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Gensol के प्लांट में नहीं मिली एक भी EV, सरकार ने दिया था 977 करोड़ का लोन, अब होगी जांच

Gensol Engineering पर सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है. इस EV कंपनी पर करीब 978 करोड़ रुपये के लोन का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है. SEBI की कार्रवाई के बाद सरकार ने इस मामले में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है.

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Gensol SEBI
Gensol के प्रमोटर भाई अनमोल सिंह जग्गी (बाएं) और पुनीत सिंह जग्गी (दाएं) पर SEBI का बैन है.
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मौ. जिशान
20 अप्रैल 2025 (Published: 07:01 PM IST) कॉमेंट्स
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कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों पर Gensol Engineering के खिलाफ जांच शुरू की है. MCA ने 977.95 करोड़ रुपये के लोन के गलत इस्तेमाल समेत फाइनेंशियल फाइलिंग में गड़बड़ी के आरोपों का स्वतः संज्ञान लेते हुए यह कदम उठाया है. इसके अलावा सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने जानकारी दी है कि Gensol के पुणे स्थित प्लांट में एक भी इलेक्ट्रिक गाड़ी नहीं बन रही थी, जबकि कंपनी को करोड़ों रुपये का लोन दिया गया था.

जेनसोल से जुड़ी EV राइड-शेयरिंग कंपनी BluSmart पहले ही अपना कामकाज बंद कर चुकी है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 9 अप्रैल को पुणे के चाकन में मौजूद जेनसोल के ईवी प्लांट का दौरा किया था.

इस प्लांट में ईवी की मैन्युफैक्चरिंग नहीं हो रही थी, और केवल 2-3 ही मजदूर प्लांट में मौजूद थे. यह जानकारी SEBI ने अपने अंतरिम ऑर्डर में दी है, जो 15 अप्रैल को पास किया गया था. NSE अधिकारियों ने प्लांट का बिजली का बिल मांगा. पता चला कि पिछले 12 महीनों में सबसे ज्यादा बिल दिसंबर 2024 का 1,57,037.01 रुपये था.

Gensol SEBI Order
SEBI का अंतरिम ऑर्डर.

वित्तीय वर्ष 2022 और 2024 के दौरान जेनसोल ने रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) से 977.75 करोड़ रुपये का लोन लिया था. ये दोनों ही भारत सरकार की कंपनियां हैं. 977.75 करोड़ रुपये में से 663.89 करोड़ रुपये 6,400 ईवी खरीदने के लिए थे. लेकिन कंपनी ने केवल 4,704 ईवी ही खरीदीं, जिसमें 567.73 करोड़ का खर्च आया.

Gensol की तरफ से 20 फीसदी इक्विटी योगदान की जरूरत को देखते हुए अनुमानित खर्च 829.86 करोड़ रुपये था. इसमें से 262.13 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं था. SEBI की जांच से पता चला कि ईवी खरीदने के लिए जो पैसा तय था, वो जेनसोल या जग्गी बंधुओं ने संबंधित कंपनियों को भेज (रीरूट) दिया था.

कथित तौर पर कुछ फंड का इस्तेमाल निजी खर्चों के लिए किया गया था, जिसमें एक लग्जरी अपार्टमेंट की खरीद, रिश्तेदारों को ट्रांसफर और प्रमोटर से जुड़ी निजी संस्थाओं को फायदा पहुंचाने वाले निवेश शामिल हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, MCA ने जेनसोल की रेगुलेटरी फाइलिंग और फाइनेंशियल रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है. इससे पहले SEBI ने जेनसोल के प्रोमोटर्स के खिलाफ अंतरिम ऑर्डर पास किया था. SEBI ने जेनसोल के प्रमोटर भाई अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर शेयर बाजार से बैन लगाया है.

वीडियो: खर्चा-पानी: क्यों बंद हुई BluSmart? कर्मचारी, ग्राहकों और ड्राइवर्स का क्या होगा?

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