चीन की 'हरकत' से चेता भारत, सर्विलांस के लिए विदेशी कंपनियों से मिलाया हाथ
भारत अपनी सर्विलांस की क्षमता को और बढ़ाना चाहता है. सैटेलाइट कंपनियों से बातचीत का मकसद रियल-टाइम सर्विलांस करना है. इससे किसी भी संघर्ष या ऑपरेशन के दौरान काफी मदद मिलेगी.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन एयरफोर्स के साथ-साथ भारत की मिसाइल्स और आर्टिलरी ने भी दुशमन के ठिकानों पर हमला किया. ये हमले इतने सटीक थे इसलिए कहा जाने लगा कि भारत को पहले से उन सभी जगहों के बारे में अच्छे से पता था जहां आतंकियों ने पनाह ले रखी थी. साथ ही पाकिस्तान ने जब शेलिंग और ड्रोन से हमले किए, तो जवाब में भारत ने उनका एयर डिफेंस सिस्टम उड़ा दिया. यहां भारत ने हमले से पहले अपने कुछ सैटैलाइट्स जैसे Cartosat और RISAT से जानकारी जुटाई थी. इन सैटेलाइट्स की बदौलत ही ऑपरेशन के दौरान भारत को उन जगहों की रियल-टाइम जानकारी मिल रही थी. लेकिन भारतीय सैटेलाइट्स में दिखने वाली तस्वीरों की कुछ सीमाएं भी हैं. इसलिए अब भारत ने इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ ग्लोबल प्लेयर्स से हाथ मिलाया है. ये कंपनियां सैटेलाइट इमेजरी के क्षेत्र में काफी आगे हैं. इनसे भारत को वो तस्वीरें मिलेंगी जो पहले से कहीं क्लियर और विस्तृत होंगी. तो जानते हैं कि भारत ने किससे हाथ मिलाया है.
जंग में अहमियतआज के जमाने की जंग सिर्फ हथियारों के भरोसे नहीं लड़ी जाती. आज के जमाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट्स जैसी तकनीकें भी जंग जीतने में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती हैं. इस मॉडर्न युद्ध को समझते हुए भारत भी इन तकनीकों पर काम कर रहा है. कई बार ऐसा कहा गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने अपनी सैटेलाइट इमेजरी पाकिस्तानी सेना को दी. यहां तक कि उन्होंने लाइव फीड तक मुहैया करवाए. इसी को काउंटर करने के लिए भारत ने सैटेलाइट इमेजरी के क्षेत्र में विश्व के कुछ बड़े प्लेयर्स के साथ करार करने की तैयारी की है.
इससे न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन से लगी सेक्टर्स पर भी भारत की चौकसी को नई ताकत मिलेगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारत कुछ बड़े सैटेलाइट कंपनियों के साथ संपर्क में है.भारत अपनी सर्विलांस की क्षमता को और बढ़ाना चाहता है. सैटेलाइट कंपनियों से बातचीत का मकसद रियल-टाइम सर्विलांस करना है. इससे किसी भी संघर्ष या ऑपरेशन के दौरान काफी मदद मिलेगी.
चलती गाड़ियां तक दिखेंगीरिपोर्ट के मुताबिक, विश्व की सबसे उन्नत सैटेलाइट कंपनियों में से एक Maxar Technologies से बात चल रही है. Maxar उन कंपनियों में से है जिनका सैटेलाइट इमेजरी की दुनिया में बड़ा नाम है. Maxar, हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें और रियल-टाइम फीड मुहैया कराने के लिए मशहूर है. इसके सैटेलाइट्स इतने उन्नत हैं कि तस्वीरों में लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर बिल्डिंग, आर्टिलरी पोजीशंस और यहां तक कि चलती हुई गाड़ियां तक दिख जाती हैं. Maxar 30 सेंटीमीटर रिजॉल्यूशन तक की तस्वीरें दे सकता है. यानी ये ऐसी तस्वीरें होती हैं जिसमें 30 सेंटीमीटर X 30 सेंटीमीटर के एरिया को साफ देखा जा सकता है.
भारत के सैटेलाइट्सफिलहाल भारत कार्टोसैट और रीसैट जैसे सैटेलाइट्स का इस्तेमाल कर रहा है. इन सैटेलाइट्स ने Op Sindoor के दौरान दुश्मन की मूवमंट पर नजर रखने और किसी भी हमले को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इनकी बदौलत ही समय रहते भारत को कई जानकारियां मिलीं जिससे देश की सैन्य संपत्तियों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. लेकिन इन घरेलू सैटेलाइट्स की क्षमताओं में कुछ सीमाएं हैं. कार्टोसैट-3 को 30 सेंटीमीटर तक का रिजॉल्यूशन देने के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन दावा है कि फिलहाल यह लगभग 50 सेंटीमीटर पर अच्छी क्वालिटी वाली तस्वीरें मुहैया कराता है.
भारत अपनी सैटेलाइट क्षमताओं को उन्नत करने पर काम कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और भी प्रभावी तरीके से निगरानी करने पर काम कर रहा है जिससे भविष्य में किसी भी चुनौती से निपटा जा सके.
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