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पापा घर-घर जाकर कबाड़ खरीदते हैं, बेटी को मिली माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी, सैलरी 55 लाख रुपये

Simran ने 17 साल की उम्र में अपनी पहली ही कोशिश में AIEEE पास कर लिया था. इंजीनियरिंग कोर्स के दौरान से ही उनका सपना Microsoft में नौकरी करने का था. उनके पिता राजेश कुमार गांव में घर-घर जाकर कबाड़ खरीदने का काम करते थे. हर दिन महज 300-500 रुपये कमाते थे. लेकिन उनकी बेटी ने अब ऐसी नौकरी पा ली है, जहां वह 15,000 रुपये हर दिन कमाएगी.

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Haryana Hisar Simran Daughter Of Junk Dealer Secured Job In Microsoft 55 Lakh Package
पिता राजेश और सिमरन. (फोटो- X @NayabSainiBJP)
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रिदम कुमार
4 जुलाई 2025 (Updated: 4 जुलाई 2025, 02:42 PM IST)
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कबाड़ का काम करने वाले एक पिता की बेटी ने दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक में 55 लाख रुपये के सालाना पैकेज वाली जॉब सिक्योर कर ली है. टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, हरियाणा के हिसार के बालसमंद गांव की रहने वाली सिमरन को अपनी ड्रीम कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में 55 लाख रुपये सालाना पैकेज पर नौकरी मिल गई है. वह सिर्फ़ 21 साल की हैं. उन्होंने IIT मंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन पूरी की है. उनके पिता राजेश कुमार गांव में घर-घर जाकर कबाड़ खरीदने का काम करते थे. हर दिन महज 300-500 रुपये कमाते थे. लेकिन उनकी बेटी ने अब ऐसी नौकरी पा ली है, जहां वह 15,000 रुपये हर दिन कमाएगी. 

सिमरन ने 17 साल की उम्र में अपनी पहली ही कोशिश में AIEEE पास कर लिया था. कोडिंग का जुनून था. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने इंजीनियरिंग कोर्स के दौरान एडिशनल सब्जेक्ट के रूप में कंप्यूटर साइंस को चुना. तभी से उनका सपना माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करने का था. इस कड़ी में उन्हें पहली सफलता तब मिली जब उन्हें माइक्रोसॉफ्ट के हैदराबाद कैंपस में इंटर्नशिप के लिए चुना गया.

सिमरन कहती हैं कि दो महीने की इंटर्नशिप के दौरान उन्हें 300 छात्रों में सर्वश्रेष्ठ इंटर्न चुना गया. अवॉर्ड देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के ओवरसीज़ हेड अमेरिका से आए थे. यह उनकी पहली भारत यात्रा थी.

पिता राजेश अपनी कमाई से सिमरन के तीन भाई-बहनों का भरण-पोषण करते रहे हैं. सिमरन की दो छोटी बहनें ममता और मुस्कान गांव के ही स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ रही हैं. छोटा भाई हर्षित 8वीं क्लास में है. सिमरन की मां कविता होम मेकर हैं और उन्होंने 12वीं क्लास तक पढ़ाई की है. 

पिता राजेश कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगी. उन्होंने कहा, “मैं बस इतना ही कमाता हूं कि परिवार का खर्च चल सके.” कविता ने सिमरन को 7वीं क्लास तक घर पर ही पढ़ाया. कभी भी उन पर घर के कामों का बोझ नहीं डाला, ताकि वह पढ़ाई पर ध्यान दे सकें.

मां ने बताया कि उसे कभी ट्यूशन की ज़रूरत नहीं पड़ी. 7वीं क्लास के बाद हमने उसे हिसार के एक अच्छे स्कूल में भेज दिया. अब उसने अपना सपना पूरा कर लिया है. वह छोटी बहनों के लिए प्रेरणा बन गई है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने X पर पोस्ट कर इस उपलब्धि के लिए सिमरन और उनके परिवार को बधाई दी है.

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