दूसरे प्रतिद्वंद्वियों से रेस लगाते हैं. इस खेल पर साल 2006 में मद्रास हाई कोर्ट ने बैन लगा दिया था. इसके बाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बैन कर दिया था.
अदालतों के आदेश के खिलाफ राज्य में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए. इसके चलते तमिलनाडु सरकार ने 2017 में खेल पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला लिया था. लेकिन खेल के नियमों में कुछ बदलाव किए गए. फिर कुछ एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट ग्रुप्स ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के इस फैसले को चुनौती दे दी. कोर्ट में बहस के दौरान तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि ये खेल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं है. इस खेल के साथ इतिहास, परंपरा और धार्मिक आस्था जुड़ी है.
साल 2023 में जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु सरकार के नियमों को मंजूरी दे दी थी. उनका कहना था कि जब राज्य सरकार का ये मानना है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की परंपरा से जुड़ा है, तो हमारा भी यही मानना है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने बताया था कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 2017 (तमिलनाडु संशोधन), खेलों में जानवरों के प्रति क्रूरता को काफी हद तक कम करता है.
वीडियो: पोंगल, जल्लीकट्टू के बहाने BJP-कांग्रेस का तमिलनाडु में क्या सियासी खेल चल रहा है?