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रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा भारत? ट्रंप ने टैरिफ वाली धमकी फिर दे दी है

अमेरिका ने धमकी दी है कि अगर पुतिन यूक्रेन के साथ समझौते पर ठीक से काम नहीं करते तो रूस से तेल खरीदने वालों पर सेकेंड्री टैरिफ लगाया जाएगा. भारत रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में ट्रंप के इस एलान से भारत की परेशानी बढ़ी है.

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Donald Trump
डॉनल्ड ट्रंप
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राघवेंद्र शुक्ला
1 अप्रैल 2025 (Updated: 1 अप्रैल 2025, 08:41 AM IST) कॉमेंट्स
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वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) अब पुतिन (Vladimir Putin) पर भड़क गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन से युद्धविराम समझौते में अड़ंगा लगा रहे हैं. यह बात कहते हुए ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर वो ठीक से काम नहीं करेंगे तो रूस से तेल खरीदने वालों पर सेकेंड्री टैरिफ लगाया जाएगा. ट्रंप की इस धमकी के बाद भारत की टेंशन बढ़ गई है. हाल के वर्षों में रूस भारत में कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है. ऐसे में अगर अमेरिका टैरिफ लगाता है तो भारत पर यह टैरिफ को दोहरी मार होगी. 

बिजनेस स्टैंडर्ड में एक रिपोर्ट छपी है. इसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 36.47% रही. यह आंकड़ा 2024 में 33% और 2023 में 16% था, जबकि यूक्रेन युद्ध से पहले यह महज 1% से भी कम था. कच्चे तेल के आयात में रूस का यह हिस्सा लगातार बढ़ता रहा है. भारत ने इस मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों में भी यह बात सामने आई है.

अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान भारत ने सबसे अधिक कच्चा तेल रूस से आयात किया. तेल उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 

ये कहना मुश्किल है कि ये हालात किस दिशा में जाएंगे. ये बात और साफ होनी चाहिए कि ट्रंप के कहने का असल मतलब क्या था? क्या यह केवल टैरिफ तक सीमित रहेगा या फिर इसमें खरीदारों पर सेकेंड्री प्रतिबंध (secondary sanctions) भी शामिल हो सकते हैं? यह भी एक अहम सवाल है. 

कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स फर्म केप्लर के मुताबिक, मार्च 2025 के पहले 21 दिनों में भारत ने रूस से औसतन 1.85 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चा तेल आयात किया. यह आंकड़ा फरवरी में 1.47 मिलियन बीपीडी और जनवरी में 1.64 मिलियन बीपीडी था. अगर अमेरिका सेकेंड्री टैरिफ लागू करता है, तो भारतीय रिफाइनर रूसी तेल से दूरी बना सकते हैं. भारत सरकार और प्रमुख रिफाइनरी कंपनियों ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी प्रतिबंधित तेल का आयात नहीं करेंगी.

क्या करेगा भारत?

अगर भारत पर अमेरिकी टैरिफ लागू होता है और रूस से तेल खरीद बाधित होती है, तो इसके कई संभावित परिणाम हो सकते हैं. भारत तेल आपूर्ति के लिए सऊदी अरब, इराक और यूएई जैसे अपने पुराने साझेदारों की ओर रुख कर सकता है. रूस भारत को छूट पर तेल बेच रहा था. इससे आयात लागत कम होती थी. अगर भारत अन्य स्रोतों से तेल खरीदेगा तो आयात खर्च बढ़ सकता है, जिसका असर देश की महंगाई दर पर पड़ेगा. ऐसे में आम लोगों के लिए पेट्रोल और डीजल महंगा सकता है. 

वेनेजुएला पर भी लगाया प्रतिबंध

इससे पहले वेनेजुएला के साथ अमेरिका ये काम कर चुका है. बीते दिनों ट्रंप ने ऐलान किया था कि जो भी देश वेनेजुएला से तेल या गैस खरीदेगा, उस पर 25 फीसदी का सेकेंड्री टैक्स लगेगा. ट्रंप ने कहा था कि वेनेज़ुएला अमेरिका के प्रति दुश्मनी रखने वाला काम करता रहता है. ऐसे में ये कार्रवाई की जा रही है. ट्रंप ने एलान किया था कि यह टैरिफ 2 अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा. इसी दिन अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले भारत समेत अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ भी लगाए जाएंगे. 2019 में भी अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगाए थे, जिसके बाद भारत ने वहां से तेल आयात बंद कर दिया था. हालांकि, प्रतिबंध हटने के बाद 2023 में व्यापार फिर से चल पड़ा था. अब ट्रंप ने फिर से टैरिफ लगा दिया है. वेनेजुएला से तेल खरीदने वालों में चीन और स्पेन के साथ भारत भी टॉप देशों में शामिल है.

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