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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर जयराम रमेश, कपिल सिब्बल के बयान सरप्राइज कर गए

Jagdeep Dhankhar Resign: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया है. उनके अचानक इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. धनखड़ ने 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दिया. (PTI)
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मौ. जिशान
21 जुलाई 2025 (Published: 12:08 AM IST)
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई की रात साढ़े नौ बजे अचानक इस्तीफा दे दिया. 21 जुलाई को ही मानसून सत्र शुरू हुआ और इसी दिन उन्होंने इस्तीफे का एलान कर दिया. इसके पीछे उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया. हालांकि, राजनीतिक हलकों में अटकलबाजियों का दौर भी शुरू हो गया है. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धनखड़ को मनाना चाहिए.

जयमराम रमेश कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा चौंकाने वाला है. उन्होंने बताया कि वे अन्य सांसदों के साथ शाम करीब 5 बजे तक धनखड़ के साथ थे. जयराम रमेश ने यह भी कहा कि उन्होंने शाम साढ़े सात बजे धनखड़ से फोन पर भी बात की थी.

जयमराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया,

"इसमें कोई शक नहीं कि उपराष्ट्रपति धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा तरजीह देनी होगी. लेकिन उनके चौंकाने वाले इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है वो उससे कहीं ज्यादा है. हालांकि, यह अटकलों का समय नहीं है. धनखड़ ने सरकार और विपक्ष दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया... हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करते हैं. हम यह भी उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री उपराष्ट्रपति धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए राजी करेंगे. यह देशहित में होगा. खासकर किसान समुदाय को इससे बहुत राहत मिलेगी."

वहीं, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने साफ तौर पर कहा कि वे जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने से खुश नहीं हैं. सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा,

"हम इस पर अटकलें नहीं लगाएंगे कि यह सही है या नहीं. मैं व्यक्तिगत रूप से उनके इस्तीफे से खुश नहीं हूं क्योंकि मैं अब जब संसद जाऊंगा तो उनसे नहीं मिलूंगा. मेरे और उनके कई सालों से अच्छे, पारिवारिक संबंध रहे हैं... वे सदन में हमेशा कहते थे कि सत्ता पक्ष और विपक्ष को एकमत होकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि यह देश का सवाल है... हमारे संबंध हमेशा अच्छे रहे, भले हमारी विचारधाराएं अलग थीं लेकिन कभी कोई कड़वाहट नहीं आई..."

कपिल सिब्बल ने बताया कि जब भी उन्हें सदन में बोलने के लिए समय की जरूरत होती थी, तो वे खुद धनखड़ के चैंबर में जाकर उनसे मिलते थे. सिब्बल ने कहा कि धनखड़ ने कभी उनसे मिलने से इनकार नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें संसद के स्वतंत्र सदस्यों को मिलने वाले समय से थोड़ा ज्यादा समय दिया गया.

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