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मर चुके लोगों का कराया बीमा और करोड़ों हड़प लिए, ये कांड यूपी से दिल्ली तक हुआ है

बीमा पॉलिसी करने वाले इस गैंग का शिकार वो लोग होते हैं, जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित या मरने वाले होते हैं, या फिर मर चुके होते हैं. इस गैंग का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, असम, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी फैला हुआ है. क्या है इस गैंग की कहानी, विस्तार से समझते हैं.

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fake insurance policy fraud case busted by sambhal police report
गैंग बीमार या मर चुके लोगों को शिकार बनाता था (PHOTO-AI)
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मानस राज
11 अप्रैल 2025 (Updated: 11 अप्रैल 2025, 01:15 PM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश की संभल पुलिस ने एक फर्जी बीमा पॉलिसी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. ये गैंग मरे हुए लोगों का फर्जी बीमा करवा कर पैसे की उगाही करता था. पुलिस ने अब तक इस केस में 25 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस गैंग का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, असम, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी फैला हुआ है. क्या है इस गैंग की कहानी, विस्तार से समझते हैं.

काली स्कॉर्पियो, और पकड़े गए

इस मामले की शुरुआत हुई 17 जनवरी 2025 से. रात का समय था. ठंड पड़ रही थी. इस दौरान संभल की एडिशनल एसपी अनुकृति शर्मा अपनी गाड़ी से कहीं जा रही थीं. तभी रास्ते में एक काली स्कॉर्पियो ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया. गाड़ी की चाल और ओवरटेक करने का ढंग देख एएसपी अनुकृति को शक हुआ. उन्होंने गाड़ी रुकवाई. गाड़ी में ओंकारेश्वर मिश्रा और अमित नाम के दो शख्स बैठे थे. पहले तो वो पुलिस के सवालों को टालते रहे. लेकिन तलाशी होने पर उनके पास से 16 डेबिट कार्ड, बीमा कंपनियों से जुड़े कागजात और 11.45 लाख रुपये नगद मिले. जब आगे जांच हुई तो पता चला कि ये कोई छोट-मोटा कांड नहीं है.

यूपी तक की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय एएसपी अनुकृति शर्मा ने बताया था कि यह गैंग किस तरह से धोखाधड़ी कर रहा था. इनका शिकार वो लोग होते थे जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित, या मरने वाले होते थे. आशा कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधान से इसकी जानकारी लेने के बाद ये गैंग उनके पास पहुंचता था. लोगों को सरकारी योजना और आर्थिक मदद देने का झांसा दिया जाता था. उनसे उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि ले लिए जाते. इसके बाद बीमारों के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी जारी की जाती. इस पॉलिसी का प्रीमियम भी गैंग ही भरता था.

जैसे ही मरीज की मौत होती, गिरोह के लोग बीमा क्लेम करते और नॉमिनी के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाकर उसका डेबिट कार्ड और पासबुक ले लेते थे. नॉमिनी को थोड़े से पैसे देकर चुप करा दिया जाता था. और आखिरकार बीमा की पूरी रकम गैंग के लोग हड़प लेते थे.

सैंकड़ों शिकार 

इस गैंग ने अब तक पूरे देश में सैंकड़ों लोगों से इसी तरह ठगी की है. एक उदाहरण बुलंदशहर में रहने वाली रुखसार का है. उनके पति असलम की मौत के 45 दिन बाद कुछ लोग उनके घर आए. उन्होंने रुखसार से कहा कि उनके पति के नाम पर एक बीमा पॉलिसी थी. संभल पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि यह गैंग सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था. उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार, झारखंड और असम जैसे राज्यों में भी ऐसे फर्जी बीमा दावे किए गए. गैंग ने एक साल में अलग-अलग बीमा कंपनियों से ₹31 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की. इनमें शामिल प्रमुख बीमा कंपनियां हैं-

  • SBI लाइफ इंश्योरेंस: ₹7.27 करोड़
  • PNB मेटलाइफ: ₹2 करोड़
  • ICICI प्रूडेंशियल: ₹4.5 करोड़
  • केनरा HSBC: ₹7 करोड़
  • इंडिया फर्स्ट: ₹10 करोड़

संभल पुलिस ने इंश्योरेंस कंपनियों से उन पॉलिसीज़ की लिस्ट मांगी, जिनमें अर्ली क्लेम (1 साल से कम समय में) किया गया. साथ ही इन में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया था. जब उन पॉलिसी धारकों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो अधिकांश फोन नंबर बंद पाए गए. जिनसे कॉन्टैक्ट हुआ, उन्होंने बताया कि उन्होंने कोई इंश्योरंस ही नहीं कराया. इसके बाद, पुलिस ने ऐसे सभी संदिग्ध बीमा मामलों की जांच शुरू की और करोड़ों की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ. 

इस पूरे कांड के बाद पुलिस को लगा कि ये गैंग सिर्फ उन लोगों को शिकार बनाता है जो निकट भविष्य में मर सकते हैं. लेकिन 11 अप्रैल को दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये गैंग इससे भी एक कदम आगे है. न सिर्फ बीमार बल्कि इस गैंग ने उन लोगों का भी बीमा करवा दिया जो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं. क्या है नया खुलासा, विस्तार से समझते हैं.

दैनिक भास्कर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में कुछ केसेज का उदाहरण देकर बताया गया है कि किस तरह ये गैंग मर चुके लोगों के नाम पर बीमा करवा रहा था. ये केस है दिल्ली के रहने वाले त्रिलोक कुमार का. त्रिलोक कैंसर से पीड़ित थे. 15 जून, 2024 को वह दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट में एडमिट हुए. 19 जून को उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद कुछ लोग उनकी पत्नी के पास आए और कहा कि सरकार की तरफ से वो कुछ आर्थिक मदद दिला देंगे. इसके बाद उन्होंने त्रिलोक के नाम पर दो पॉलिसी करवाई. 

पॉलिसी बनने के बाद उन्होंने त्रिलोक को जिंदा दिखाने के लिए अस्पताल के फर्जी डाक्यूमेंट्स बनवाए. सब कुछ करने के बाद उन्होंने पॉलिसी क्लेम कर पैसे हड़प लिए. पुलिस फिलहाल इस मामले में आगे जांच कर रही है. संभल पुलिस का कहना है कि अभी गिरोह के और भी लोगों के पकड़े जाने की उम्मीद है.

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